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बरसाना ही नहीं ब्रज के इस जिले में भी होती है लठमार जैसी होली, पुरुषों पर होता है पैना से प्रहार, देखें तस्वीरें
UP News: यूपी के फिरोजाबाद में ब्रज की ही तरह होली खेली जाती है. लेकिन यहां लठ्ठ की जगह पैना का इस्तेमाल किया जाता है. महिलाएं इस दौरान पुरुषों को पैना से मारती है. होली के एक दिन बाद खेली जाती है.
फिरोजाबाद खबर
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फागुन के महीने ब्रज में कई प्रकार की होली होती है, जैसे लड्डुओं की होली, फूलों की होली और लठमार होली लेकिन बृज के एक जिले में पैना मार होली की भी परंपरा है. जिस छड़ी से बैलों को हांका जाता है, उसे ब्रज की भाषा में पैना कहते हैं और ब्रज में स्थित फिरोजाबाद के गांव चुल्हावली में पैना मार होली का आयोजन किया जाता है. इस होली में गांव की महिलाएं पुरुषों पर पैनै से प्रहार करती हैं.
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ब्रज की लठमार होली दुनिया भर में प्रसिद्ध है और इस होली को खेलने और देखने के लिए देश भर से तमाम लोग बरसाने पहुंचते हैं. लेकिन ब्रजमंडल के फिरोजाबाद जनपद के गांव में ब्रज की लठमार होली से मिलती-जुलती एक होली रंग की होली खेलने के बाद खेली जाती है.
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इस होली में महिलाओं के पास लाठी और डंडे नहीं बल्कि बैलगाड़ी हांकने वाला पैना होता है. महिलाएं लकड़ी के डंडे पर लगी लेदर बेल्ट वाले पैने से गांव के युवकों और पुरुषों के साथ यह होली खेलती हैं. इस होली की परंपरा सदियों से चली आ रही है. यही नहीं इस होली में जो महिला शुरू से लेकर आखिर तक लगभग 4:30 से 5 घंटे तक पुरुषों को दौड़ाती रहती है, उस महिला को प्रथम विजेता के तौर पर पुरस्कार दिया जाता है.
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इस होली में हिस्सा लेने वाली महिलाओं के द्वारा पुरुषों के पैरों और पीठ पर पैने से प्रहार किए जाते हैं और पुरुष होली के गीतों पर यह चोट सहते हुए थिरकते रहते हैं. यह होली लगभग 3 घंटे चलती है इस दौरान चौक के अलावा होली देखने आए लोगों को भी इन महिलाओं की मार खानी पड़ती है. जिस ओर महिलाओं का दल जाता है वहां खड़े पुरुष और बच्चे भागने लगते हैं.
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गांव के पूर्व प्रधान शंकर सिंह सोलंकी बताते हैं कि यह परंपरा सदियों पुरानी है. वह जब से पैदा हुए हैं तब से यह देख रहे हैं. इससे पहले उनकी दादी बताती हैं कि जब वह ब्याह कर यहां आई थी उससे पहले से यहां यह परंपरा चली आ रही है. गांव के ही रहने वाले भगवान सिंह भल्ला बताते हैं कि, जब से गांव बसा है तब से यह परंपरा चली आ रही है क्योंकि यह ब्रज का हिस्सा है. इसलिए बरसाने की होली का ही यह दूसरा रूप है, जो यहां पर होली के दिन शाम के समय यहां के महिलाएं और पुरुष खेलते हैं.
Published at : 18 Mar 2025 12:38 PM (IST)
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