जम्मू कश्मीर: PDP नेता वहीद-उर-रहमान पारा को राहत, हाईकोर्ट ने दी इस बात की इजाजत
Jammu Kashmir News: पीडीपी नेता वहीद-उर-रहमान पारा ने देश के अंदर घूमने की शर्त में ढील देने के लिए HC में अर्जी दी थी. पारा टेरर कॉन्सपिरेसी केस में आरोपी हैं, जिसकी जांच NIA कर रही है.

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक वहीद-उर-रहमान पारा को बड़ी राहत मिली है. चार साल से ज्यादा के इंतजार के बाद हाई कोर्ट ने पीडीपी नेता पारा को देश के अंदर घूमने की इजाजत दे दी है. पारा एक टेरर कॉन्सपिरेसी केस में आरोपी हैं, जिसकी जांच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) कर रही है.
वहीद-उर-रहमान पारा को मई 2022 में हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने 1 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी थी. हालांकि, जमानत इस शर्त पर थी कि उन्हें जरूरत पड़ने पर इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर के सामने पेश होना होगा, पासपोर्ट सरेंडर करना होगा और ट्रायल कोर्ट की पहले से इजाजत के बिना जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश का अधिकार क्षेत्र नहीं छोड़ना होगा.
शर्त में ढील के लिए पारा ने दी थी अर्जी
वहीद ने जम्मू-कश्मीर के बाहर लेकिन देश के अंदर घूमने की शर्त में ढील देने के लिए एक अर्जी दी थी. मंगलवार को, जस्टिस विनोद चटर्जी कौल और संजीव कुमार की एक बेंच ने ट्रायल कोर्ट को बताने के बाद उन्हें देश के अंदर घूमने की इजाजत दे दी.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
हाई कोर्ट ने अपने दो पेज के ऑर्डर में कहा, “पिटीशनर (पारा) ट्रायल कोर्ट को अपनी लोकेशन और आने का मकसद बताने के बाद जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश छोड़ने और देश के अंदर आने-जाने का हकदार होगा.”
वकील ने कोर्ट के सामने क्या अपील की?
एडवोकेट शारिक जे रेयाज ने कोर्ट के सामने कहा कि पारा एक MLA हैं और उन्हें अपने ऑफिशियल और दूसरे कामों के सिलसिले में बार-बार केंद्र शासित प्रदेश से बाहर जाना पड़ता है और बेल की यह शर्त उनके लिए बहुत मुश्किल और परेशानी पैदा कर रही है. कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा, “हमारी सोची-समझी राय है कि इस शर्त को बदलना न्याय के हित में होगा.”
2020 में NIA ने की थी पारा की गिरफ्तारी
वहीद-उर-रहमान पारा को नवंबर 2020 में NIA ने हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन को कथित तौर पर सपोर्ट करने के एक मामले में गिरफ्तार किया था. इस आरोप को PDP ने खारिज कर दिया था, जिसने उनकी गिरफ्तारी को 'पॉलिटिकली मोटिवेटेड' बताया था. उन्हें जनवरी 2021 में बेल मिल गई, लेकिन जेल से बाहर आने से पहले ही जम्मू और कश्मीर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
2022 में उन्हें जमानत देते हुए, हाई कोर्ट ने कहा था कि जांच एजेंसी ने जो सबूत इकट्ठा किए हैं और प्रॉसिक्यूशन ने उन पर केस चलाने के लिए जिन पर भरोसा किया है, वे 'इतने अधूरे हैं कि पहली नज़र में सच नहीं माने जा सकते.'
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Source: IOCL























