नौतपा के नौ दिनों में नहीं पड़ी गर्मी तो क्या आ जाएगा जलजला? जान लीजिए इसका सच
Nautapa 2025: भीषण गर्मी की मार के बीच नौतपा भी शुरू होने वाला है. गर्मी के ये नौ दिन भीषण तरीके से तपने जरूरी होते हैं. अगर ऐसा नहीं हुआ तो कहा जाता है कि मौसम के लिए ठीक नहीं होता है.

देश इस वक्त भीषण गर्मी की मार झेल रहा है. उत्तर भारत समेत दिल्ली सभी जगहें सिर्फ तप रही हैं. हालांकि दो दिन पहले दिल्ली-एनसीआर में आई आंधी और बारिश की वजह से मौसम सुहाना हुआ था, लेकिन फिर से वही गर्मी पड़ना शुरू हो गई है. लोग इस भीषण गर्मी से बेहाल हो रहे हैं. गर्मी से लोगों की हालत खराब हो रही है और सूर्य देव हैं कि अपने तेवर कम करने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. इसी बीच नौतपा भी शुरू होने वाला है. लेकिन अगर नौतपा के नौ दिन भयानक गर्मी नहीं पड़ी तो क्या होगा. क्या सच में जलजला आएगा?
क्यों तपता है नौतपा
नौतपा गर्मी के वो नौ दिन होते जो कि बहुत भारी पड़ते हैं क्योंकि इन नौ दिनों में गर्मी बेहाल कर देती है. ये हर साल मई या जून में होते हैं. इस बार ये मई और जून में पड़ रहे हैं. 25 मई से शुरू होकर 3 जून तक नौतपा चलेगा. इस दौरान सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है और सूर्य की किरणें धरती के कई हिस्सों पर सीधी पड़ती हैं. इसीलिए बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है.
नौ दिन तपने क्यों है जरूरी
नौतपा का किसानों को खासतौर पर इंतजार रहता है, क्योंकि इसका सीधा और सकारात्मक असर खेती पर होता है. क्योंकि माना जाता है कि अगर ये नौ दिन खूब तपते हैं तो बारिश जमकर होती है. अगर नौतपा के दौरान बारिश हो जाती है तो फिर बाद में बारिश कम होने की आशंका होती है. जानकारों की मानें तो इसका सबसे ज्यादा फायदा किसानों को होता है, क्योंकि सूरज जितना प्रचंड होगा और लू चलेगी तो बारिश के लिए यह उतना ही अच्छा है. भीषण गर्मी की वजह से खेतों में कीट-पतंगे और जहरीले जीव-जंतुओं का खात्मा हो जाता है.
नौ दिन नहीं तपने से आ जाता है जलजला?
ऐसा कुछ नहीं है कि नौतपा के नौ दिन नहीं तपने पर जलजला आ जाता है. लेकिन नौतपा के शुरुआती दो दिन लू नहीं चलने पर चूहे हो जाएंगे, अगले दो दिन फिर लू न चली तो फसल तो नुकसान न पहुंचाने वाले कीट नहीं हो पाएंगे. तीसरे दिन से दो दिनों तक लू नहीं चली तो टिड्डियों के अंडे खत्म नहीं होंगे. इसके बाद चौथे दिन से नहीं तपा तो बुखार वाले बैक्टीरिया खत्म नहीं होंगे. इसके बाद गर्मी नहीं पड़ी तो जहरीले जीव-जंतुओं का खात्मा नहीं होगा. आखिरी के दो दिन नहीं तपने पर आंधी ज्यादा चलेगी, जिससे फसलें नष्ट हो जाएंगी. शायद इसे ही जलजला कहा जाता होगा.
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