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Noida News: नोएडा के ये डॉक्टर 11 सालों से कर रहें हैं ट्रैफिक पुलिस का काम, जानें- कैसे एक हादसे ने बदली जिंदगी?

करीब 11 साल पहले डॉक्टर कृष्ण यादव ने एक ऐसी घटना देखी जिसने उन्हें झकझोर कर रख दिया. इसके बाद से डॉक्टर क्लीनिक से बचे हुए समय से नोएडा की सड़कों से ट्रैफिक हटाने का काम करते हैं.

करीब 11 साल पहले डॉक्टर कृष्ण यादव ने एक ऐसी घटना देखी जिसने उन्हें झकझोर कर रख दिया. इसके बाद से डॉक्टर क्लीनिक से बचे हुए समय से नोएडा की सड़कों से ट्रैफिक हटाने का काम करते हैं.

(नोएडा के डॉक्टर कृष्ण यादव ट्रैफिक पुलिस का काम कर रहे हैं)

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Delhi-NCR News: दिल्ली एनसीआर कि दौड़ती सड़के और उन सड़कों पर अंधाधुन चलने वाली गाड़ियां और उसकी रफ्तार को तोड़ती ट्रैफिक की समस्या से आजकल हर कोई जूझ रहा है. सड़कों पर लगने वाला ये ट्रैफिक कई बार जानलेवा भी साबित हुआ है. अब आप सोच रहे होंगे कि भला ट्रैफिक से किसी की जान कैसे जा सकती है. ट्रैफिक ने ना जाने आजतक कितनी जाने ली हैं, ये कहते कहते डॉक्टर कृष्ण यादव भावुक हो गए. रुहांसी सी आवाज में खुद को संभालते हुए वो बोले कि ट्रैफिक में कई बार एंबुलेंस भी फंस जाता है और समय से अस्पताल नहीं पहुंचने की वजह से मरीज की जान चली जाती है. इसी ट्रैफिक कि समस्या से मरीजों को निजात दिलाने के लिए पेशे से डॉक्टर कृष्ण यादव जो अपना क्लीनिक चलाते हैं उन्होंने शाम के वक्त ट्रैफिक कंट्रोलर का काम करना शुरू किया. उन्होंने शुरुआत अकेले की वो भी एक हादसे का गवाह बनने के बाद उन्होंने इस काम को शुरू किया.
Delhi-NCR News: दिल्ली एनसीआर कि दौड़ती सड़के और उन सड़कों पर अंधाधुन चलने वाली गाड़ियां और उसकी रफ्तार को तोड़ती ट्रैफिक की समस्या से आजकल हर कोई जूझ रहा है. सड़कों पर लगने वाला ये ट्रैफिक कई बार जानलेवा भी साबित हुआ है. अब आप सोच रहे होंगे कि भला ट्रैफिक से किसी की जान कैसे जा सकती है. ट्रैफिक ने ना जाने आजतक कितनी जाने ली हैं, ये कहते कहते डॉक्टर कृष्ण यादव भावुक हो गए. रुहांसी सी आवाज में खुद को संभालते हुए वो बोले कि ट्रैफिक में कई बार एंबुलेंस भी फंस जाता है और समय से अस्पताल नहीं पहुंचने की वजह से मरीज की जान चली जाती है. इसी ट्रैफिक कि समस्या से मरीजों को निजात दिलाने के लिए पेशे से डॉक्टर कृष्ण यादव जो अपना क्लीनिक चलाते हैं उन्होंने शाम के वक्त ट्रैफिक कंट्रोलर का काम करना शुरू किया. उन्होंने शुरुआत अकेले की वो भी एक हादसे का गवाह बनने के बाद उन्होंने इस काम को शुरू किया.
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आज से लगभग 11 साल पहले अक्टूबर के महीने में डॉक्टर कृष्ण यादव ने एक ऐसी घटना देखी जिसने उन्हें झकझोर कर रख दिया. उस घटना से प्रेरणा लेकर उन्होंने कुछ अलग करने की ठानी थी. कृष्ण यादव एबीपी न्यूज से अपनी कहानी का जिक्र करते हुए कहते है कि वो दिन 29 अक्टूबर का था, नोएडा में लंबा ट्रैफिक लगा हुआ था और कोई यू टर्न नहीं होने कि वजह से गाड़ियां फसी हुई थी ऐसे में एक एंबुलेंस बार-बार सायरन बजा रहा था काफी देर तक वो सायरन बजता रहा लेकिन ट्रैफिक खत्म नहीं हुआ. वो उस दिन अपने घर तो चले गए लेकिन मन में बार-बार ख्याल उस मरीज का ही था. जैसे ही अगला दिन हुआ और डॉक्टर ने अखबार उठाया तो उस मरीज से जुड़ी खबर छपी थी जिसमें यह लिखा था कि नोएडा में ट्रैफिक में फंसे एक एंबुलेंस में मरीज की जान चली गई. इस घटना ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया वो भी इतना की उन्होंने कुछ करने की ठान ली और फिर उन्होंने तय किया कि अब अपने क्लीनिक से बचे हुए समय से नोएडा की सड़कों से ट्रैफिक हटाने का काम करेंगे.
आज से लगभग 11 साल पहले अक्टूबर के महीने में डॉक्टर कृष्ण यादव ने एक ऐसी घटना देखी जिसने उन्हें झकझोर कर रख दिया. उस घटना से प्रेरणा लेकर उन्होंने कुछ अलग करने की ठानी थी. कृष्ण यादव एबीपी न्यूज से अपनी कहानी का जिक्र करते हुए कहते है कि वो दिन 29 अक्टूबर का था, नोएडा में लंबा ट्रैफिक लगा हुआ था और कोई यू टर्न नहीं होने कि वजह से गाड़ियां फसी हुई थी ऐसे में एक एंबुलेंस बार-बार सायरन बजा रहा था काफी देर तक वो सायरन बजता रहा लेकिन ट्रैफिक खत्म नहीं हुआ. वो उस दिन अपने घर तो चले गए लेकिन मन में बार-बार ख्याल उस मरीज का ही था. जैसे ही अगला दिन हुआ और डॉक्टर ने अखबार उठाया तो उस मरीज से जुड़ी खबर छपी थी जिसमें यह लिखा था कि नोएडा में ट्रैफिक में फंसे एक एंबुलेंस में मरीज की जान चली गई. इस घटना ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया वो भी इतना की उन्होंने कुछ करने की ठान ली और फिर उन्होंने तय किया कि अब अपने क्लीनिक से बचे हुए समय से नोएडा की सड़कों से ट्रैफिक हटाने का काम करेंगे.
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डॉ कृष्णा यादव बताते हैं इसके बाद वो रुके नहीं और अगले ही दिन से सड़कों से ट्रैफिक हटाने का काम करने लगे. उन्होंने बताया कि यह सफर आसान नहीं रहा है क्योंकि ना तो उनके पास पुलिस की वर्दी है और ना ही कोई ट्रेनिंग थी लेकिन मन में हौसला था की अब  लोगों की मदद करनी है. उन्होंने बताया कई ऐसे भी मौके आए जब कई बार लोगों ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया तो वहीं कई बार उनसे बदतमीजी से भी बात की. अपने परिवार के बारे में बताते हुए डॉक्टर बताते हैं कि शुरुआत में उनका परिवार उन्हें सपोर्ट नहीं कर रहा था लेकिन धीरे-धीरे जब उन्होंने उनके इरादों को समझा तो अब उनका पूरा परिवार उन्हें सपोर्ट कर रहा है.
डॉ कृष्णा यादव बताते हैं इसके बाद वो रुके नहीं और अगले ही दिन से सड़कों से ट्रैफिक हटाने का काम करने लगे. उन्होंने बताया कि यह सफर आसान नहीं रहा है क्योंकि ना तो उनके पास पुलिस की वर्दी है और ना ही कोई ट्रेनिंग थी लेकिन मन में हौसला था की अब लोगों की मदद करनी है. उन्होंने बताया कई ऐसे भी मौके आए जब कई बार लोगों ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया तो वहीं कई बार उनसे बदतमीजी से भी बात की. अपने परिवार के बारे में बताते हुए डॉक्टर बताते हैं कि शुरुआत में उनका परिवार उन्हें सपोर्ट नहीं कर रहा था लेकिन धीरे-धीरे जब उन्होंने उनके इरादों को समझा तो अब उनका पूरा परिवार उन्हें सपोर्ट कर रहा है.
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डॉ कृष्णा यादव आज नोएडा ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर कई स्कूलों में बच्चों को ट्रैफिक नियमों के बारे में समझाने का भी काम करते हैं. उनके वर्कशॉप भी आयोजित किए जाते हैं.  वह फिर यही कहते हैं कि यह काम आसान नहीं था 11 साल पहले शुरू किए इस काम को करना किसी चुनौती से कम नहीं था. वह भी तब जब उनके खुद के बच्चे भी स्कूल जाते थे. कई बार भारी बारिश हो या तेज धूप पड़ रही हो तब भी वो लाउडस्पीकर और माइक लिए अपना काम करते रहे. कृष्ण यादव बताते हैं कि नोएडा में कुछ सालों पहले तक यूटर्न की बड़ी समस्या थी क्योंकि शहर में गाड़ियां तो बहुत ही लेकिन यूटर्न नहीं बने हुए थे जिससे ट्रैफिक की समस्या काफी बढ़ जाती थी लेकिन अब कई जगह यूटर्न बनने से लोगों को आने जाने में आसानी होने लगी है. वहीं अपने सफर के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने कई चौराहों पर अब तक काम किया है और फिलहाल वह सेक्टर 56 के चौराहे पर शाम में 3 घंटे काम करते है.
डॉ कृष्णा यादव आज नोएडा ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर कई स्कूलों में बच्चों को ट्रैफिक नियमों के बारे में समझाने का भी काम करते हैं. उनके वर्कशॉप भी आयोजित किए जाते हैं. वह फिर यही कहते हैं कि यह काम आसान नहीं था 11 साल पहले शुरू किए इस काम को करना किसी चुनौती से कम नहीं था. वह भी तब जब उनके खुद के बच्चे भी स्कूल जाते थे. कई बार भारी बारिश हो या तेज धूप पड़ रही हो तब भी वो लाउडस्पीकर और माइक लिए अपना काम करते रहे. कृष्ण यादव बताते हैं कि नोएडा में कुछ सालों पहले तक यूटर्न की बड़ी समस्या थी क्योंकि शहर में गाड़ियां तो बहुत ही लेकिन यूटर्न नहीं बने हुए थे जिससे ट्रैफिक की समस्या काफी बढ़ जाती थी लेकिन अब कई जगह यूटर्न बनने से लोगों को आने जाने में आसानी होने लगी है. वहीं अपने सफर के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने कई चौराहों पर अब तक काम किया है और फिलहाल वह सेक्टर 56 के चौराहे पर शाम में 3 घंटे काम करते है.

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