एक्सप्लोरर

BLOG: साल 2019 कांग्रेस से कितना कुछ ले-दे कर जा रहा है

कांग्रेस पार्टी के लिए साल 2019 कैसा रहा है इस बात का विश्लेषण कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार विजयशंकर चतुर्वेदी. यहां पढ़ें पूरा ब्लॉग.

साल 2019 की शुरुआत में यह चर्चा प्रबल थी कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (तत्कालीन) भारत के प्रधानमंत्री बन सकते हैं? इसकी मूल वजह यह थी कि लगभग 15 सालों से पार्टी में सर्व-स्वीकार्य बनने का संघर्ष करने वाले राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस ने गुजरे साल के दिसंबर के दौरान राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सत्ता हथियाई थी और इसके ठीक साल भर पहले (दिसंबर 2017) अपनी आक्रामक और 77 तूफानी रैलियों के बल पर पीएम मोदी के घर में घुसकर बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी. इस कारनामे से राहुल गांधी की छवि में भी निखार आया था. हालांकि साल के मध्य (23 मई) में आए लोकसभा चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस को ‘पुनर्मूषको भव’ की स्थिति में ला दिया था और साल खत्म होते-होते यह आईने की तरह साफ हो चुका है कि राहुल गांधी अगले पांच सालों के अंदर प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब तक नहीं देख सकते.

देखा जाए तो 2019 के आम चुनाव से करीब 5 माह पहले जनवरी 2019 में प्रियंका गांधी को राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाते हुए कांग्रेस ने अचानक एक बम फोड़ा था, जिसे लोकसभा नतीजों ने एकदम फुस्स साबित कर दिया. कांग्रेस सबसे बड़े और अहम राज्य यूपी की 80 में से मात्र रायबरेली (सोनिया गांधी) की सीट पर सिमट कर रह गई. पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस की परंगरागत सीट अमेठी को गंवा कर अपने समर्थकों के साथ-साथ प्रियंका गांधी को भी घोर निराशा से भर दिया. देश भर में कांग्रेस मात्र 52 सीटें जीत पाई (2014 में 44 सीटें थीं). पू्र्वोत्तर के सात में से छह राज्यों में जहां कांग्रेस की तूती बोलती थी, वहां पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया. कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता जहाज छोड़कर भागने लगे! वह दौरदौरा ऐसा था कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर बीजेपी दरवाजे खोल दे तो कांग्रेस के लगभग सभी बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो जाएंगे!

यह निराशा इतनी जबर्दस्त थी कि कभी देश की सियासत का सिरमौर रही सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस, अपने अस्तित्व की जंग लड़ने लगी! लगभग सवा महीने तक चली मान-मनौव्वल, अनिश्चय की स्थिति और ऊहापोह के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आखिरकार 3 जुलाई को पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद तो कांग्रेस बिना कप्तान का जहाज बन गई और यह कहा जाने लगा कि अगर नेतृत्व का संकट जल्द नहीं सुलझा तो कांग्रेस खत्म हो जाएगी! देखते ही देखते राज्यों के कांग्रेस अध्यक्षों, पदाधिकारियों और गांधी परिवार के करीबियों में पार्टी छोड़ने की होड़ लग गई. राहुल के इस्तीफे के चार दिन बाद ही कर्नाटक में कांग्रेस के 13 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिससे जेडीएस के सामने झुककर बनाई गई उसकी 13 माह पुरानी गठबंधन सरकार खतरे में आ गई और फिल्मों जैसी रोमांचक उठापटक के बाद आज कांग्रेस समर्थित एचडी कुमारस्वामी के स्थान पर बीजेपी के येदुइरप्पा कर्नाटक के सीएम बने बैठे हैं. कर्नाटक का सियासी नाटक जब शुरू ही हुआ था तभी गोवा में भी कांग्रेस के 15 में से 10 विधायकों ने कमल की नाल थाम ली थी. इसके एक माह पहले तेलंगाना के 18 में से 12 कांग्रेसी विधायक टीआरएस की गोद में बैठ गए थे.

उधर राजस्थान में कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट का द्वंद खुलकर सामने आ गया और गहलोत ने बजट के बाद पायलट को संदेश दे दिया कि जनता ने उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट दिया था. पायलट ने पलटवार कर दिया कि जनता ने राहुल गांधी के नाम पर वोट दिया था; किसी और के नाम पर नहीं. मध्यप्रदेश में ज्योरिरादित्य सिंधिया ने सीएम कमलनाथ के सामने मुश्किलें खड़ी करनी शुरू कर दीं. यानी केंद्रीय नेतृत्व विहीन कांग्रेस के सूत्र देश भर में एक-एक करके बिखरते दिखाई दे रहे थे. कांग्रेस ने लोकसभा की करारी हार के एक माह बाद ही जुलाई में प्रियंका गांधी को बड़ी उम्मीदों के साथ पूरे उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंपा था लेकिन अक्टूबर 2019 में राज्य की 11 सीटों पर हुए उपचुनाव भी कांग्रेस का ग्राफ शून्य से आगे नहीं बढ़ा सके.

आखिरकार 2019 के उत्तरार्द्ध में कांग्रेस के दिन फिरते दिखाई दिए. सेहत से लाचार होने के बावजूद पार्टी पुनः सोनिया गांधी की शरण में गई और पूर्णकालिक अध्यक्ष का चुनाव होने तक अगस्त के दूसरे सप्ताह में उन्हें अंतरिम अध्यक्ष बना दिया गया. इसके सुपरिणाम भी सामने आने लगे. अक्तूबर 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने विधायकों की संख्या 2014 के 15 से 31 तक बढ़ा ली और सत्तारूढ़ बीजेपी को बहुमत से 6 सीट कम कर दिया. महाराष्ट्र में तो कांग्रेस के भाग्य से ऐसा छींका टूटा कि एनसीपी के साथ चुनाव-पूर्व गठबंधन में मात्र 44 सीटें जीतने के बावजूद वह सत्ता का सुख उठा रही है! झारखंड में भी उसकी बल्ले-बल्ले हो गई हैं और जे एमएम के साथ वह सरकार बनाने जा रही है. इन राजनीतिक घटनाक्रमों में कांग्रेस के लिए सर्वोपरि उपलब्धि यह है कि कांग्रेस मुक्त भारत के अभियान पर निकली बीजेपी को उसने उक्त सभी राज्यों में पटखनी दी है और कांग्रेस शासित राज्यों का रकबा उल्लेखनीय ढंग से बढ़ाया है. निश्चित ही इसका सकारात्मक असर 2020 के दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों पर पड़ेगा.

गौर करने की बात यह भी है कि कांग्रेस ने 2019 के दौरान क्षेत्रीय दलों को ज्यादा भाव देने की रणनीति अपनाई है. पंजाब, यूपी, एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र में कांग्रेस ने विधानसभा या लोकसभा चुनावों के ठीक पहले सपा, बसपा, आम आदमी पार्टी, बहुजन वंचित विकास आघाड़ी जैसे क्षेत्रीय दलों का दामन झटक दिया था और इसका खामियाजा भी भुगता. लेकिन जब कांग्रेस ने झारखंड में क्षेत्रीय दल जेएमएम का नेतृत्व स्वीकार कर लिया, तो परिणाम उसके पक्ष में सकारात्मक रहे. वाम-मोर्चा से गठबंधन करके पश्चिम बंगाल के हालिया उप-चुनावों में कांग्रेस भले ही कुछ हासिल नहीं कर पाई हो, लेकिन 2021 के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी ने राज्य में अपनी संभावनाएं हरी-भरी रखी हुई हैं. कांग्रेस की पहलकदमी पर बिहार में भी आगामी विधानसभा चुनाव 2015 महागठबंधन वाला इतिहास दोहराया जा सकता है.

कांग्रेस ने अपने चुनाव प्रचार का तरीका भी बदल दिया लगता है. अब राहुल गांधी समेत उसके बड़े नेता खुद को हिंदू साबित करने के लिए प्रचार के दौरान मंदिर-मस्जिद और गुरुद्वारों में मत्था टेकते नजर नहीं आते. पार्टी के घोषणा-पत्रों में राष्ट्रीय और भावनात्मक मुद्दों की जगह स्थानीय व जमीनी समस्याओं ने ले ली है. लेकिन कांग्रेस के सामने शीर्ष नेतृत्व का संकट जस का तस मुंह बाए खड़ा है. सोनिया गांधी कामचलाऊ अध्यक्ष हैं और राहुल गांधी अनमने नेता. प्रियंका गांधी जमीनी संघर्ष करने की कोशिश करती दिख रही हैं लेकिन उनका जादू अभी यूपी में ही असर नहीं दिखा सका है, तो शेष भारत की बात ही क्या हो! कांग्रेस को मुस्लिम पक्षधर होने और वंशवाद के आरोपों से बचने का नुस्खा भी जल्द ही तलाशना होगा ताकि 2019 में शुरू हुआ सकारात्मक ग्राफ 2020 में भी परवान चढ़ सके और राष्ट्रीय नक्शे में उसकी उपस्थिति मजबूत होती चली जाए.

लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/VijayshankarC और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/vijayshankar.chaturvedi

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Delhi Blast: 'दिल्ली धमाके से पहले इस्तीफा और फिर...', डॉक्टर परवेज को लेकर हुआ हैरान करने वाला खुलासा
'दिल्ली धमाके से पहले इस्तीफा और फिर...', डॉक्टर परवेज को लेकर हुआ हैरान करने वाला खुलासा
बिहार चुनाव 2025: मतगणना को लेकर कैसी है तैयारी? यहां पढ़ें पूरी डिटेल
बिहार चुनाव 2025: मतगणना को लेकर कैसी है तैयारी? यहां पढ़ें पूरी डिटेल
शर्ट, पैंट और आंखों पर काला चश्मा... देसी से मॉडर्न बनीं महाकुंभ गर्ल मोनालिसा, तस्वीरें वायरल
शर्ट, पैंट और आंखों पर काला चश्मा... देसी से मॉडर्न बनीं महाकुंभ गर्ल मोनालिसा
भारत-दक्षिण अफ्रीका सीरीज से पहले टी20 कप्तान बने वरुण चक्रवर्ती, पहली बार संभालेंगे टीम की कमान
भारत-दक्षिण अफ्रीका सीरीज से पहले टी20 कप्तान बने वरुण चक्रवर्ती, पहली बार संभालेंगे टीम की कमान
ABP Premium

वीडियोज

Bihar Election: बिहार का 'टाइगर' कौन? | Tejashwi Yadav | Nitish Kumar | NDA | BJP | JJD | PK
Sandeep Chaudhary: सत्ता के विरुद्ध लहर या 'विकास' पर मुहर? किसके साथ है बिहार? | Bihar  Election
Delhi Red Fort Blast: यानि Umar-Sahin की साजिश बहुत बड़ी थी!  | Breaking | ABP News
Bihar Elections 2025: 'जाति समीकरण' किसका बनेगा किंगमेकर? | Nitish Kumar | Tejashwi Yadav | Chitra
Red Fort Blast: आतंकी हमला.. सवालों में अल फलाह! | Khabar Gawah Hai | Shaheen Sayeed | Faridabad

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Delhi Blast: 'दिल्ली धमाके से पहले इस्तीफा और फिर...', डॉक्टर परवेज को लेकर हुआ हैरान करने वाला खुलासा
'दिल्ली धमाके से पहले इस्तीफा और फिर...', डॉक्टर परवेज को लेकर हुआ हैरान करने वाला खुलासा
बिहार चुनाव 2025: मतगणना को लेकर कैसी है तैयारी? यहां पढ़ें पूरी डिटेल
बिहार चुनाव 2025: मतगणना को लेकर कैसी है तैयारी? यहां पढ़ें पूरी डिटेल
शर्ट, पैंट और आंखों पर काला चश्मा... देसी से मॉडर्न बनीं महाकुंभ गर्ल मोनालिसा, तस्वीरें वायरल
शर्ट, पैंट और आंखों पर काला चश्मा... देसी से मॉडर्न बनीं महाकुंभ गर्ल मोनालिसा
भारत-दक्षिण अफ्रीका सीरीज से पहले टी20 कप्तान बने वरुण चक्रवर्ती, पहली बार संभालेंगे टीम की कमान
भारत-दक्षिण अफ्रीका सीरीज से पहले टी20 कप्तान बने वरुण चक्रवर्ती, पहली बार संभालेंगे टीम की कमान
Explained: क्या है व्हाइट कॉलर मॉड्यूल? अब फिदायीन डॉक्टरों से खौफ! दिल्ली धमाके की पूरी कहानी समझिए
Explained: क्या है व्हाइट कॉलर मॉड्यूल? अब फिदायीन डॉक्टरों से खौफ! दिल्ली धमाके की पूरी कहानी समझिए
Special Feature: ऐश्वर्या राय सरकार, स्टाइल और संस्कृति का संगम
ऐश्वर्या राय सरकार: स्टाइल और संस्कृति का संगम
IND vs SA 1st Test: कोलकाता टेस्ट से पहले शुभमन गिल की वर्ल्ड चैंपियन दक्षिण अफ्रीका को चेतावनी, कहा- हमको पता...
कोलकाता टेस्ट से पहले शुभमन गिल की वर्ल्ड चैंपियन दक्षिण अफ्रीका को चेतावनी, कहा- हमको पता...
दिल्ली ब्लास्ट में खो दिया अपना तो 10 लाख दे रही रेखा सरकार, जानें कैसे मिलेगा मुआवजा?
दिल्ली ब्लास्ट में खो दिया अपना तो 10 लाख दे रही रेखा सरकार, जानें कैसे मिलेगा मुआवजा?
Embed widget