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Mithun Sankranti 2023: मिथुन संक्रांति पर क्यों नहीं होता सिलबट्टे का उपयोग, ये बात जानकर रह जाएंगे चकित
Mithun Sankranti 2023: 15 जून को सूर्य मिथुन में गोचर करेंगे और मिथुन संक्रांति होगी. मिथुन संक्रांति पर मां धरती को 3 दिनों के लिए मासिक धर्म होता है और इस दौरान सिलबट्टे का उपयोग नहीं किया जाता है.
मिथुन संक्रांति 2023
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मिथुन संक्रांति की कथा के अनुसार, मां धरती को भी मासिक धर्म होता है और इसे धरती के विकास का प्रतीक माना जाता है.
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हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि सिलबट्टे में मां धरती का वास होता है. मिथुन संक्रांति से लेकर तीन दिनों के लिए भूदेवी को मासिक धर्म रहता है और इसलिए इस दौरान सिलबट्टे का प्रयोग नहीं होता है.
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मिथुन संक्रांति पर धरती मां के माहवारी होने को रज संक्रांति भी कहा जाता है. मान्यता है कि, मासिक धर्म से धरती मां मानसून की खेती के लिए खुद को तैयार करती है. रजस्वला के दौरान धरती मां की पूजा और शुद्धिकरण किया जाता है.
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तीन दिन के बाद मां धरती का मासिक धर्म समाप्त होता है और चौथे दिन सिलबट्टे को दूध से स्नान कराया जाता है. इसे वसुमति गढ़वा कहा जाता है.
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मिथुन संक्रांति के तीन दिन बाद सिलबट्टे को स्नान कराने के बाद सिंदूर, चंदन, फल, फूल आदि चढ़ाकर पूजा की जाती है और इसके बाद ही सिलबट्टे का प्रयोग किया जाता है.
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मान्यता है कि मिथुन संक्रांति के दिन से ही वर्षा ऋतु की शुरुआत मानी जाती है और लोग अच्छी फसल के लिए भगवान से अच्छी वर्षा की कामना भी करते हैं.
Published at : 13 Jun 2023 05:12 PM (IST)
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