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Heatwave: कितने तापमान पर हो जाता है हीटवेव का ऐलान? कितने होते हैं कलर कोड
Heatwave in India: गर्मी से उत्तर भारत के कई राज्यों में लोगों का हाल बेहाल है. उत्तर भारत के कुछ राज्यों में हीट वेव की चेतावनी दी गई है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आख़िर ये हीट वेव होती क्या है.
आमतौर पर भयंकर गर्मी को लू कहा जाता है, ये स्थिति आमतौर पर उच्च तापमान में मार्च से जून के बीच होती है. जो इंसानों के लि बेहद ख़तरनाक भी हो सकती है.
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अब सवाल ये उठता है कि आख़िर ये तय कैसे होता है कि लू है या नहीं. तो बता दें कि अलग-अलग देशों में लू की तकनीकी परिभाषा को लेकर अलग-अलग मानक हैं.
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भारतीय मौसम विभाग हीट वेव का अलर्ट जारी करते समय मैदानी और हील इलाक़ों के लिए अलग-अलग मापदंड तय करता है.
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जब मैदानी इलाक़ों में तापमान 40 डिग्री या उससे ज़्यादा होता है तो IMD उसे हीट वेव करार देता है. इसी तरह हील स्टेशन पर 30 डिग्री सेल्सियस या तापमान इससे ज़्यादा होने पर लू की घोषणा कर दी जाती हैं.
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IMD के पास सर्फेस ऑब्जर्वेटरी का एक बड़ा नेटवर्क है जो पूरे देश के विभिन्न मेट्रोलॉजिकल पैरामीटर को मापने में सक्षम है. इनके जरिए देश में तापमान, दबाव, हवा, गति और दिशा जैसी चीजों को मापा जा सकता है.
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यदि किसी स्टेशन का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से ज्यादा होता है तो हीट वेव की स्थिती तब बनती है जब वहां का तापमान सामान्य अधिकतम तापमान से 4°C-5°C तक आगे बढ़ जाता है. 6°C या उससे ज्यादा तापमान होने पर गंभीर हीट वेव का ऐलान कर दिया जाता है.
Published at : 24 Apr 2024 12:26 PM (IST)
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