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कुछ भी बात करते ही फोन पर क्यों दिखने लगते हैं उसके विज्ञापन, क्या सबकुछ सुनता है फोन?
जैसे नया मोबाइल फोन, जूते, या ट्रैवल पैकेज, और थोड़ी देर बाद जब फोन खोलते हैं तो वही चीज का ऐड हमारे सामने आ जाता है.ऐसे में अक्सर दिमाग में सवाल उठता है क्या हमारा फोन हमारी बातें सुन रहा है.
आजकल लगभग हर किसी के साथ ऐसा हुआ है. हम दोस्तों या परिवार के साथ किसी प्रोडक्ट या चीज की बात कर रहे होते हैं, जैसे नया मोबाइल फोन, जूते, या ट्रैवल पैकेज, और थोड़ी देर बाद जब फोन खोलते हैं तो वही चीज का ऐड हमारे सामने आ जाता है.ऐसे में अक्सर दिमाग में सवाल उठता है क्या हमारा फोन हमारी बातें सुन रहा है या क्या हमारी प्राइवेसी खतरे में है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि कुछ भी बात करते ही फोन पर उसके विज्ञापन क्यों दिखने लगते हैं.
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जब हम मोबाइल यूज करते हैं तो उसमें मौजूद ऐप्स जैसे सोशल मीडिया, ब्राउजर और सर्च इंजन हमारे यूज करने का तरीका, सर्च हिस्ट्री, क्लिक, और पसंद-नापसंद सब रिकॉर्ड करते हैं यानी हम कौन-सी वेबसाइट देखते हैं, क्या सर्च करते हैं, किस चीज में ज्यादा समय बिताते हैं. ये सब डेटा कंपनियों तक पहुंचता है.
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Google और Meta जैसी बड़ी कंपनियां इस डेटा का विश्लेषण करती हैं फिर इसी जानकारी के आधार पर टारगेटेड एड्स दिखाए जाते हैं. अगर आपने किसी चीज के बारे में सर्च किया या बात की, तो सिस्टम समझ जाता है कि आपको उस चीज में दिलचस्पी है. इसलिए वही प्रोडक्ट या उससे जुड़ी चीज़ों के ऐड आपको बार-बार दिखने लगते हैं.
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कई ऐप्स इंस्टॉल करते समय माइक्रोफोन, कैमरा, और लोकेशन की परमिशन मांगते हैं. अगर आप Allow पर क्लिक कर देते हैं, तो ये ऐप्स बैकग्राउंड में आपके फोन के सेंसर से डेटा ले सकते हैं. हालांकि ऐसा नहीं कि वे हर वक्त आपकी बात रिकॉर्ड करते हैं, लेकिन कुछ ऐप्स कीवर्ड डिटेक्शन यानी कुछ शब्दों को पकड़ने के लिए एक्टिव रह सकते हैं. इसीलिए कई बार ऐसा लगता है कि फोन सुन रहा है.
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Google Assistant, Siri या Alexa जैसे वॉयस असिस्टेंट तब तक एक्टिव नहीं होते जब तक आप Hey Google या Hey Siri जैसे ट्रिगर शब्द नहीं बोलते. लेकिन जब ये ऑन होते हैं, तो आपकी आवाज रिकॉर्ड होकर सर्वर पर जाती है ताकि ये सही जवाब दे सकें. कई बार ये रिकॉर्डिंग डेटा एनालिसिस के लिए सेव भी हो जाती है, जिससे आपकी पसंद और जरूरतें समझी जा सकें.
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असल में, फोन आपकी हर ऑनलाइन एक्टिविटी को ट्रैक करता है. आप किस टॉपिक पर सर्च करते हैं, किस वेबसाइट पर ज्यादा जाते हैं, कौन-से वीडियो देखते हैं, किन प्रोडक्ट्स पर रुकते हैं. ये सब देखकर एल्गोरिदम यह अनुमान लगा लेता है कि आपको आगे क्या दिखाना चाहिए. इसलिए जब आप किसी चीज की चर्चा करते हैं और बाद में उसके ऐड दिखते हैं, तो यह आपके डिजिटल बिहेवियर का नतीजा होता है.
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अगर आप नहीं चाहते कि आपकी बातें या डेटा कंपनियों तक पहुंचे, तो आप कुछ आसान कदम उठा सकते हैं. जिसमें फोन की Settings, Privacy और फिर Permissions में जाकर देखें कि किन ऐप्स को माइक्रोफोन या कैमरा एक्सेस है, और जो जरूरी न हों, उनसे परमिशन हटा दें. Google या Facebook की प्राइवेसी सेटिंग्स में जाकर डेटा कलेक्शन लिमिट कर सकते हैं. अगर आप वॉयस असिस्टेंट का यूज नहीं करते, तो उसे डिसेबल कर दें.
Published at : 11 Nov 2025 06:44 PM (IST)
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