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Photos: खून लेकर आजादी देने का वादा करने वाले महानायक सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन
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![खून के बदले आजादी देने का वादा करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा है. 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में एक संपन्न बांग्ला परिवार में जन्मे सुभाष अपने देश के लिए हर हाल में आजादी चाहते थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम कर दिया और अंतिम सांस तक देश की आजादी के लिए संघर्ष करते रहे. देखिए नेताजी की तस्वीरें.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/01/23083216/neta-ji-11.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
खून के बदले आजादी देने का वादा करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा है. 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में एक संपन्न बांग्ला परिवार में जन्मे सुभाष अपने देश के लिए हर हाल में आजादी चाहते थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम कर दिया और अंतिम सांस तक देश की आजादी के लिए संघर्ष करते रहे. देखिए नेताजी की तस्वीरें.
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![सुभाष के लिए भारत सर्वप्रथम था इसलिए वो दुनिया भर में घूमते रहे और भारत को आजाद कराने की मुहिम चलाते रहे.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/01/23083138/neta-ji-10.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
सुभाष के लिए भारत सर्वप्रथम था इसलिए वो दुनिया भर में घूमते रहे और भारत को आजाद कराने की मुहिम चलाते रहे.
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![जापान की मदद से उन्होंने अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिए आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था. इस दौरान उन्होंने 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा' का नारा भी दिया था.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/01/23083118/neta-ji-9.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
जापान की मदद से उन्होंने अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिए आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था. इस दौरान उन्होंने 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा' का नारा भी दिया था.
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![वह कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/01/23083102/neta-ji-8.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
वह कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे.
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![सुभाष चंद्र बोस ने आजादी की लड़ाई के लिए पहले कांग्रेस का दामन थामा था लेकिन धीरे धीरे उन्हें ऐसा लगने लगा कि बिना युद्ध के भारत की आजादी मुमकिन नहीं.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/01/23083045/neta-ji-7.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
सुभाष चंद्र बोस ने आजादी की लड़ाई के लिए पहले कांग्रेस का दामन थामा था लेकिन धीरे धीरे उन्हें ऐसा लगने लगा कि बिना युद्ध के भारत की आजादी मुमकिन नहीं.
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![देश की स्वतंत्रता के इतिहास के महानायक बोस का जीवन और उनकी मृत्यु भले ही रहस्यमय मानी जाती रही हो, लेकिन उनकी देशभक्ति सदा सर्वदा असंदिग्ध और अनुकरणीय रही.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/01/23083012/neta-ji-5.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
देश की स्वतंत्रता के इतिहास के महानायक बोस का जीवन और उनकी मृत्यु भले ही रहस्यमय मानी जाती रही हो, लेकिन उनकी देशभक्ति सदा सर्वदा असंदिग्ध और अनुकरणीय रही.
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![साल 1934 में जब ब्रिटिश सरकार ने नेताजी को भारत से निर्वासित किया तो वह यूरोप चले गए थे. वहां रहकर नेताजी आजादी की लड़ाई से जुड़े अपने साथियों को पत्र लिखते रहते थे.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/01/23082955/neta-ji-4.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
साल 1934 में जब ब्रिटिश सरकार ने नेताजी को भारत से निर्वासित किया तो वह यूरोप चले गए थे. वहां रहकर नेताजी आजादी की लड़ाई से जुड़े अपने साथियों को पत्र लिखते रहते थे.
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![सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता की कुल 14 संतानें थी जिसमें से नेता जी नौवीं संतान थे.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/01/23082937/neta-ji-3.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता की कुल 14 संतानें थी जिसमें से नेता जी नौवीं संतान थे.
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![‘नेताजी’ हर कीमत पर मां भारती को आजादी की बेड़ियों से मुक्त कराने को आतुर देश के उग्र विचारधारा वाले युवा वर्ग का चेहरा माने जाते थे.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/01/23082854/neta-ji-1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
‘नेताजी’ हर कीमत पर मां भारती को आजादी की बेड़ियों से मुक्त कराने को आतुर देश के उग्र विचारधारा वाले युवा वर्ग का चेहरा माने जाते थे.
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![डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/045c7972b440a03d7c79d2ddf1e63ba1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)
डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल
Opinion