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Akshaya Tritiya 2025: सिर्फ अक्षय तृतीया पर ही क्यों होते हैं बांके बिहारी जी के चरण दर्शन ? जानें रहस्य

Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया अक्षय प्रदान करने वाली तिथि है. अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को है. खास बात ये हैं कि सालभर में सिर्फ इसी दिन बांके बिहारी जी के चरण दर्शन होते हैं. क्या है इसका रहस्य.

Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया अक्षय प्रदान करने वाली तिथि है. अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को है. खास बात ये हैं कि सालभर में सिर्फ इसी दिन बांके बिहारी जी के चरण दर्शन होते हैं. क्या है इसका रहस्य.

अक्षय तृतीया 2025

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वृंदावन में स्थित बांके बिहारी जी के मंदिर में अक्षय तृतीया की खास रौनक देखने को मिलती है, क्योंकि साल में सिर्फ इसी दिन बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन होते हैं. अन्य दिनों में चरण पोशाक से ढके रहते हैं.
वृंदावन में स्थित बांके बिहारी जी के मंदिर में अक्षय तृतीया की खास रौनक देखने को मिलती है, क्योंकि साल में सिर्फ इसी दिन बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन होते हैं. अन्य दिनों में चरण पोशाक से ढके रहते हैं.
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वृंदावन में स्थित बांके बिहारी जी के मंदिर में अक्षय तृतीया की खास रौनक देखने को मिलती है, क्योंकि साल में सिर्फ इसी दिन बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन होते हैं. अन्य दिनों में चरण पोशाक से ढके रहते हैं.
वृंदावन में स्थित बांके बिहारी जी के मंदिर में अक्षय तृतीया की खास रौनक देखने को मिलती है, क्योंकि साल में सिर्फ इसी दिन बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन होते हैं. अन्य दिनों में चरण पोशाक से ढके रहते हैं.
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एक बार स्वामी जी को ठाकुर जी के चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा प्राप्त हुई.  वह स्वर्ण मुद्रा से प्रभु की सेवा और भोग का इंतजाम किया करते थे. जब स्वामी जी को पैसों की किल्लत होती थी तो ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण मुद्रा प्राप्त होती थी. यही वजह है कि सालभर में सिर्फ अक्षय तृतीया वाले दिन ही बांके बिहारी जी के चरण दर्शन होते हैं.
एक बार स्वामी जी को ठाकुर जी के चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा प्राप्त हुई. वह स्वर्ण मुद्रा से प्रभु की सेवा और भोग का इंतजाम किया करते थे. जब स्वामी जी को पैसों की किल्लत होती थी तो ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण मुद्रा प्राप्त होती थी. यही वजह है कि सालभर में सिर्फ अक्षय तृतीया वाले दिन ही बांके बिहारी जी के चरण दर्शन होते हैं.
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एक बार स्वामी जी को ठाकुर जी के चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा प्राप्त हुई.  वह स्वर्ण मुद्रा से प्रभु की सेवा और भोग का इंतजाम किया करते थे. जब स्वामी जी को पैसों की किल्लत होती थी तो ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण मुद्रा प्राप्त होती थी. यही वजह है कि सालभर में सिर्फ अक्षय तृतीया वाले दिन ही बांके बिहारी जी के चरण दर्शन होते हैं.
एक बार स्वामी जी को ठाकुर जी के चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा प्राप्त हुई. वह स्वर्ण मुद्रा से प्रभु की सेवा और भोग का इंतजाम किया करते थे. जब स्वामी जी को पैसों की किल्लत होती थी तो ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण मुद्रा प्राप्त होती थी. यही वजह है कि सालभर में सिर्फ अक्षय तृतीया वाले दिन ही बांके बिहारी जी के चरण दर्शन होते हैं.
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एक बार स्वामी जी को ठाकुर जी के चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा प्राप्त हुई.  वह स्वर्ण मुद्रा से प्रभु की सेवा और भोग का इंतजाम किया करते थे. जब स्वामी जी को पैसों की किल्लत होती थी तो ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण मुद्रा प्राप्त होती थी. यही वजह है कि सालभर में सिर्फ अक्षय तृतीया वाले दिन ही बांके बिहारी जी के चरण दर्शन होते हैं.
एक बार स्वामी जी को ठाकुर जी के चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा प्राप्त हुई. वह स्वर्ण मुद्रा से प्रभु की सेवा और भोग का इंतजाम किया करते थे. जब स्वामी जी को पैसों की किल्लत होती थी तो ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण मुद्रा प्राप्त होती थी. यही वजह है कि सालभर में सिर्फ अक्षय तृतीया वाले दिन ही बांके बिहारी जी के चरण दर्शन होते हैं.
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एक बार स्वामी जी को ठाकुर जी के चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा प्राप्त हुई.  वह स्वर्ण मुद्रा से प्रभु की सेवा और भोग का इंतजाम किया करते थे. जब स्वामी जी को पैसों की किल्लत होती थी तो ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण मुद्रा प्राप्त होती थी. यही वजह है कि सालभर में सिर्फ अक्षय तृतीया वाले दिन ही बांके बिहारी जी के चरण दर्शन होते हैं.
एक बार स्वामी जी को ठाकुर जी के चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा प्राप्त हुई. वह स्वर्ण मुद्रा से प्रभु की सेवा और भोग का इंतजाम किया करते थे. जब स्वामी जी को पैसों की किल्लत होती थी तो ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण मुद्रा प्राप्त होती थी. यही वजह है कि सालभर में सिर्फ अक्षय तृतीया वाले दिन ही बांके बिहारी जी के चरण दर्शन होते हैं.

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