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किस कॉलेज से पढ़े हैं जगद्गुरू रामभद्राचार्य, बाबा प्रेमानंद पर टिप्पणी के बाद हो रही चर्चा?
जगद्गुरु रामभद्राचार्य और संत प्रेमानंद महाराज के बीच संस्कृत ज्ञान को लेकर छिड़ा विवाद पूरे संत समाज में चर्चा का विषय बना हुआ है.
जगद्गुरु रामभद्राचार्य और संत प्रेमानंद महाराज के बीच छिड़े विवाद ने पूरे संत समाज और उनके अनुयायियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
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दरअसल, रामभद्राचार्य ने हाल ही में संत प्रेमानंद महाराज के संस्कृत ज्ञान को लेकर एक चुनौती भरा बयान दिया था. उनके इस बयान को कई लोगों ने प्रेमानंद महाराज का अपमान मान लिया.
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रामभद्राचार्य का संस्कृत अध्ययन वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से हुआ है. यहीं से उन्होंने वेद, दर्शन और संस्कृत व्याकरण में गहरी पकड़ बनाई. इसी विश्वविद्यालय से उनकी विद्वत्ता की नींव रखी गई, जिसने उन्हें जगद्गुरु का दर्जा दिलाया.
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वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय देश का एक प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थान है. यह दुनिया के सबसे बड़े संस्कृत विश्वविद्यालयों में गिना जाता है. वर्तमान में विश्वविद्यालय विभिन्न विषयों में स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों की पढ़ाई करवा रहा है.
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बचपन में आंखों की रोशनी खोने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद धर्म और अध्यात्म के प्रचार के लिए रामकथा की शुरुआत की और उससे मिलने वाली दक्षिणा को दिव्यांगों की सेवा में लगाया.
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पहले उन्होंने मिडिल स्तर तक की पढ़ाई के लिए एक विद्यालय खोला और बाद में उच्च शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना कर समाजहित में बड़ा योगदान दिया. यही कारण है कि वह आजीवन इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बने रहे.
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वह दुनिया के पहले दृष्टिबाधित कुलाधिपति हैं. जब वह सिर्फ दो महीने के थे, तभी ट्रेकोमा नामक बीमारी के कारण उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी.
Published at : 27 Aug 2025 06:13 PM (IST)
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