लोकसभा 2019: कन्नौज में डिंपल यादव की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं सुब्रत पाठक, BJP क्षत्रिय-ब्राह्मण वोटरों के बीच बना रही है पैठ
बीजेपी ने डिंपल को पैराशूट कैंडिडेट करार दिया है और इसे मुद्दा बनाकर जनता के बीच जा रही है. बीजेपी का कहना है कि अगर डिंपल कन्नौज की बहू हैं तो कन्नौज की जनता के बीच से नदारत क्यों हैं.

कानपुर: 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी किसी भी कीमत पर इत्र नगरी में कमल का फूल खिलाना चाहती है. बीजेपी प्रत्याशी सुब्रत पाठक कन्नौज में रह कर प्रचार की कमान संभाले है. सुब्रत पाठक डिंपल के लिए लगातार मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. बीजेपी ने डिंपल को पैराशूट कैंडिडेट करार दिया है और इसे मुद्दा बनाकर जनता के बीच जा रही है. बीजेपी का कहना है कि अगर डिंपल कन्नौज की बहू हैं तो कन्नौज की जनता के बीच से नदारत क्यों हैं. इसके साथ ही बीजेपी ब्राह्मण और क्षत्रिय वोटरों के बीच अपनी पैठ बनाने में कामयाब हो रही है. वहीँ ओबीसी और अनुसूचित जाति के वोटरों में भी सेंध लगा रही है. डिंपल यादव के लिए ये खतरे की घंटी है.
सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद कन्नौज लोकसभा सीट का चुनाव जातिगत आकड़ों पर फंस गया है. बीजेपी डिंपल यादव को हवा हवाई प्रत्याशी बताने में जुटी है. बीजेपी का आरोप है कि डिंपल हेलीकाप्टर से प्रचार करने के बाद कई-कई हफ्ते तक गायब हो जाती हैं. वहीं बीजेपी के कैंडिडेट सुब्रत पाठक घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं. खुद को कन्नौज का बेटा बता कर उनके ही बीच में रहने का दांवा कर रहे हैं.
कन्नौज लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीटें आती है. तिर्वा विधानसभा सीट से बीजेपी के कैलाश राजपूत विधायक हैं, छीबरामऊ विधानसभा सीट से अर्चना पाण्डेय विधायक हैं जो प्रदेश सरकार में मंत्री हैं, कन्नौज सदर विधानसभा सीट से सपा के अनिल कुमार दोहरे विधायक हैं, जनपद औरया की बिधूना विधानसभा सीट से बीजेपी के विनय शाक्य विधायक हैं, जनपद कानपुर देहात के रसूलाबाद से निर्मला शंखवार विधायक हैं. इन सभी पांचों विधानसभाओं में 18,53,987 मतदाता हैं.
सबसे ख़ास बात ये है कि कन्नौज लोकसभा सीट की पांच विधानसभाओं में से 4 विधानसभाओं में बीजेपी का कब्ज़ा है. इन चारों विधानसभाओं को बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 20 हजार वोटों से ज्यादा के अंतराल से जीत हासिल की थी. तिर्वा, छीबरामऊ, बिधुना, रसूलाबाद विधानसभाओं में बीजेपी के विधायक है. रसूलाबाद विधानसभा सीट दलित और ओबीसी बहुल क्षेत्र है. जबकि तिर्वा छीबरामऊ और बिधुना में ब्राह्मण और क्षत्रिय वोटरों की संख्या अधिक है.
बीजेपी स्थानीय नेताओं और प्रभावशाली लोगो के साथ बैठक करके क्षत्रिय और ब्राह्मण वोटरों को बीजेपी के पक्ष में लाने का काम कर रहे है . वहीँ ओबीसी और अनुसूचित जाति के वोटरों के बीच जाकर सपा के वोटरों में सेंध लगा रहे है. जबकी कन्नौक लोकसभा सीट पर लगभग ढाई लाख यादव वोटर हैं. यादव वोटरों में सेंध लगाने के लिए प्रभावशाली लोगों को मैदान में उतारा गया है.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कन्नौज से सुब्रत पाठक को डिम्पल यादव के खिलाफ उतारा था. मोदी लहर का असर कन्नौज लोकसभा सीट पर नहीं पड़ा था. डिम्पल यादव ने सुब्रत पाठक को हरा कर समाजवादी पार्टी की जीत को बरकरार रखा था. डिम्पल यादव को 4,89,164 वोट मिले थे और बीजेपी के सुब्रत पाठक को 4,69,257 वोट हासिल हुए थे. वही बसपा के निर्मल तिवारी को 1,27,785 वोट मिले थे. डिंपल यादव ने सुब्रत पाठक को 13,907 वोटों से हराया था.
कन्नौज लोकसभा सीट का इतिहास -1967 में समयुक्ता सोशलिस्ट पार्टी से कन्नौज लोकसभा सीट से डॉ राम मनोहर लोहिया पहले सांसद थे. -1971 में कांग्रेस से एन एन मिश्रा सांसद बने थे. -1977 में भारतीय लोक दल सी राम प्रकाश त्रिपाठी सांसद बने थे. -1980 में जनता पार्टी सेक्युलर से छोटे सिंह यादव सांसद बने थे. -1984 में कांग्रेस से शीला दीक्षित सांसद बनी थी. -1989 में जनता दल से छोटे सिंह यादव सांसद बने थे. -1991 में जनता पार्टी से छोटे सिंह यादव सांसद बने थे. -1996 में बीजेपी का कन्नौज में खाता खुला था और चंद्र भूषण सिंह सांसद बने थे. -1998 में समाजवादी पार्टी के प्रदीप कुमार यादव सपा के पहले सांसद थे और कन्नौज में समाजवाद युग की शुरुआत हो गई. -1999 में सपा से मुलायम सिंह यादव सांसद बने. -2000 में हुए उपचुनाव में मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव कन्नौज से चुनाव जीत कर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे. -2004 और 2009 में भी सपा से अखिलेश यादव सांसद रहे. -2012 के उपलोकसभा चुनाव में डिंपल यादव को निर्विरोध चुना गया था. -2014 के लोकसभा चुनाव में भी सपा की डिंपल यादव सांसद बनीं.
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