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क्या होगा अगर पहाड़ों पर बंद हो जाए बर्फबारी, मैदानी इलाकों में कैसा होगा असर?
Snowfall On Mountains: समय-समय पर मौसम में बदलाव आते रहना जरूरी है, नहीं तो इसका असर पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ सकता है. अगर पहाड़ों पर बर्फबारी न हो तो जनजीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है.
भारत में हम आमतौर पर हर मौसम का मजा लेते हैं, गर्मी, सर्दी, शरद, पतझड़ और बारिश. हर मौसम के होने का कुछ कारण होता है. अगर सिर्फ गर्मी पड़ने लगे तो इंसान बर्दाश्त नहीं कर पाएगा या अगर सिर्फ सर्दी और बारिश हो तो भी जनजीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो जाएगा. इसीलिए समय-समय पर हर मौसम का आना जरूरी है. अब कुछ लोगों को गर्मी का मौसम ठीक लगता है तो कुछ को सर्दी का. सर्दी के मौसम में लोग बर्फबारी देखने के लिए पहाड़ी इलाकों का रुख करते हैं. लेकिन सोचिए कि अगर पहाड़ों पर बर्फबारी होना बंद हो जाए तो इसका मैदानी इलाकों पर क्या असर पड़ेगा.
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पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोग भले ही बर्फबारी से परेशान हो जाते हों, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर वहां बर्फ नहीं गिरेगी तो मैदानी इलाकों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
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अगर पहाड़ों पर बर्फ न हो तो धरती सूर्य की ऊर्जा को लगभग चार से छह गुना ज्यादा अवशोषित करती है. अगर पहाड़ों पर बर्फ गिरना बंद हो जाए तो ग्लेशियर का पिघलना, गंभीर जल संकट और पारिस्थितिक तंत्र पर इसका असर होता है.
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पहाड़ों की बर्फ पिघलकर नदियों में पानी सा स्रोत बनती है, जो कि खेती और पीने के पानी के लिए बहुत जरूरी है. बर्फबारी बंद होने से नदियां सूख सकती हैं.
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अगर बर्फबारी बंद हो जाए तो ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगेंगे, जिससे कि समुद्र का जलस्तर बढ़ सकता है और तटीय इलाकों में बाढ़ की संभावना रहती है.
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बर्फ गिरने से पारिस्थितिक तंत्र पर बुरा असर पड़ सकता है और कई जानवरों के मरने का खतरा बढ़ जाएगा.
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इससे तापमान में बढ़ोतरी होना या फिर अनियमित बारिश जैसी संभावनाएं उत्पन्न हो सकती हैं.
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बर्फबारी के बंद होने से भले ही हिमस्खलन का खतरा कम हो सकता है, लेकिन बर्फ के सिर्फ पिघलते रहने से भी खतरा बढ़ जाता है.
Published at : 07 Apr 2025 11:24 AM (IST)
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