दुश्मन बन रहे दोस्त... चीन और भारत आ जाएं साथ तो अमेरिका को होगा कितना नुकसान, कैसे बदल जाएगा वर्ल्ड ऑर्डर?
अगर भारत और चीन, दो एशियाई दिग्गज, अपनी पुरानी दुश्मनी को भूलकर दोस्ती का हाथ बढ़ाएं, तो क्या होगा? क्या इससे अमेरिका की वैश्विक साख को झटका लगेगा?

चीनी विदेश मंत्री वांग यी तीन दिवसीय भारत यात्रा पर हैं. इस दौरान मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उनसे मुलाकात की. मुलाकात में चीन ने भारत को उर्वरक, रेयर अर्थ एलिमेंट और सुरंग खोदने वाली मशीन देने की बात की है. ये बड़ी राहत ऐसे समय पर है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर भारी भरकम टैरिफ लगाया है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर भारत और चीन दो एशियाई महाशक्तियां अपनी पुरानी दुश्मनी को भूलकर दोस्ती का हाथ बढ़ाएं तो क्या होगा? क्या इससे अमेरिका की वैश्विक बादशाहत को झटका लगेगा? चलिए जानते हैं.
चीन-भारत साथ आए तो क्या होगा
भारत और चीन दो पड़ोसी देश जिनके बीच सीमा विवाद और ऐतिहासिक तनाव जगजाहिर हैं. लेकिन अगर ये दोनों देश एक साथ आ जाएं, तो उनकी संयुक्त ताकत आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक विश्व मंच पर एक नई कहानी लिख सकती है. भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और चीन की विशाल उत्पादन क्षमता मिलकर वैश्विक व्यापार को नया आकार दे सकती है. दोनों देशों की आबादी, तकनीकी प्रगति और सैन्य शक्ति एक ऐसी ताकत बन सकती है जो अमेरिका के प्रभुत्व को चुनौती दे.
अमेरिका के लिए इसका क्या मतलब?
सबसे पहले आर्थिक नुकसान की बात करें तो भारत और चीन की साझेदारी से एशिया में एक नया व्यापारिक गठजोड़ बन सकता है, जो अमेरिकी कंपनियों के लिए बाजार को और प्रतिस्पर्धी बना देगा. उदाहरण के लिए, अगर भारत और चीन मिलकर 5G टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग करें, तो अमेरिका की तकनीकी कंपनियों को भारी नुकसान हो सकता है. इसके अलावा, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में चीन का दबदबा और भारत की उभरती भूमिका मिलकर अमेरिका पर निर्भरता को कम कर सकती है.
कूटनीतिक असर
अमेरिका ने हाल के वर्षों में भारत को अपने क्वाड गठबंधन और इंडो-पैसिफिक रणनीति का अहम हिस्सा बनाया है जिससे चीन को संतुलित किया जा सके. लेकिन अगर भारत और चीन एक साथ आ जाएं, तो क्वाड जैसे गठबंधन कमजोर पड़ सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर भी भारत-चीन गठजोड़ अमेरिका के प्रभाव को चुनौती दे सकता है. ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन जैसे मंचों पर इन दोनों देशों की एकजुटता अमेरिका के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकती है.
सैन्य संतुलन
भारत और चीन की संयुक्त सैन्य ताकत अमेरिका की नौसेना और सैन्य उपस्थिति को कमजोर कर सकती है. अगर ये दोनों देश मिलकर समुद्री मार्गों और क्षेत्रीय सुरक्षा पर सहयोग करें तो अमेरिका का दबदबा कम हो सकता है.
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Source: IOCL






















