महाराष्ट्र में मछली पालन को मिलेगा नया जीवन! सरकार ने जारी किए नए नियम, अब बढ़ेगा देसी उत्पादन
महाराष्ट्र सरकार ने मछली चारे की खरीद के लिए नए नियम लागू किए हैं, जिससे अब सिर्फ राज्य में पंजीकृत निर्माताओं से ही चारा खरीदा जाएगा. इससे मत्स्य पालन में गुणवत्ता और आत्मनिर्भरता दोनों को बढ़ावा मिलेगा.

मछली पालन से जुड़े किसानों और उद्यमियों के लिए महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ी घोषणा की है. अब राज्य में मछली आहार (Fish Feed) की खरीदारी को लेकर नए दिशा-निर्देश लागू किए गए हैं. इन नियमों का मकसद स्थानीय उत्पादकों को बढ़ावा देना और मत्स्य पालन परियोजनाओं को अधिक आत्मनिर्भर बनाना है.
राज्य के मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री नितेश राणे ने बताया कि अब सरकारी सब्सिडी वाली सभी मछली पालन परियोजनाओं को सिर्फ उन्हीं आहार उत्पादकों से चारा खरीदना होगा, जो सरकार द्वारा पंजीकृत, मान्यता प्राप्त या प्रायोजित हैं. इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य आयातित चारे पर निर्भरता कम करना और राज्य में ही गुणवत्ता वाला चारा उपलब्ध कराना है.
स्थानीय मछली आहार निर्माताओं को मिलेगा बढ़ावा
राणे ने कहा कि फिलहाल मछली चारा बड़ी मात्रा में बाहर से मंगवाया जाता है, जिससे लागत भी बढ़ती है और स्थानीय उद्योग को नुकसान होता है. अब नए ‘समूह’ दिशा-निर्देशों के तहत, केवल राज्य में पंजीकृत फीड निर्माताओं से ही चारा खरीदना अनिवार्य होगा. इससे स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे.
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ये परियोजनाएं होंगी लाभान्वित
मंत्री ने बताया कि महाराष्ट्र में केंद्र और राज्य की संयुक्त योजनाओं के तहत कई मत्स्य पालन पहलें चल रही हैं, जैसे - मछली बीज उत्पादन केंद्र, बायोफ्लॉक सिस्टम, पिंजरा पालन, RAS (री-सर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम), और नर्सरी तालाब. इन सभी के लिए उच्च गुणवत्ता वाले मछली आहार की जरूरत होती है. अब इन सभी परियोजनाओं को बेहतर फीड मिलेगा, जिससे उत्पादन भी बेहतर होगा.
सख्त गुणवत्ता नियंत्रण के नियम
नए निर्देशों में मछली आहार के लिए कई सख्त मानक तय किए गए हैं. अब सभी फीड को ISI, BIS या FSSAI जैसी अधिकृत एजेंसियों से प्रमाणित कराना अनिवार्य होगा. इसके अलावा चारे की पैकेजिंग पर पोषण से जुड़ी जानकारी जैसे - प्रोटीन, वसा, नमी और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा के साथ निर्माण और आखिरी डेट स्पष्ट रूप से लिखनी होगी.
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Source: IOCL





















