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दोस्त को मजाक में भी न कह देना ऐसी बात, इन धाराओं में दर्ज हो सकता है मुकदमा; जान लीजिए पूरा कानून
दोस्तों में मजाक और नोकझोंक आम है. लेकिन गुस्से में दे दी अगर गाली और दोस्त को लग गया बुरा. तो फिर आपके लिए खड़ी हो सकती है मुसीबत. BNS की इन धाराओं में हो सकती है सख्त कार्रवाई.
दोस्तों के बीच अक्सर मजाक-मस्ती और नोकझोंक चलती रहती है. कई बार लोग इसे हल्के-फुल्के अंदाज में लेते हैं और तुरंत भूल जाते हैं. लेकिन कभी-कभी गुस्से या मजाक में कहे गए कुछ शब्द बाद में बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकते हैं.
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भारतीय न्याय संहिता यानी BNS के तहत अब किसी को गाली देना, धमकाना या अपमानित करने वाले शब्द कहना सिर्फ मजाक भर नहीं माना जाएगा. अगर कोई व्यक्ति शिकायत करता है तो आपके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो सकता है.
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गाली-गलौज या अपमानजनक शब्दों पर BNS की कई धाराएं लागू हो सकती हैं. इनमें से एक धारा 353 है, जिसके तहत किसी व्यक्ति की इज्जत भंग करने के मामले दर्ज किए जा सकते हैं. तो वहीं धारा 356 जानबूझकर धमकाने या डराने की स्थिति में लागू होती है.
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इन दोनों ही धाराओं में सजा और जुर्माने का प्रावधान है. अगर किसी ने पब्लिक प्लेस पर किसी को गाली दी या अपमानित किया, तो मामला और गंभीर हो जाता है.धारा 357 के तहत सार्वजनिक स्थान पर गाली देने को गैर-कानूनी माना गया है
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इसका सीधा असर व्यक्ति की प्रतिष्ठा और मानसिक स्थिति पर पड़ता है. यही वजह है कि कोर्ट इसे हल्के में नहीं लेता. कई बार दोस्तों की बहस में हाथापाई तक की नौबत आ जाती है. ऐसी स्थिति में मामला और बिगड़ सकता है.
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BNS की धारा 351 और 352 के तहत किसी पर हाथ उठाना या मारपीट की धमकी देना अपराध है. यहां तक कि हल्की धक्का-मुक्की भी इस दायरे में आ सकती है. जिस पर कार्रवाई भी हो सकती है. कानून में यह भी साफ है कि अगर किसी व्यक्ति ने बार-बार गाली देकर परेशान किया. तो यह उत्पीड़न माना जाएगा.
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धारा 354 के तहत लगातार अपमानित करना अपराध की श्रेणी में आता है. इसमें जेल की सजा भी हो सकती है. यानी दोस्तों में बार-बार की गई गाली मजाक नहीं गंभीर अपराध है. इसलिए इन बातों का खास ध्यान रखें नहीं तो बिना बात मुश्किल में पड़ सकते हैं आप.
Published at : 29 Aug 2025 03:46 PM (IST)
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