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Diwali In Pakistan: पाकिस्तान में कैसे मनाई जाती है दीपावली, जानें यहां कहां है सबसे बड़ी पटाखा मार्केट
Diwali In Pakistan: पाकिस्तान में दीपावली रोशनी, मिठास और भाईचारे के साथ मनाई जाती है. भले ही वहां इसका पैमाना भारत जैसा बड़ा नहीं हो, लेकिन दिलों की गर्मजोशी और भक्ति बिल्कुल वैसी ही होती है.
Diwali In Pakistan: भारत की तरह पाकिस्तान में भी दीपावली का त्योहार पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है, खासकर वहां रहने वाले हिंदू समुदाय के बीच. हालांकि पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है, फिर भी वहां के कई हिस्सों में दीपावली की रौनक देखते ही बनती है. सिंध, कराची, लरकाना, थरपारकर, हैदराबाद और मीरपुरखास जैसे इलाकों में दीपावली को बड़े ही पारंपरिक ढंग से मनाया जाता है.
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दीपावली की शुरुआत वहां भी धनतेरस से होती है, जब लोग अपने घरों में साफ-सफाई करते हैं और भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा की तैयारी करते हैं.
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दीपावली की रात को मंदिरों और घरों में दीये जलाए जाते हैं. खास बात यह है कि पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों को सरकार की ओर से सुरक्षा दी जाती है ताकि लोग बिना किसी डर के पूजा कर सकें.
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थरपारकर जिला, जिसे पाकिस्तान में मिनी इंडिया कहा जाता है, वहां दीपावली की सबसे ज्यादा रौनक देखने को मिलती है. यहां के करक भुजंग, नागरपारकर और मिथी जैसे कस्बों में सैकड़ों घर दीयों से जगमगाते हैं.
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लोग अपने घरों को फूलों और रंगोली से सजाते हैं. मंदिरों में खास भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं.
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पाकिस्तान के बड़े शहर कराची और हैदराबाद में भी दीपावली का त्योहार काफी लोकप्रिय है. कराची के स्वामी नारायण मंदिर में हर साल हजारों भक्त इकट्ठा होकर पूजा करते हैं. यहां दीयों की सजावट, आतिशबाजी और मिठाई बांटने की परंपरा भारतीय मंदिरों जैसी ही होती है.
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मुस्लिम समुदाय के कई लोग भी इस मौके पर अपने हिंदू दोस्तों के घर मिठाई और शुभकामनाएं देने पहुंचते हैं. भारत की तरह पाकिस्तान में पटाखों पर कड़ी निगरानी रखी जाती है, फिर भी दीपावली के दौरान कुछ क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर पटाखे बेचे जाते हैं.
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सबसे बड़ी पटाखा मार्केट सिंध प्रांत के हैदराबाद शहर में लगती है. यहां दीपावली से पहले दुकानों में देसी पटाखे, फुलझड़ियां और रंगीन आतिशबाजी का काफी कारोबार होता है. हालांकि सरकारी अनुमति के बिना बड़े धमाकेदार पटाखे बेचना मना है, इसलिए छोटे-छोटे पटाखों की बिक्री पर ही जोर रहता है.
Published at : 14 Oct 2025 01:37 PM (IST)
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