जिस आलीशान महल में होगा पुतिन का स्वागत, जानें क्या है उसकी कीमत, कितना लग्जीरियस है हैदराबाद हाउस?
Putin India Visit: हैदराबाद के आखिरी निजाम और दुनिया के सबसे अमीर आदमी रहे मीर उस्मान अली ने नई दिल्ली में हैदराबाद हाउस बनवाया था. 5 दिसंबर को व्लादिमीर पुतिन की मेजबानी इसी महल में होगी.

1911 में ब्रिटिश हुकूमत ने अपनी राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली शिफ्ट कर दी थी. 1919 में उन्होंने राज्यों के राजाओं को 'चेंबर ऑफ प्रिंसेंस' में शामिल किया, ताकि दिल्ली आने पर रहने की जगह का इंतजाम रहे. तब निजाम उस्मान अली ने 1919 में ही 8.2 एकड़ जमीन खरीदी और हैदराबाद महल बनवाने की शुरुआत हुई. 1928 तक हैदराबाद हाउस बनकर तैयार हुआ था. लेकिन उस्मान अली ने इसे कभी ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया. 1920 के दशक में इसका खर्च करीब 2,00,000 पाउंड आया था, जो आज के दौर में 170 करोड़ रुपए से ज्यादा है. यह महल हर तरह से निजाम की शान ओ शौकत के मुताबिक था.
आजादी के बाद भारत सरकार को मिला 'हैदराबाद हाउस'
Celebrating 100 years: The tale of Delhi's iconic Hyderabad House रिपोर्ट के मुताबिक, 1947 में भारत की आजादी ने हैदराबाद हाउस की किस्मत बदल दी क्योंकि रियासतों का भारतीय संघ में विलय शुरू हो गया. हैदराबाद ने सितंबर 1948 में ऑपरेशन पोलो चलाकर जबरन विलय का विरोध किया. विलय के बाद हैदराबाद हाउस सरकारी संपत्ति बन गया.
1974 से यह विदेश मंत्रालय के पास है और प्रधानमंत्री का स्टेट गेस्ट हाउस है. यह दिल्ली के उन 28 राजघरानों में से एक है जो ब्रिटिश काल में बने थे, जैसे पटियाला हाउस या जयपुर हाउस. आज यहां विदेशों के नेता आकर ठहरते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करते हैं.
बटरफ्लाई शेप्ड वाले महल में लग्जरी की कमी नहीं
यह महल देखने में तितली के आकार का लगता है. इस कारण इसे 'बटरफ्लाई शेप्ड' कहते हैं. मशहूर ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस ने इसे डिजाइन किया था, जो दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय और राष्ट्रपति भवन जैसे बड़ी इमारतों के मेकर थे. यह महल 8.2 से 8.77 एकड़ में फैला हुआ है. इसमें कुल 36 कमरे हैं, जिनमें 1 जनाना (महिलाओं के लिए अलग हिस्सा) हैं. अब कुछ कमरे डाइनिंग हॉल में बदल दिए गए हैं.
- मेन एंट्रेंस एक बड़ा गुंबद है, जिसके नीचे हॉल है. दो तरफ 55 डिग्री एंगल पर तितली के पंख जैसे विंग्स लगे हैं.
- मुगल और यूरोपियन स्टाइल की मिली जुली कलाकृतियों की छतरियां और मेहराबें बनीं हैं.
- महल के अंदर मार्बल फ्लोर पर रॉम्बिक (हिरन की आकृति) डिजाइन, सर्कुलर फॉयर, सीढ़ियां, आर्चवे और लंबे पिरामिड जैसे पत्थर के ओबेलिस्क बने हैं.
- महल के बाहर चौकोर गार्डन, सर्कुलर फॉयर और बड़ा डोम है. यह विक्टोरिया हाउस के बाद दिल्ली का सबसे बड़ा और ग्रैंड महल है.
- निजाम ने इस महल के लिए लाहौर के पेंटर अब्दुर्रहमान चुगताई से 3 दर्जन हैंड-पेंटिंग्स मंगवाईं थीं, जो इस्लामिक और मुगल कला से इंस्पायर्ड थीं.
हैदराबाद हाउस के 2 दिलचस्प किस्से
2024 में पब्लिश हुई 'द पैट्रियट' किताब के मुताबिक-
- निजाम को महल नापसंद: उस्मान अली ने महल 10 साल बाद यानी 1936 में पहली बार देखा था. उन्हें यह पसंद नहीं आया क्योंकि यह बहुत वेस्टर्न लग रहा था. उन्होंने इसे 'घोड़ों का अस्तबल' कह दिया था. उनके बेटों को भी यह पसंद नहीं आया, इसलिए निजाम यहां कम ही आए.
- निजाम का भूत दिखा: यह महल कई फिल्मों में दिखा है. फिल्म 'गांधी' में आजादी की मीटिंग्स का एक सीन शूट हो रहा था. तभी क्रू मेंबर्स को लगा जैसे निजाम की आत्मा घूम रही हो लेकिन यह सिर्फ मजाक था. यह महल सिर्फ पत्थरों का नहीं, बल्कि इतिहास की जीती-जागती मिसाल है.
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Source: IOCL





















