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भारतीयों ने फूंक डाले इतने करोड़ के पटाखे, रकम सुनकर दहल जाएंगे पाकिस्तान के ये शहर
भारतीयों ने दिवाली ने इस बार ऐसा धमाका किया कि आंकड़े सुनकर पाकिस्तान के कई शहरों की अर्थव्यवस्था तक हिल जाए. सिर्फ पटाखों पर खर्च हुई इतनी रकम कि कई देशों का वार्षिक बजट भी छोटा पड़ सकता है.
भारत में दिवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि एक जश्न है जो पूरे देश को रोशनी और उत्साह से भर देता है. इस साल दिवाली के मौके पर पटाखों की बिक्री ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले दिल्लीवालों ने दिवाली पर करीब 500 करोड़ रुपये के पटाखे फूंक डाले. ये रकम इतनी बड़ी है कि अगर इसे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था से तुलना करें तो कई शहरों का सालाना बजट इसके सामने बेहद छोटा लगता है.
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अगर तुलना की जाए तो पाकिस्तान के कराची शहर की औसत मासिक नगर राजस्व आमदनी लगभग 350 करोड़ रुपये, लाहौर की करीब 320 करोड़ रुपये, और इस्लामाबाद की मात्र 270 करोड़ रुपये के आसपास रहती है.
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यानी सिर्फ एक रात में दिल्लीवालों ने पटाखों पर जितनी रकम खर्च कर दी, उतनी कमाई पाकिस्तान के इन बड़े शहरों को कई महीनों में होती है.
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पटाखों की यह बिक्री न केवल लोगों के उत्साह का सबूत है, बल्कि यह भारतीय त्योहारों की आर्थिक ताकत भी दिखाती है.
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बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि दिवाली से पहले ही दिल्ली और आसपास के इलाकों में पटाखों की खरीदारी में जबरदस्त उछाल देखने को मिला. इस साल पर्यावरण के नियमों और सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से भारी मात्रा में पटाखों की बिक्री हुई है.
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आर्थिक दृष्टि से देखें तो दिवाली पर खर्च सिर्फ पटाखों तक सीमित नहीं रहता है, बल्कि रोशनी, सजावट, मिठाइयां, कपड़े और उपहार जैसे क्षेत्रों में भी अरबों रुपये का लेनदेन हुआ.
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लेकिन जिस तरह दिल्ली ने पटाखों पर अकेले 500 करोड़ रुपये खर्च किए, उसने यह दिखा दिया कि भारत की त्योहारी अर्थव्यवस्था कितनी विशाल है.
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पाकिस्तान के शहरों में जहां महंगाई और ऊर्जा संकट की वजह से लोगों को त्योहारों में भी सादगी बरतनी पड़ रही है, वहीं भारत में दिवाली का जश्न आर्थिक दृष्टि से भी बूम सीजन बन चुका है. यह फर्क सिर्फ परंपराओं का नहीं बल्कि आर्थिक स्थिरता और क्रय शक्ति का भी है.
Published at : 22 Oct 2025 04:40 PM (IST)
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