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अलीगढ़ में तेज तूफान का कहर, तबाही मची, हाईवे जाम, किसानों की फसलें बर्बाद

Weather News: अलीगढ़ के ग्रामीण इलाकों में तूफान का असर सबसे अधिक देखने को मिला. मौसम विभाग ने पहले ही अलीगढ़ और आसपास के जिलों में वज्रपात और तेज तूफान की आशंका जताई थी.

Aligarh Weather Update: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में देर रात अचानक आए तेज तूफान और आंधी ने पूरे इलाके में तबाही मचा दी. तूफान की रफ्तार इतनी तेज थी कि देखते ही देखते सड़कों पर लगे पेड़ उखड़कर जमीन पर आ गिरे. शहर से लेकर गांव तक जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. हाईवे पर पेड़ों के गिरने से लंबा जाम लग गया, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा है.

तूफान के बाद अलीगढ़ के प्रमुख मार्गों और हाईवे पर यातायात बुरी तरह से प्रभावित हुआ. कई स्थानों पर सड़क के किनारे लगे पेड़ और बिजली के खंभे तेज आंधी के कारण गिर गए, जिससे मार्ग अवरुद्ध हो गए. वाहन चालकों को घंटों जाम में फंसे रहना पड़ा. राहत और बचाव दलों ने देर रात तक सड़कों से पेड़ों और मलबे को हटाने का कार्य जारी रखा, तब जाकर कहीं यातायात आंशिक रूप से सामान्य हो पाया.

ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में तबाही
अलीगढ़ के ग्रामीण इलाकों में तूफान का असर सबसे अधिक देखने को मिला. तेज हवाओं के साथ आई बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. खेतों में खड़ी गेहूं की फसलें बर्बादी की कगार पर पहुंच गई हैं. कई किसानों के खेतों में रखा भूसा उड़कर इधर-उधर बिखर गया, जिससे पशुओं के चारे की भी समस्या खड़ी हो गई है. कई जगहों पर किसानों ने रोते हुए बताया कि उन्होंने पूरी मेहनत से जो फसल तैयार की थी, वह कुछ ही मिनटों में तहस-नहस हो गई.

तूफान के चलते अलीगढ़ के कई गांवों में बिजली की आपूर्ति ठप हो गई है. तेज हवाओं से विद्युत पोल और तार टूट गए, जिससे कई क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बाधित हुई. विद्युत विभाग की टीमें मरम्मत कार्य में जुटी हैं, लेकिन अब तक कई गांवों में बिजली बहाल नहीं हो सकी है. अंधेरे के कारण ग्रामीणों को रातभर मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

मौसम विभाग ने दी थी चेतावनी
तूफान के कहर के बाद यह सवाल भी उठता है कि क्या पूर्व चेतावनी का असर हुआ. दरअसल, मौसम विभाग ने पहले ही अलीगढ़ और आसपास के जिलों में वज्रपात और तेज तूफान की आशंका जताई थी. किसानों को फसल को बचाने के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी गई थी. लेकिन, अधिकांश किसानों के पास इतनी सुविधा नहीं थी कि वे खेतों की फसल या भूसे को सुरक्षित स्थान पर ले जा सकें. परिणामस्वरूप उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ा.

इस प्राकृतिक आपदा के बाद स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन द्वारा समय रहते तूफान के प्रति सजगता दिखाई जाती और पर्याप्त सूचना व संसाधन उपलब्ध कराए जाते, तो शायद नुकसान कम होता. हालांकि, प्रशासन का कहना है कि आपदा से निपटने के लिए टीमें गठित की गई हैं और क्षति का आकलन किया जा रहा है.

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किसानों की मांग– मुआवजा और मदद
तूफान से नुकसान झेल रहे किसानों ने सरकार से तत्काल मुआवजे की मांग की है. भारतीय किसान यूनियन के स्थानीय पदाधिकारियों ने बताया कि प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर मांग की गई है कि प्रभावित किसानों को तत्काल राहत दी जाए. गेहूं की फसल जो कि कटाई के लिए तैयार थी, उसे आंधी और ओलों ने बर्बाद कर दिया. कई किसानों ने कर्ज लेकर खेती की थी, अब वे कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं हैं.

प्रशासन ने तूफान से प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास कार्य शुरू कर दिया है. जिला अधिकारी ने संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि सड़कों से गिरे हुए पेड़ों को हटाया जाए, बिजली व्यवस्था शीघ्र बहाल की जाए और किसानों को राहत राशि देने के लिए सर्वे कराया जाए. तहसील स्तर पर अधिकारी गांवों का दौरा कर रहे हैं और नुकसान का आकलन कर रहे हैं.

इस अप्रत्याशित तूफान ने स्थानीय लोगों के मन में भय पैदा कर दिया है. मौसम की अनिश्चितता और बदलते मिजाज के कारण लोग अब और भी ज्यादा सतर्क हो गए हैं. लोग चर्चा कर रहे हैं कि इस तरह की घटनाएं जलवायु परिवर्तन का परिणाम हैं, और अब मौसम पहले से कहीं अधिक अस्थिर होता जा रहा है.

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