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Bastar: नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रही खदानें, ब्लास्ट से घरों में पड़ रहीं दरारें, सैकड़ों ग्रामीण बीमार

Chhattisgarh: बस्तर जिले में 200 से भी अधिक गिट्टी खदानें संचालित हो रही हैं. करोड़ों की आमदनी के बावजूद खदान मालिक गांव को रॉयल्टी नहीं दे रहे हैं, जिससे गांवों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.

Bastar News: खनिज संपदा से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ के बस्तर में क्रशर प्लांट संचालकों की मनमानी की वजह से ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ रही है. बस्तर जिले के कई ऐसे गांव हैं जहां सारे नियमों को ताक में रखकर गिट्टी खदानों का संचालन किया जा रहा है और ग्रामीणों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. खदानों में ब्लास्ट की वजह से आसपास के कई ग्रामीणों के घरों में दरारें पड़ गई हैं. यही नहीं कई घरों की दीवारें भी ढह गई हैं. खदानों से निकलने वाली धूल से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर भी काफी बुरा असर पड़ रहा है. इसके बावजूद खनिज विभाग गिट्टी खदानों के संचालकों पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है और इसी वजह से कई ग्रामीण अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हैं.

नियमों को ताक पर रख कर हो रहा खदानों का संचालन
दरअसल बस्तर जिले में अलग-अलग कुल 7 ब्लॉक में 200 से भी अधिक क्रशर प्लांट गिट्टी खदान संचालित हो रही हैं. हालांकि इनमें से कुछ खदानों में नियमों का पालन तो हो रहा है लेकिन दरभा ब्लॉक के कड़मा और उसके आसपास के गांव में संचालित क्रशर खदान के मालिकों द्वारा सारे नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, ऐसा कोई दिन नहीं होता जब इन प्लांट में ब्लास्ट नहीं होता हो. आसपास के इलाके में 15 से अधिक गिट्टी खदान संचालित हो रही हैं जहां ब्लास्ट कर बड़े-बड़े पत्थरों को तोड़ा जाता है. इन ब्लास्ट के चलते खदान के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, उनके घरों की दीवारें ब्लास्ट से फट रही हैं और कई घरों में दरारें पड़ चुकी हैं. इन खदान मालिकों को करोड़ों रुपए की आमदनी के बावजूद रॉयलटी नहीं देने से गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.

खदानों से निकलने वाली धूल से बीमार हो रहे बच्चे और बुजुर्ग
कड़मा पंचायत की आबादी लगभग 1500 है जहां के अधिकांश घरों के दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं और कुछ घरों की दीवारें तो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, ग्रामीणों ने बताया कि हर रोज आसपास की खदानों में ब्लास्ट किया जाता है और इस ब्लास्ट से पूरा गांव दहल जाता है, वहीं खदानों से निकलने वाली धूल से उनके बच्चे और बड़े भी बीमार हो रहे हैं. उनका कहना है कि वे कई सालों से गांव में निवास कर रहे हैं. उनके रहने के बाद ही इन इलाकों में गिट्टी खदानों को खोला गया है. खदानों के संचालकों के द्वारा पहले यह कहा गया कि इस ब्लास्ट से किसी तरह का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और रॉयल्टी के पैसे से गांव का विकास होगा, लेकिन खदानें खुलने के बाद ना ही रॉयल्टी के पैसे से गांव का विकास हो रहा है और ना ही ब्लास्ट और धूल से ग्रामीणों को निजात मिल रही है. ऐसे में ग्रामीण चाहते हैं कि गिट्टी खदानों में लापरवाही बरतने वालों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि उनका घर ढहने से बच सके.

मामले को लेकर क्या बोला खनिज विभाग
इधर खनिज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कई बार गिट्टी खदानों के संचालकों को नियमों के मुताबिक ब्लास्ट करने की चेतावनी दी गई है, जिस जगह से शिकायत मिली है उस जगह पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी. अधिकारी ने बताया कि इन खदानों से मिलने वाली रॉयल्टी के कुछ राशि गांव के विकास में लगाई जाती है, हालांकि जिन जगहों पर ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं की मांग कर रहे हैं उन जगहों पर विकास कार्य किया जा रहा है.

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