सोशल मीडिया पर दिखाई देने वाले नकली एआई कंटेंट की पहचान कैसे करें? बहुत काम आएंगे ये टिप्स
Fake AI Post Identification: एआई से बने नकली फोटो, वीडियो या आवाज की पहचान मुश्किल नहीं है. बस इन जरूरी डिटेल्स पर ध्यान देने की होती है जरूरत. जान लीजिए जरूरी बातें.

Fake AI Posts: आज सोशल मीडिया पर हर दिन हजारों नई फोटो और वीडियो वायरल होती हैं. इनमें से कई असली लगती हैं लेकिन असल में वह एआई से बनाई गई होती हैं. कई बार लोग इन पर भरोसा कर लेते हैं और फेक खबरें या झूठी जानकारी फैल जाती हैं. अब जबकि एआई टूल्स बहुत आसान हो गए हैं.
कोई भी मिनटों में नकली लेकिन बेहद असली दिखने वाला कंटेंट बना सकता है. ऐसे में जरूरी है कि आप पहचान सकें कि कौन-सी फोटो या वीडियो असली है और कौन-सी जनरेटेड. चलिए जानते हैं कुछ आसान और काम आने वाले तरीके. जिनसे आप एआई से बने नकली कंटेंट को पकड़ सकते हैं.
फोटो और वीडियो के डिटेल्स पर गौर करें
एआई से बनी फोटो या वीडियो अक्सर पहली नजर में बिल्कुल असली लगती है. लेकिन थोड़ा ध्यान देने पर उनमें गलतियां दिख जाती हैं. जैसे, किसी इंसान के हाथों की उंगलियां ज़्यादा या कम होना. चेहरों के आसपास धुंधलापन होना या आंखों की डायरेक्शन अजीब लगना. इसके अलावा बैकग्राउंड में टेढ़े-मेढ़े ऑब्जेक्ट, गलत शेडो या लाइटिंग भी एआई कंटेंट की पहचान होती है.
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अगर आपको किसी वायरल फोटो पर शक हो, तो उसे Google Lens या TinEye पर रिवर्स सर्च करें. इससे पता चल जाएगा कि वह फोटो पहले कब और कहां अपलोड हुई थी. अगर वही फोटो किसी एआई जनरेटेड वेबसाइट से आई है या पहले किसी और रेफरेंस में यूज हुई है. तो वह असली नहीं है.
टेक्स्ट, आवाज़ और कैप्शन को ध्यान से देखें
एआई अब सिर्फ पिक्चर ही नहीं. बल्कि वीडियो और आवाजें भी तैयार कर सकता है. डीपफेक वीडियो में किसी की भी असली आवाज और चेहरे को काॅपी कर नकली बयान दिखाया जा सकता है. ऐसे वीडियो में चेहरे की मूवमेंट आवाज से मेल नहीं खाती या लिपसिंक थोड़ा गड़बड़ होता है.
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इसके साथ ही एआई जनरेटेड टेक्स्ट में भी पैटर्न होता है. जैसे बहुत सही ग्रामर लेकिन कोई इमोशनल कनेक्ट नहीं. अगर कोई पोस्ट बहुत परफेक्ट या बनावटी लगे. तो उस पर शक करें. सोशल मीडिया पर किसी भी वायरल कंटेंट को शेयर करने से पहले उसकी पुष्टि करें. बहुत सा कंटेट आजकल एआई से फेक बनाया जा रहा है.
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