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भारत में हरे तो अन्य देशों में किस रंग के होते हैं हाइवे पर लगे साइनबोर्ड, क्या है इसके पीछे का साइंस?
Signboards On Highways: दुनिया के हर देश में साइनबोर्ड एक जैसी भाषा में नहीं, अलग रंगों में होते हैं, और हर रंग के पीछे छिपा है विज्ञान, ट्रैफिक मनोविज्ञान और सुरक्षा का एक अनकहा रहस्य. आइए समझें.
भारतीय हाईवे पर सफर करते हुए आपको सबसे पहले जिन चीजों पर भरोसा करना पड़ता है, वो हैं रास्ता दिखाने वाले हरे रंग के साइनबोर्ड. यह रंग अब हमारी आंखों का इतना आदी हो चुका है कि लगता है मानो सड़क और साइनबोर्ड साथ ही डिजाइन किए गए हों, लेकिन दुनिया भर में ऐसा नहीं है. अलग-अलग देशों में साइनबोर्ड रंगों के पीछे विज्ञान, मनोविज्ञान और सड़क सुरक्षा से जुड़ी पूरी कार्यप्रणाली छिपी है. आइए इसके बारे में समझ लेते हैं.
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भारत के हाइवे पर हरे रंग के साइनबोर्ड सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि वैज्ञानिक कारणों से चुना गया है. ट्रैफिक साइकोलॉजी से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि हरा रंग आंखों को सबसे कम थकाता है.
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तेज रफ्तार में चल रही गाड़ियों के बीच जब आपको अगले शहर, अगले टर्न या किसी आपात स्थिति के बारे में जानना हो, तब स्क्रीन जैसी शांति देने वाला हरा रंग दिमाग को तेजी से संकेत पकड़ने में मदद करता है. लंबे सफर में ड्राइवर की थकान कम करने में भी इसका योगदान माना जाता है.
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लेकिन दुनिया के हर हिस्से में यही रंग नियम नहीं है. अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में हरा रंग जरूर राष्ट्रीय मार्गों पर दिखता है, लेकिन जैसे ही आप शहरों में प्रवेश करते हैं, बोर्ड नीले रंग के हो जाते हैं.
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इससे ड्राइवर को तुरंत समझ आ जाता है कि वह हाइवे से हटकर शहरी यातायात में प्रवेश कर चुका है. यह रंग अलग माहौल और अलग गति के लिए मानसिक रूप से तैयार करता है.
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यूरोप के कई देशों में पीले रंग के बोर्ड हाईवे पर भी देखने को मिल जाते हैं. इसका कारण सिर्फ चेतावनी नहीं है, बल्कि यहां इन्हें ट्रांजिट रूट के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है. जर्मनी और फ्रांस में पीले बोर्ड सीमित समय के लिए अस्थायी मार्गों का संकेत देते हैं.
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वहीं जापान और दक्षिण कोरिया ने साइनबोर्ड रंग तय करने के लिए विजुअल साइंस और मौसम अध्ययन को आधार बनाया है. उदाहरण के तौर पर, जापान में बारिश और धुंध वाले इलाकों में सफेद अक्षरों वाले नीले बोर्ड अधिक स्पष्ट दिखते हैं, इसलिए वहां यह प्राथमिक विकल्प है.
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रंग पहचान के पीछे मनोविज्ञान भी बड़ी भूमिका निभाता है. माना जाता है कि लाल रंग मस्तिष्क को तुरंत खतरे या रोकने का संकेत देता है. इसलिए दुनिया में कहीं भी जाएं, ‘STOP’ बोर्ड लाल ही मिलेगा. यही कारण है कि वन-वे, प्रतिबंधित मार्ग या जोखिम वाले मोड़ों पर लाल रंग के निशान प्रमुखता से लगाए जाते हैं. यह एक वैश्विक मानक है जिसे लगभग हर देश ने अपनाया है.
Published at : 01 Dec 2025 06:21 PM (IST)
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