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कभी स्मॉग में घुटता था चीन! टेक्नोलॉजी के दम पर कैसे बदली हवा की तकदीर, जानिए क्या है पूरी कहानी
Technology For Pollution Control: कभी चीन भी उसी हालात से जूझ रहा था जिनसे आज दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के कई शहर हर सर्दी में परेशान होते हैं.
कभी चीन भी उसी हालात से जूझ रहा था जिनसे आज दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के कई शहर हर सर्दी में परेशान होते हैं. घना स्मॉग, आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत वहां भी आम बात थी. लेकिन समय के साथ चीन ने हालात बदले और इसकी बड़ी वजह बना टेक्नोलॉजी का सोच-समझकर किया गया इस्तेमाल. आज वहां कई बड़े शहरों में हवा की स्थिति पहले से काफी बेहतर मानी जाती है. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि चीन ने ऐसा कैसे किया और भारत उसके अनुभव से क्या सीख सकता है.
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इंडियन एक्प्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में प्रदूषण की जड़ें उसके तेज औद्योगिक विकास से जुड़ी थीं. 1978 में आर्थिक उदारीकरण के बाद फैक्ट्रियों, बिजली संयंत्रों और वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ी जिससे कार्बन उत्सर्जन और PM2.5 जैसे खतरनाक कण हवा में भर गए. कोयले पर भारी निर्भरता, खेतों में पराली जलाना और रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल हालात को और बिगाड़ रहा था. यह स्थिति भारत से काफी मिलती-जुलती थी.
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2008 के बीजिंग ओलंपिक ने इस समस्या को पूरी दुनिया के सामने ला दिया. अंतरराष्ट्रीय दबाव और घरेलू विरोध प्रदर्शनों के बाद चीन सरकार के लिए प्रदूषण को नजरअंदाज करना मुश्किल हो गया. इसके बाद 2010 के आसपास वायु गुणवत्ता सुधारने को लेकर ठोस कदम उठाए जाने लगे.
Published at : 20 Dec 2025 10:01 AM (IST)
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