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Dark Web VS Deep Web: डार्क वेब और डीप वेब में कितना अंतर, क्या दोनों को इस्तेमाल करने पर मिलती है सजा?
Dark Web VS Deep Web: डीप वेब और डार्क वेब ऑनलाइन दुनिया की रहस्यमयी परतें हैं. आज हम जानेंगे इन दोनों के बीच का अंतर और साथ ही यह भी की क्या इनका इस्तेमाल करना कानूनी है या फिर गैर कानूनी.
Dark Web VS Deep Web: जिस इंटरनेट पर आप रोजाना ब्राउज करते हैं जैसे गूगल, यूट्यूब और सोशल मीडिया के जरिए, वह पूरे इंटरनेट का बस एक छोटा सा हिस्सा है. इन सब के नीचे डीप वेब और उससे भी ज्यादा गहरा डार्क वेब छुपा है. ये ऑनलाइन दुनिया की दो ऐसी रहस्यमयी परतें हैं जिन्हें ज्यादातर लोग गलत समझते हैं. आइए जानते हैं डीप वेब और डार्क वेब के बीच का अंतर और साथ ही यह भी की क्या इन दोनों का इस्तेमाल करने पर कोई सजा हो सकती है या फिर नहीं.
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डीप वेब में इंटरनेट के वे सभी हिस्से शामिल होते हैं जिन्हें गूगल या बिंग जैसे सर्च इंजन इंडेक्स नहीं कर सकते. यह पासवर्ड से सुरक्षित होते हैं और इनका इस्तेमाल आप रोज करते हैं. जैसे आपका बैंक अकाउंट डैशबोर्ड, ईमेल इनबॉक्स, सब्सक्रिप्शन वेबसाइट या फिर कंपनी का डेटाबेस. डीप वेब तक पहुंचने के लिए क्रेडेंशियल या फिर सीधे लिंक की जरूरत होती है ना की कोई गुप्त सॉफ्टवेयर की. आसान शब्दों में कहें तो डीप वेब इंटरनेट एक निजी और सुरक्षित परत है जिसे व्यक्तिगत और संस्थागत जानकारी की सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है.
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डीप वैब का इस्तेमाल पूरी तरह से कानूनी है. जब भी आप अपने जीमेल में लॉग-इन करते हैं या फिर अपनी ऑनलाइन बैंकिंग स्टेटमेंट को देखते हैं तो आप तकनीकी रूप से डीप वेब में प्रवेश कर रहे होते हैं. इसका इस्तेमाल सिर्फ तभी अवैध है जब कोई इसका इस्तेमाल हैक करने, डाटा चुराने या फिर निजी सिस्टम में सेंध लगाने के लिए करता है.
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डीप वेब के अंदर डार्क वेब छिपा हुआ है. इसे पूरी तरह से गुमनाम रहने के लिए डिजाइन किया गया है. इसे सिर्फ Tor जैसे खास ब्राउजर के जरिए से ही एक्सेस किया जा सकता है. यह ब्राउजर आपकी पहचान और स्थान को छुपाते हैं. वैसे तो इसे अक्सर एक डिजिटल अंडरवर्ल्ड के रूप में पहचान गया है लेकिन यहां सब कुछ अपराधिक नहीं होता. इसका इस्तेमाल व्हिसलब्लोअर, पत्रकार और कार्यकर्ता भी करते हैं जिन्हें सुरक्षित, गुमनाम संचार की जरूरत होती है.
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डार्क वेब अपने वैध उपयोग के बावजूद यहां पर पनपने वाली अवैध गतिविधियों की वजह से काफी ज्यादा कुख्यात है. यहां पर हथियारों, ड्रग्स, नकली मुद्रा और चोरी किए गए डाटा के काले बाजार हैं. इतना ही नहीं बल्कि कुछ वेबसाइट तो हैकिंग टूल भी बेचती हैं या फिर किराए पर हिटमैन जैसी सेवाएं भी देती हैं.
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सिर्फ टोर जैसे ब्राउजर के जरिए डार्क वेब तक पहुंचना भारत या फिर बाकी दूसरे देशों में गैरकानूनी नहीं है. हालांकि डार्क वेब पर जाकर कानूनी बाजारों से जुड़ना या फिर उनसे खरीदारी करना एक बड़ा अपराध है.
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डीप वेब के लिए सजा सिर्फ सभी लागू होती है जब आप कोई साइबर अपराध करते हैं. इसमें डाटा चोरी या फिर निजी डेटाबेस तक बिना आज्ञा के गैरकानूनी तरीके से पहुंचना शामिल है. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत ऐसे अपराधों के लिए जुर्माना और कारावास दोनों हो सकते हैं. डार्क वेब के लिए सजा इससे कई ज्यादा कड़ी है. गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल होने पर लंबी अवधि की कैद और भारी जुर्माना लग सकता है.
Published at : 22 Oct 2025 12:34 PM (IST)
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