एक्सप्लोरर
ऑनलाइन फ्रॉड के पीछे छिपा है दिमागी खेल, ऐसे सबसे चालाक लोग भी बन जाते हैं शिकार
Online Fraud: भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के आंकड़े बताते हैं कि देश में ऑनलाइन धोखाधड़ी कितनी तेजी से बढ़ रही है.
भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के आंकड़े बताते हैं कि देश में ऑनलाइन धोखाधड़ी कितनी तेजी से बढ़ रही है. जनवरी से अप्रैल 2024 के बीच 20,043 ट्रेडिंग स्कैम दर्ज हुए जिनकी रकम करीब 14,204 करोड़ रुपये थी. वहीं, 62,687 इन्वेस्टमेंट स्कैम से 2,225 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी हुई. ज्यादातर मामलों में फर्जी ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म, लोन ऐप, गेमिंग और डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल किया गया.
1/8

बहुत से लोग सोचते हैं कि वे कभी ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार नहीं होंगे. लेकिन सच यह है कि पुलिस अफसरों और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों तक को स्कैमर्स बेवकूफ बना चुके हैं. वजह है हमारी मानव मनोविज्ञान (ह्यूमन साइकोलॉजी) जिसे ठग बखूबी समझते हैं और उसका फायदा उठाते हैं.
2/8

ऑनलाइन धोखेबाज़ कुछ खास मनोवैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं जिनसे इंसान आसानी से प्रभावित हो जाता है. ये वही तरीके हैं जो मार्केटिंग, विज्ञापन और पॉलिटिक्स में भी अपनाए जाते हैं.
3/8

रोमांस स्कैम में प्यार, इन्वेस्टमेंट स्कैम में पैसा, जॉब स्कैम में नौकरी या समाज में स्टेटस स्कैमर्स हमेशा वही ऑफर देते हैं जिसकी इंसान को चाह होती है.
4/8

ठग खुद को CBI, NIA, RBI या ED जैसे बड़े संस्थानों का अधिकारी बताकर लोगों से विश्वास हासिल करते हैं. फर्जी NGO या राहत अभियान दिखाकर चैरिटी डोनेशन के नाम पर पैसे हड़पना आम तरीका है. रोमांस या पेमेंट फ्रॉड में स्कैमर्स आपकी नज़र असली चाल पर नहीं पड़ने देते और इसी बीच ठगी हो जाती है.
5/8

"सीमित समय का ऑफर" या "सिर्फ कुछ टिकट बचे हैं" जैसे संदेश लोगों को तुरंत निर्णय लेने पर मजबूर कर देते हैं. कभी VPN के नाम पर मैलवेयर इंस्टॉल करवाना, तो कभी आपके अकाउंट से मनी म्यूल स्कीम चलाना – यह सबसे खतरनाक तरीका है.
6/8

अगर आप किसी ऑफर या कॉल पर संदेह कर रहे हैं तो खुद से तीन सवाल पूछें. इसका असली मकसद क्या है? इससे किसे फायदा होगा? क्या मेरे पास सोच-समझकर चुनाव करने की आज़ादी है? अगर जवाब साफ न हो तो सावधान हो जाइए.
7/8

हमारी भावनाएं, रिश्ते, सोचने का तरीका और विश्वास सब कुछ स्कैमर्स के लिए हथियार बन जाते हैं. हर इंसान की कमजोरी अलग होती है और ठग उसी को निशाना बनाते हैं. पुरुष ज़्यादातर इन्वेस्टमेंट स्कैम का शिकार होते हैं. महिलाएं अक्सर रोमांस स्कैम में फंस जाती हैं.
8/8

कई लोग सोचते हैं कि वे कभी ठगी में नहीं फंस सकते. यही ओवरकॉन्फिडेंस उन्हें जोखिम उठाने पर मजबूर करता है और छोटे-छोटे संकेतों को नज़रअंदाज़ करा देता है. ऑस्ट्रेलिया में चलाया गया "Stop. Check. Protect" अभियान यह सिखाता है कि किसी भी ऑफर या कॉल पर तुरंत प्रतिक्रिया न दें. पहले रुकें, जांचें और फिर ही कोई निर्णय लें.
Published at : 01 Oct 2025 10:54 AM (IST)
और देखें
Advertisement
Advertisement
























