उत्तराखंड: चिल्ला जोन में रेस्क्यू हाथियों की मार्मिक कहानियों के साथ फिर शुरू हुई सफारी
Uttarakhand News: राजाजी टाइगर रिजर्व के चिल्ला जोन में हाथी सफारी फिर शुरू हुई. रेस्क्यू हाथी राधा, रंगीली और अन्य सात हाथियों की मार्मिक कहानियां पर्यटकों को जंगल और संरक्षण से रूबरू कराती हैं.

उत्तराखंड के देहरादून में स्थित राजाजी टाइगर रिजर्व के चिल्ला जोन में एक बार फिर हाथी सफारी शुरू हो गई है. यह सफारी सिर्फ रोमांच का अनुभव ही नहीं कराती, बल्कि उन सात रेस्क्यू हाथियों की दिल छू लेने वाली कहानियों से भी परिचय कराती है, जिन्हें यहां जीवन का नया अध्याय मिला है.
चिल्ला हाथी शिविर इन हाथियों का सुरक्षित आश्रय बन चुका है, जहां उन्हें बचाया गया, उपचार दिया गया और स्नेह-धैर्य के साथ पुनः सामान्य जीवन के योग्य बनाया गया.
अपने पूरे दल का नेतृत्व करती है राधा और रंगीली
इस वर्ष सफारी संचालन की जिम्मेदारी शिविर की दो अनुभवी हथिनियों राधा और रंगीली को दी गई है. दोनों ही पर्यटकों को जंगल की गहराइयों तक ले जाती हैं और चिल्ला की जैव विविधता का करीब से परिचय कराती हैं. शिविर में वरिष्ठतम मानी जाने वाली राधा, 2007 में दिल्ली जू से लाई गई थी. अब लगभग 35 वर्ष की हो चुकी राधा ने कई अनाथ गज शिशुओं रानी, जॉनी, सुल्तान और कमल को अपनी ममता से पाला है. जंगल के रास्तों को भली-भांति जानने वाली राधा सफारी के दौरान सबसे आगे रहती है और पूरे दल का नेतृत्व करती है.
दिल्ली जू से लाई गई दोनों हथिनी- वन विभाग
राधा की साथी रंगीली भी दिल्ली जू से लाई गई हथिनी है. शांत स्वभाव, अनुशासन और जिम्मेदारी के कारण वह शिविर का दूसरा आधारस्तंभ मानी जाती है. वह छोटे हाथियों को सिखाने और संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. पर्यटकों को जंगल की बारीकियों से अवगत कराने में दोनों हथिनियां बेहद कुशल हैं.
जंगली हाथियों को दिशा दिखाता है राजा
शिविर के सबसे संवेदनशील अध्यायों में से एक है 'राजा' की कहानी. 2018 में मानव-हाथी संघर्ष के दौरान पकड़ा गया राजा उस समय तनावग्रस्त था. महीनों की देखभाल, प्रशिक्षण और प्यार के बाद वह पूरी तरह शांत व भरोसेमंद बन गया. बरसात में जब वाहन गश्त संभव नहीं होती, राजा स्टाफ को अपनी पीठ पर बैठाकर कठिन इलाकों में ले जाता है और कई बार जंगली हाथियों को दिशा भी दिखाता है.
इस समूह का सबसे छोटा सदस्य है कमल
इसी तरह रानी, जॉनी और सुल्तान की कहानियां भी भावुक कर देने वाली हैं. रानी, जिसे 2014 में गंगा में बहते हुए बचाया गया था, आज एक प्रशिक्षित हथिनी बन चुकी है. वहीं जॉनी और सुल्तान दोनों अनाथ अब शिविर के उपयोगी सदस्य हैं और रोजमर्रा के कार्यों में मदद करते हैं. समूह का सबसे छोटा सदस्य है कमल, जिसे 2022 में रवासन नदी से बचाया गया था. राधा उसे साये की तरह संभालती है और वह धीरे-धीरे जंगल की दुनिया को समझना सीख रहा है.
राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के अनुसार, चिल्ला हाथी शिविर मनुष्य और वन्यजीवों के सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व का अनोखा उदाहरण है. प्रशिक्षित हाथियों की मदद से जंगल की सुरक्षा व्यवस्था भी मजबूत हुई है. हाथी सफारी का यह पुनः आरंभ केवल पर्यटन आकर्षण नहीं, बल्कि संरक्षण, संवेदना और प्रकृति के प्रति सम्मान का जीवंत संदेश है.
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