एक्सप्लोरर
मिलेनियल्स पर काम का प्रेशर ज्यादा या Gen Z पर, दबाव हैंडल करने में कौन ज्यादा बेहतर?
मिलेनियल्स अक्सर बिना बोले ज्यादा काम उठाते हैं, जबकि Gen Z अपनी साफ सीमाएं तय करते हैं. काम, दबाव और बर्नआउट के फर्क को समझिए इस बदलते ऑफिस कल्चर में.
अक्सर दफ्तरों में देखा जाता है कि मिलेनियल्स बिना कुछ बोले ज्यादा काम उठा लेते हैं. देर तक रुकना, एक्स्ट्रा टास्क लेना और हर मैसेज का तुरंत जवाब देना उन्हें अपनी जिम्मेदारी लगता है. इसके उलट Gen Z साफ लाइन खींच देती है. जो काम तय है, वही करेंगे, उसके बाहर नहीं. इस फर्क की वजह यह है कि मिलेनियल्स उस माहौल में पले-बढ़े हैं, जहां मेहनत को ही काबिलियत माना गया. वहीं Gen Z ने पहले ही देख लिया कि ज्यादा काम करने से हमेशा सुरक्षा या पहचान नहीं मिलती.
1/7

मिलेनियल्स को शुरू से यह सिखाया गया कि पहले बिना सवाल किए काम करो, नाम बनाओ, तभी बोलने का हक मिलेगा. इसलिए वे आज भी सोचते हैं कि एक्स्ट्रा काम मना करना या समय पर लॉग-ऑफ करना कहीं उन्हें “कम सीरियस” न दिखा दे. Gen Z को यह बोझ नहीं ढोना पड़ता. वे सीधे पूछते हैं कि क्या करना है और कहां रुकना है.
2/7

मिलेनियल्स ने देखा है कि प्रमोशन अक्सर उसी को मिलता है, जो हर वक्त उपलब्ध रहता है. इसलिए उन्हें लगता है कि अगर फोन बंद किया, तो अगली अप्रेज़ल में नाम कट सकता है. इसके उलट Gen Z ज्यादा खुलकर पूछती है कि मेहनत का आउटपुट क्या है. उनके लिए घंटों की गिनती से ज्यादा रिज़ल्ट मायने रखता है.
Published at : 17 Dec 2025 12:33 PM (IST)
और देखें
Advertisement
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
महाराष्ट्र
विश्व
क्रिकेट
























