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आतंकियों के मामले में लागू क्यों नहीं होता पैर में गोली मारने वाला नियम? ये रहा जवाब
अगर यह साबित हो जाता है कि जानबूझकर अपराधी के कमर के ऊपर गोली चलाई गई है और उसकी मौत हो जाती है, तो ऐसे मामले में गैर इरादतन हत्या का मुकदमा चलता है और कार्रवाई भी हो सकती है.
आपने कई पुलिस एनकाउंटर की खबरें देखी या सुनी होंगी. एक बात पर आपने गौर किया है कि पुलिस अपराधियों के पैर पर ही गोली मारती है. क्या आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?
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पुलिस मैनुअल के अनुसार, पुलिस किसी अपराधी पर तब ही गोली चला सकती है जब कोई अपराधी गिरफ्तारी से भाग रहा हो और दूसरी स्थिति में आत्मरक्षा का मामला हो.
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पुलिसकर्मियों को सख्त हिदायत होती है कि वे अपराधी के पैर पर गोली चलाएंगे. ऐसा इसलिए किया जाता है, जिससे उसकी मौत न हो और अपराधी को गिरफ्तार किया जा सके, जिससे उससे आगे की पूछताछ जा सके.
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अगर यह साबित हो जाता है कि जानबूझकर अपराधी के कमर के ऊपर गोली चलाई गई है और उसकी मौत हो जाती है, तो ऐसे मामले में गैर इरादतन हत्या का मुकदमा चलता है और कार्रवाई भी हो सकती है.
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हालांकि, आतंकियों के मामले में पैर पर गोली मारने वाला नियम लागू नहीं होता है. दरअसल, आतंकियों की मुठभेड़ अक्सर देश के बॉर्डर पर आर्मी जवानों के साथ होती है
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कई घुसपैठ के मामलों में सेना के जवान आतंकियों को पहले सरेंडर करने को कहते हैं. ऐसा नहीं करने पर उन पर गोली चलाई जा सकती है. दरअसल, आतंकी सामान्य अपराधी नहीं माना जाता है.
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अगर सेना के जवानों या आतंकियों से आमना-सामना होता है और गोलीबारी होती है तो जवान उन्हें सीधे मौत के घाट उतार सकते हैं. दरअसल, आतंकियों से राष्ट्र को खतरा होता है.
Published at : 26 Mar 2025 10:04 AM (IST)
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