बदल जाएगा एक साथ राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव कराने का सिलसिला, जानिए कब-कब वक्त से पहले चुन लिया गया वाइस प्रेसीडेंट
देश में उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए और इंडिया गठबंधन ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद ये पद खाली था. चलिए जानें कब-कब वक्त से पहले हो गया उपराष्ट्रपति का चुनाव.

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति पद खाली हुआ था. अब इस पद के लिए चुनाव होने जा रहे हैं. एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन और इंडिया गठबंधन ने सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि भारत का राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ये दोनों पद देश की संवैधानिक व्यवस्था के शीर्ष पर हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों के चुनाव एक साथ कराने की परंपरा अब बदल सकती है? चलिए जानते हैं कैसे.
पांच साल का होता है कार्यकाल
भारत में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं. यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 54 और 55 के तहत होती है. आमतौर पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है और इनके चुनाव एक साथ होने की परंपरा रही है जिससे संवैधानिक निरंतरता बनी रहे. लोकसभा के चुनाव का तरीका सिंगल ट्रांसफरेबल वोटिंग सिस्टम और आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति पर आधारित होता है.
कब होता है चुनाव
भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव सामान्य रूप से उनके कार्यकाल की समाप्ति से पहले होता है जिससे नए उपराष्ट्रपति को समय पर पद ग्रहण करने का अवसर मिले. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति की पदावधि समाप्त होने से पहले रिक्ति को भरने के लिए चुनाव पूरा किया जाना चाहिए. हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में जैसे मृत्यु, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने के कारण, उपराष्ट्रपति का चुनाव कार्यकाल समाप्त होने से पहले असामान्य रूप से आयोजित किया जाता है. चलिए जानते हैं उस घटना को जब उपराष्ट्रपति का चुनाव वक्त से पहले हुआ.
कब हो गया वक्त से पहले चुनाव
- 1969 में वी.वी. गिरी के त्यागपत्र के बाद- वी.वी. गिरी ने 13 मई 1967 से 3 मई 1969 तक उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया. उन्होंने 1969 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. इसके परिणामस्वरूप, उपराष्ट्रपति पद के लिए समय से पहले चुनाव हुआ और गोपाल स्वरूप पाठक को 31 अगस्त 1969 को उपराष्ट्रपति चुना गया.
- 1979 में बी.डी. जत्ती के कार्यकाल के बाद- बी.डी. जत्ती ने 1974 से 1979 तक उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया. उनके कार्यकाल की समाप्ति के बाद, मोहम्मद हिदायतुल्लाह को 31 अगस्त 1979 को उपराष्ट्रपति चुना गया. यह चुनाव भी कार्यकाल समाप्ति से पहले आयोजित किया गया था.
- 2002 में कृष्ण कांत की मृत्यु के बाद- कृष्ण कांत, जो 1997 से 2002 तक उपराष्ट्रपति थे उनका कार्यकाल के दौरान 27 जुलाई 2002 को निधन हो गया। इसके कारण उपराष्ट्रपति पद रिक्त हो गया और भैरों सिंह शेखावत को 19 अगस्त 2002 को उपराष्ट्रपति चुना गया.
- 2025 में जगदीप धनखड़ के त्यागपत्र के बाद- जगदीप धनखड़ ने 11 अगस्त 2022 से 21 जुलाई 2025 तक उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से 21 जुलाई 2025 को इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए नए सिरे से चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई. भारत निर्वाचन आयोग ने 9 सितंबर 2025 को मतदान की तारीख घोषित की और नामांकन की अंतिम तारीख 21 अगस्त 2025 निर्धारित की गई.
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Source: IOCL
























