एक्सप्लोरर

Explained: सूरज-सितारों को रहबर बनाकर, हजारों किलोमीटर का सफर कैसे तय करते प्रवासी पक्षी, आखिर भारत ही ठिकाना क्यों?

ABP Explainer: नमस्कार! आज मॉर्निंग एक्सप्लेनर में प्रवासी पक्षियों पर बात करेंगे. यह परिंदे हर साल अपना घर छोड़ते और हजारों किलोमीटर सफर करके भारत पहुंचते हैं. लेकिन क्यों और कैसे?

सबसे पहले उर्दू के मशहूर शायर जवाद शेख का यह शेर पढ़िए-

'अपने सामान को बांधे हुए इस सोच में हूं,
जो कहीं के नहीं रहते वो कहां जाते हैं...'

इसके मायने तो आप सभी समझ गए होंगे. लेकिन आज यह शेर इंसानों पर नहीं, बल्कि प्रवासी पक्षियों पर है, जो हर साल अपना शहर छोड़कर भारत में बसने के लिए निकल पड़ते हैं. जीवन जीने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है, यह इन विदेशी परिंदों से सीखा जा सकता है, क्योंकि सर्दियों में न इनका घर बचता है और न ही खाने के लिए दाना-पानी. ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि प्रवासी पक्षी सर्दियों में अपना घर क्यों छोड़ देते हैं, हजारों किलोमीटर का सफर कैसे तय करते हैं और भारत ही क्यों आते हैं...

सवाल 1- प्रवासी पक्षी भारत कब और कहां से आते हैं?
जवाब-
हर साल ठीक सिंतबर के महीने में लाखों पक्षी अपना असली घर छोड़कर एक लंबे सफर पर निकल पड़ते हैं. यह पक्षी ठीक उसी तरह भारत आते हैं जैसे हम गर्मियों में पहाड़ों पर चले जाते हैं. यह सबसे ज्यादा साइबेरिया के दूर-दराज इलाकों से आते हैं. जैसे यामाल प्रायद्वीप, तैमिर झील, लेना नदी का इलाका, याकुतिया और चुकोटका.

कुछ आते हैं आर्कटिक रूस से, कुछ मंगोलिया और चीन के तिब्बत पठार से, कुछ कजाकिस्तान के बड़े-बड़े स्टेपी इलाकों से और कुछ तो स्कैंडिनेविया यानी नॉर्वे, स्वीडन और फिनलैंड जैसे इलाकों से भी आते हैं. यह सितंबर के पहले हफ्ते से लेकर नवंबर के अंत तक धीरे-धीरे भारत पहुंचते हैं.

सबसे पहले आते हैं वो छोटे-छोटे पक्षी जो रास्ते में जल्दी उड़ लेते हैं, जैसे अमूर फाल्कन और रोजी स्टार्लिंग. फिर अक्टूबर में आते हैं बतखें, कलहंस और फ्लेमिंगो. सबसे आखिर में नवंबर में आते हैं साइबेरियन क्रेन और बार-हेडेड गूज.

इन पक्षियों के भारत आने के दो मुख्य रास्ते हैं...

  1. हिंदुकुश और कराकोरम पहाड़ों के ऊपर से पाकिस्तान होते हुए पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में घुसना.
  2. यह सबसे मुश्किल रास्ता है हिमालय को सीधा पार करना.

दुनिया का सबसे ऊंचा उड़ने वाला पक्षी बार-हेडेड गूज माउंट एवरेस्ट के भी ऊपर से उड़कर नेपाल और उत्तराखंड के रास्ते भारत में घुसता है. यह 8-9 हजार मीटर की ऊंचाई पर उड़ता है, जहां हवा में ऑक्सीजन बहुत कम होती है, लेकिन इनका खून और फेफड़े इतने खास होते हैं कि यह कर लेते हैं.

 

बार-हेडेड गूज 8-9 हजार मीटर की ऊंचाई पर उड़ता है
बार-हेडेड गूज 8-9 हजार मीटर की ऊंचाई पर उड़ता है

सबसे ज्यादा संख्या में आते हैं नॉर्दर्न पिंटेल, नॉर्दर्न शोवलर, गैडवॉल, कॉमन टील जैसी बतखें. इनकी संख्या हर साल 50-60 लाख तक होती है. फ्लेमिंगो 5-6 लाख तक होती है. साइबेरियन क्रेन अब बहुत कम बचे हैं, सिर्फ 50-70 ही आते हैं.

सवाल 2- प्रवासी पक्षी हजारों किलोमीटर का रास्ता कैसे तय करते हैं?
जवाब-
चलो, अब असली जादू की बात जानते हैं. वो जादू जिसे देखकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं कि यह परिंदे बिना किसी मैप, बिना GPS, बिना इंटरनेट के 10-15 हजार किलोमीटर का रास्ता एक इंच भी इधर-उधर हुए बिना कैसे तय कर लेते हैं.

सबसे पहले तो यह छोटे-छोटे परिंदे रात में और बड़े पक्षी जैसे गूज, क्रेन और फ्लेमिंगो दिन-रात दोनों समय उड़ते हैं. एक बार में 10-12 घंटे तक लगातार उड़ते हैं, फिर किसी झील या मैदान में 2-3 दिन आराम करते हैं, पेट भरते हैं और फिर उड़ान भरते हैं. इस तरह पूरा रास्ता 6-8 स्टेप में पूरा करते हैं...

  • अब जादू पर आते हैं तो पहला है इनकी आंखें और दिमाग में छिपा हुआ कम्पस. इनके दिमाग में और चोंच में एक खास क्रिस्टल होता है जिसका नाम है मैग्नेटाइट. यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को बिल्कुल वैसा ही महसूस करता है जैसे हमारे कम्पस की सुई उत्तर दिशा दिखाती है. साइंटिस्ट्स ने एक्सपेरिमेंट करके यह साबित किया है कि अगर इनके ऊपर नकली चुंबकीय इलाका बनाओ तो यह उल्टी दिशा में उड़ने लगते हैं. यानी इनके अंदर कुदरत ने असली कम्पस फिट कर रखा है.
  • दूसरा जादू है सूरज का. दिन में उड़ते हैं तो सूरज को दखकर पता चलता है कि दक्षिण-पश्चिम दिशा में जाना है. बादल छा जाएं तो भी इनकी आंखों में एक खास प्रोटीन होता है जो सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों को भी बादलों के पीछे से देख लेता है. यानी बादल हों या कोहरा, सूरज इनसे छिप नहीं सकता.
  • तीसरा और सबसे हैरान करने वाला जादू है रात का, जब यह तारों को देखकर उड़ते हैं. इनके दिमाग का हिप्पोकैम्पस नाम का हिस्सा तारों के नक्शे को याद रखता है. वैज्ञानिकों ने प्लैनेटेरियम में एक्सपेरिमेंट किया, जब तारों का नक्शा घुमा दिया तो पक्षी भी उसी दशा में घूमने लगे. मतलब इनके दिमाग में पूरे आकाश का नक्शा लिखा हुआ है.
  • चौथा जादू है हवा का. ऊंचाई पर अलग-अलग दिशा में तेज चलने वाली हवाओं को जेट स्ट्रीम कहते हैं. यह पक्षी पहले ऊपर चढ़ते हैं, सही दिशा वाली हवा पकड़ते हैं और फिर सैकड़ों किलोमीटर तक बिना पंख फड़फड़ाए सरकते चले जाते हैं. इसी से इनकी इतनी लंबी उड़ान मुमकिन हो पाती है.
  • पांचवां जादू है याद्दाश्त का. जो पक्षी एक बार रास्ता तय कर चुके हैं, अगले साल वही रास्ता, वही झीलें और वही खेत याद करके आते हैं. सैटेलाइट ट्रैकिंग से पता चला है कि बार-हेडेड गूज हर साल ए ही पहाड़ी दर्रे से हिमालय पार करता है. एक मीटर भी इधर-उधर नहीं होता.

सबसे हैरान करने वाली बात है कि जो बच्चे पहली बार उड़ रहे हैं, वो मां-बाप के बिना भी सही जगह पहुंच जाते हैं. यानी यह सारी जानकारी इनके DNA में पहले से लिखी हुई है.

 

जिस तरह हमारे अंदर घर का पता जन्म से लिखा होता है, वैसे ही इनके अंदर पूरा माइग्रेशन मैप जन्म से लिखा हुआ है
जिस तरह हमारे अंदर घर का पता जन्म से लिखा होता है, वैसे ही इनके अंदर पूरा माइग्रेशन मैप जन्म से लिखा हुआ है

सवाल 3- यह परिंदे दुनिया में कहीं भी जा सकते थे, फिर भारत ही क्यों आते हैं?
जवाब-
इसकी 4 बड़ी वजहें हैं...

  • सर्दियों का रिसॉर्ट: उत्तर में जब साइबेरिया में -50 डिग्री तक ठंड पड़ती है और सारी जमीन बर्फ की चादर औढ़ लेती है, तब भारत में ठीक उसी समय हल्की-हल्की ठंड होती है. धूप खिली रहती है और सबसे जरूरी चीज पानी कभी खत्म नहीं होता. यहां हजारों झीलें, नदियां, दलदल, समुद्री किनारे, चावल के खेत और मछली पालन के तालाब भरे रहते हैं.
  • हिमालय की पनाह: हिमालय दुनिया की सबसे ऊंची दीवार है, जो उत्तर से आने वाली भयंकर ठंडी हवाओं को रोक देती है. यहां आपको 'गेम ऑफ थ्रोन्स' की उत्तर की दीवार याद आ गई होगी. बिल्कुल इसी तरह उत्तर में बर्फीला तूफान होता है, तो दक्षिण में हल्की ठंड और ढेर सारा पानी. इसलिए भारत इनके लिए एकदम सेफ जोन है.
  • पुराना रिश्ता: साइबेरियन क्रेन पिछले 10 हजार साल से ज्यादा समय से भारत आ रहे हैं. यह जगह इन पक्षियों के DNA में लिखी हुई है. जैसे आपका गांव आपके खून में बसता है, वैसे ही इनके बच्चों के DNA में लिखा होता है कि सर्दी आई तो भारत ही जाना है.
  • कोई अन्य रास्ता नहीं: अब दुनिया में कई पुरानी जगहें खत्म हो गई हैं. पहले यह पक्षी ईरान, इराक, मिडिल ईस्ट के बड़े-बड़े दलदलों में भी रुकते थे, लेकिन वहां के दलदल सूख गए और शिकार बढ़ गया. अब भारत ही वो आखिरी बड़ा देश बचा है जहां अभी भी लाखों हेक्टेयर वेटलैंड्स बचे हैं और इन परिंदों को प्यार करते हैं. इन्हें देखने जाते हैं और इनकी हिफाजत करते हैं.

सवाल 4- यह पक्षी भारत में कब तक और कहां रुकते हैं?
जवाब-
यह मेहमान सितंबर के पहले पखवाड़े में सबसे पहले आना शुरू होते हैं और अप्रैल के अंत तक विदा ले लेते हैं. यानी करीब 7-8 महीने यह हमारे साथ रहते हैं. लेकिन हर पक्षी का अपना-अपना टाइम और अपना मनपसंद ठिकाना होता है...

  • पहली टीम: नागालैंड और मणिपुर के पहाड़ों में अक्टूबर-नवंबर में इतनी बड़ी संख्या में रुकते हैं कि पूरा आसमान काला पड़ जाता है. 10-15 दिन यहीं आराम करते हैं फिर आगे दक्षिण भारत और फिर अफ्रीका चले जाते हैं. इसी समय फ्लेमिंगो गुजरात के कच्छ के रण में पहुंचने शुरू हो जाते हैं और मार्च-अप्रैल तक वहीं रहते हैं. 1 दिसंबर 2025 तक करीब 1 लाख फ्लेमिंगो कच्छ पहुंच चुके हैं.
  • दूसरी टीम: मीठे पानी की बड़ी झीलों के आसपास बिखर जाती है. पंजाब-हरियाणा की हरिके पट्टन वेटलैंड, उत्तर प्रदेश की संडी, नवाबगंज, लखबहोशी और समान सैंक्चुरी. राजस्थान की सांभर झील और केवलादेव भारतपुर. ओडिशा की चिल्का झील, आंध्र प्रदेश की कोलेरू झील और असम की दीपोर बील और काजीरंगा के मैदान.

गुजरात का कच्छ का रण और नलिया का ग्रासलैंड भी पसंदीदा जगह है. कुल मिलाकर राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, गोवा, असम, महाराष्ट्र और पंजाब समेत कई राज्यों में पक्षियों का बसेरा होता है.

 

गुजरात के कच्छ में फ्लेमिंग पक्षी
गुजरात के कच्छ में फ्लेमिंग पक्षी

सवाल 5- तो फिर प्रवासी पक्षी भारत से वापस क्यों और कैसे चले जाते हैं?
जवाब- फरवरी के आखिर से यह धीरे-धीरे वापसी की तैयारी करने लगते हैं. पहले छोटे पक्षी निकलते हैं, फिर मार्च में बतखें और गीज, फिर अप्रैल के पहले हफ्ते में फ्लेमिंगो और आखिर में बार-हेडेड गूज. अप्रैल के मध्य तक पूरा आकाश फिर से खाली हो जाता है.

दरअसल, मार्च का महीना आते-आते उत्तर में साइबेरिया, आर्कटिक और तिब्बत में बर्फ पिघलने लगती है. वहां मई-जून में 24 घंटे दिन होने लगता है, मतलब सूरज डूबता नहीं है. कीड़े-मकोड़े अरबों-खरबों की संख्या में निकल आते हैं. झीलें खुल जाती हैं और घास उग आती है. वहां का पूरा इलाका एकदम से जिंदा हो जाता है. यही वो जगह है जहां इन पक्षियों को अपने बच्चे पैदा करने होते हैं.

भारत में यह सिर्फ सर्दियां काटने आए थे, लेकिन असली घर तो वही है जहां इनके बच्चे जन्म लेते हैं, जहां इनकी प्रजाति हजारों सालों से रहती आई है. अगर भारत में रुक गए तो 45 डिग्री की झुलसा देने वाली गर्मी में पानी सूख जाएगा और इनके बच्चे पैदा नहीं होंगे.

ज़ाहिद अहमद इस वक्त ABP न्यूज में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर (एबीपी लाइव- हिंदी) अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इससे पहले दो अलग-अलग संस्थानों में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी. जहां वे 5 साल से ज्यादा वक्त तक एजुकेशन डेस्क और ओरिजिनल सेक्शन की एक्सप्लेनर टीम में बतौर सीनियर सब एडिटर काम किया. वे बतौर असिस्टेंट प्रोड्यूसर आउटपुट डेस्क, बुलेटिन प्रोड्यूसिंग और बॉलीवुड सेक्शन को भी लीड कर चुके हैं. ज़ाहिद देश-विदेश, राजनीति, भेदभाव, एंटरटेनमेंट, बिजनेस, एजुकेशन और चुनाव जैसे सभी मुद्दों को हल करने में रूचि रखते हैं.

Read
और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

अपने ही घर की बच्चियों को टंकी में डुबो देती थी, शक न हो इसलिए बेटे को भी मार डाला | 'साइको किलर' की इनसाइड स्टोरी
अपने ही घर की बच्चियों को टंकी में डुबो देती थी, शक न हो इसलिए बेटे को भी मार डाला | 'साइको किलर' की इनसाइड स्टोरी
पुतिन के भारत दौरे से पहले दिल्ली में सिक्योरिटी टाइट, हाई-टेक कवच तैयार, जानें राजधानी में कैसे चप्पे-चप्पे की नजर रखी जाएगी
पुतिन के भारत दौरे से पहले दिल्ली में सिक्योरिटी टाइट, हाई-टेक कवच तैयार, जानें राजधानी में कैसे चप्पे-चप्पे की नजर रखी जाएगी
IND vs SA ODI: भारत-साउथ अफ्रीका ODI में सबसे ज्यादा शतक किसके नाम? कोहली किस नंबर पर, देखिए टॉप 5 की लिस्ट
भारत-साउथ अफ्रीका ODI में सबसे ज्यादा शतक किसके नाम? कोहली किस नंबर पर, देखिए टॉप 5 की लिस्ट
Tere Ishq Mein BO Day 6 Worldwide: ‘तेरे इश्क में’ ने दुनियाभर में मचाया तहलका, 6 दिन में ही बन गई 100 करोड़ी, जानें- टोटल कलेक्शन
‘तेरे इश्क में’ ने दुनियाभर में मचाया तहलका, 6 दिन में ही बन गई 100 करोड़ी
Advertisement

वीडियोज

कुंवारे देवर पर बेवफा भाभी की नजर । सनसनी । Sansani
पुतिन का तिलिस्मी संसार पहली बार देखेगा भारत । Putin India Visit
UP में घुसपैठियों की अब खैर नहीं, Yogi की पुलिस के निशाने पर घुसपैठी । News@10
मोदी और पुतिन ने ठाना, ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे ! । Putin India Visit । PM Modi ।  Chitra Tripathi
2026 का रण क्या बुलडोजर vs बंगाली अस्मिता के मुद्दे पर होगा? | CM Yogi | Mamata Banerjee
Advertisement

फोटो गैलरी

Advertisement
Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
अपने ही घर की बच्चियों को टंकी में डुबो देती थी, शक न हो इसलिए बेटे को भी मार डाला | 'साइको किलर' की इनसाइड स्टोरी
अपने ही घर की बच्चियों को टंकी में डुबो देती थी, शक न हो इसलिए बेटे को भी मार डाला | 'साइको किलर' की इनसाइड स्टोरी
पुतिन के भारत दौरे से पहले दिल्ली में सिक्योरिटी टाइट, हाई-टेक कवच तैयार, जानें राजधानी में कैसे चप्पे-चप्पे की नजर रखी जाएगी
पुतिन के भारत दौरे से पहले दिल्ली में सिक्योरिटी टाइट, हाई-टेक कवच तैयार, जानें राजधानी में कैसे चप्पे-चप्पे की नजर रखी जाएगी
IND vs SA ODI: भारत-साउथ अफ्रीका ODI में सबसे ज्यादा शतक किसके नाम? कोहली किस नंबर पर, देखिए टॉप 5 की लिस्ट
भारत-साउथ अफ्रीका ODI में सबसे ज्यादा शतक किसके नाम? कोहली किस नंबर पर, देखिए टॉप 5 की लिस्ट
Tere Ishq Mein BO Day 6 Worldwide: ‘तेरे इश्क में’ ने दुनियाभर में मचाया तहलका, 6 दिन में ही बन गई 100 करोड़ी, जानें- टोटल कलेक्शन
‘तेरे इश्क में’ ने दुनियाभर में मचाया तहलका, 6 दिन में ही बन गई 100 करोड़ी
Delhi AQI: दिल्ली में प्रदूषण और ठंड का दोहरा हमला, हवा भी जहरीली, रातें भी जमा देने वालीं
दिल्ली में प्रदूषण और ठंड का दोहरा हमला, हवा भी जहरीली, रातें भी जमा देने वालीं
Video: छपरीगिरी के चक्कर में तंदूर बन गया लड़का, दोस्तों ने नंगा करके बचाई जान- वीडियो वायरल
छपरीगिरी के चक्कर में तंदूर बन गया लड़का, दोस्तों ने नंगा करके बचाई जान- वीडियो वायरल
IIMC में नौकरी का बड़ा मौका, टीचिंग एसोसिएट और प्रोफेसर के पदों पर भर्ती; 26 दिसंबर तक करें आवेदन
IIMC में नौकरी का बड़ा मौका, टीचिंग एसोसिएट और प्रोफेसर के पदों पर भर्ती; 26 दिसंबर तक करें आवेदन
लिवर खराब होने से पहले दिखते हैं ये लक्षण, नजरअंदाज किया तो बन जाता है कैंसर
लिवर खराब होने से पहले दिखते हैं ये लक्षण, नजरअंदाज किया तो बन जाता है कैंसर
Embed widget