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Argoland: 15 करोड़ साल बाद एशिया में मिला वो महाद्वीप, जो ऑस्ट्रेलिया से हुआ था अलग, वैज्ञानिकों का दावा

Continent Of Argoland: नीदरलैंड के यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं को लगता है कि उन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया के पूर्वी द्वीपों के नीचे छिपे रहस्यमय भूभाग 'आर्गोलैंड' का पता लगा लिया है.

Argoland Continent: वैज्ञानिकों ने दक्षिण पूर्व एशिया में एक महाद्वीप के टुकड़े खोजे हैं, जिन्हें आर्गोलैंड के रूप में जाना जाता है. ये टुकड़े शुरू में ऑस्ट्रेलिया का हिस्सा थे, जो इंडोनेशिया के पूर्वी हिस्से की ओर बह गए थे. यह महाद्वीप कभी 155 मिलियन (15 करोड़ 50 लाख) वर्ष पुराने भूभाग का हिस्सा था, जो संयुक्त राज्य अमेरिका जितना फैला था.

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, नीदरलैंड के यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय के लेखक और भूविज्ञानी एल्डर्ट एडवोकेट ने कहा कि यह रिसर्च सात वर्षों तक चली. उन्होंने कहा कि महाद्वीपों के हाल ही में खोजे गए टुकड़े दक्षिण पूर्व एशिया के आसपास के क्षेत्रों में स्थित हैं और शुरू में वे ऑस्ट्रेलिया का हिस्सा थे.

आर्गोलैंड को लेकर क्या कहती है रिसर्च?

वैज्ञानिकों को दक्षिण पूर्व एशिया में रिबन महाद्वीपों के टुकड़े मिले लेकिन उन्हें वापस जोड़ने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. इस चेन को 'आर्गोलैंड' के नाम से जाना जाता है, जो शुरू में एक ठोस टुकड़े के रूप में शुरू हुई थी.

दक्षिण पूर्व एशिया की स्थिति अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका जैसे स्थानों से अलग है, जहां महाद्वीप लगभग दो टुकड़ों में टूट गए हैं. आर्गोलैंड कई टुकड़ों में बिखर गया जिससे महाद्वीप की यात्रा का पता लगाना मुश्किल हो गया है.

आर्गोलैंड के वर्तमान स्थान समेत एक मानचित्र साझा किया गया जिससे पता चलता है कि टुकड़े ज्यादातर इंडोनेशिया के पूर्वी हिस्से की ओर बह गए हैं और कुछ म्यांमार की ओर चले गए हैं. चूंकि यह एक ठोस भूभाग नहीं है, बल्कि सूक्ष्म महाद्वीपों की एक श्रृंखला है, यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय के एडवोकेट और उनके सहयोगियों ने आर्गोलैंड के लिए एक नया शब्द 'आर्गोपेलागो' गढ़ा है.

19 अक्टूबर को गोंडवाना रिसर्च मैगजीन में प्रकाशित निष्कर्ष पृथ्वी के विकास के बारे में सुराग प्रदान करते हैं, साथ ही इस बात पर भी प्रकाश डालते हैं कि वर्तमान जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र कैसे विकसित हुए.

वालेस रेखा का आर्गोलैंड से क्या है कनेक्शन?

वैज्ञानिकों की ओर से वालेस रेखा (Wallace Line) के दावे किए जा चुके हैं. जो इंडोनेशिया के मध्य से होकर गुजरने वाला एक काल्पनिक बैरियर है जो दक्षिण पूर्व एशियाई द्वीपों पर स्तनधारियों, पक्षियों और मनुष्यों को अलग करता है. द्वीपों के वन्य जीवन पर इसके महत्वपूर्ण प्रभाव के कारण यह काल्पनिक बैरियर लंबे समय से वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा है.

यह रेखा वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बन गई है जो इस तथ्य से आश्चर्यचकित हैं कि द्वीप के वन्य जीवन को इतना स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है. पश्चिमी भाग में वानर, बाघ और हाथी जैसे स्तनधारी पाए जाते हैं. हालांकि, पूर्व में मार्सुपियल्स (कंगारू जैसे जानवर) और कॉकटू (तोते नुमा) पाए जा सकते हैं जो आम तौर पर ऑस्ट्रेलिया से जुड़े जानवर हैं.

इस अंतर का श्रेय आर्गोलैंड को दिया जा सकता है, जिसने कभी अपना अनोखा जीवन संजोया था लेकिन ऑस्ट्रेलिया से दूर चला गया और दक्षिण पूर्व एशिया से टकरा गया. विशेषज्ञों का कहना है कि ये पुनर्निर्माण जलवायु और जैव विविधता के विकास जैसी प्रक्रियाओं को समझने या यहां तक कि कच्चे माल के स्रोतों की पहचान करने के लिए अहम है.

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