जब टेंशन में सोनिया गांधी ने लगाया अटल बिहारी वाजपेयी को फोन- आप ठीक हैं न... जानें पूर्व पीएम का जवाब
अशोक टंडन ने किताब में बताया कि जब संसद पर हमला हुआ, उस समय वाजपेयी अपने निवास पर थे और सुरक्षा बलों की कार्रवाई को अपने सहयोगियों के साथ टेलीविजन पर देख रहे थे.

संसद में अक्सर नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाते नजर आते हैं और कई बार सरकार की नीतियों को लेकर विपक्ष को हंगामा करते भी देखा गया है, लेकिन जब कोई नेता किसी मुश्किल दौरे से गुजर रहा होता है ये एक-दूसरे को फोन करके दिलासा भी देते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को लेकर ऐसा ही एक वाकिया सामने आया है. अटल बिहारी वाजपेयी के मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन ने सालों पहले दोनों के बीच हुई एक अहम बातचीत के बारे में बताया है.
अशोक टंडन ने साल 1998 से 2004 तक एनडीए सरकार को लेकर अपनी किताब 'अटल संस्मरण' में कई खुलासे किए हैं. किताब में अशोक टंडन ने 13 दिसंबर, 2001 के संसद हमले के समय के उस वाकिए का भी उल्लेख किया जब अटल बिहारी वाजपेयी और लोकसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी के बीच फोन पर बात हुई थी. किताब में बताया गया है कि जब संसद पर हमला हुआ, उस समय वाजपेयी अपने निवास पर थे और सुरक्षा बलों की कार्रवाई को अपने सहयोगियों के साथ टेलीविजन पर देख रहे थे.
अशोक टंडन के अनुसार, 'अचानक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का फोन आया. उन्होंने कहा- मुझे आपकी चिंता हो रही है, आप सुरक्षित तो हैं? इस पर अटलजी ने कहा- सोनिया जी, मैं तो सुरक्षित हूं, मुझे चिंता हो रही थी कि आप संसद भवन में तो नहीं.. अपना खयाल रखिए.'
अशोक टंडन ने किताब में उस वाकिए का भी जिक्र किया है, जब बीजेपी के कई नेता अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे. उन्होंने लिखा है कि वाजपेयी ने अपने दल के भीतर से आ रहे उन सुझावों को सिरे से खारिज कर दिया कि वह स्वयं राष्ट्रपति भवन चले जाएं और प्रधानमंत्री पद अपने नंबर दो नेता लालकृष्ण आडवाणी को सौंप दें. अशोक टंडन के अनुसार, 'वाजपेयी इसके लिए तैयार नहीं थे. उनका मत था कि किसी लोकप्रिय प्रधानमंत्री का बहुमत के बल पर राष्ट्रपति बनना भारतीय संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा. यह एक बहुत गलत परंपरा की शुरुआत होगी और वे ऐसे किसी कदम का समर्थन करने वाले अंतिम व्यक्ति होंगे.'
अशोक टंडन के मुताबिक, अटल बिहारी वाजपेयी ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं को आमंत्रित किया, ताकि राष्ट्रपति पद के लिए आम सहमति बनाई जा सके. उन्होंने कहा, 'मुझे याद है कि सोनिया गांधी, प्रणब मुखर्जी और डॉ. मनमोहन सिंह उनसे मिलने आए थे. अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार आधिकारिक रूप से खुलासा किया कि एनडीए ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया है... बैठक में कुछ क्षणों के लिए सन्नाटा छा गया. फिर सोनिया गांधी ने चुप्पी तोड़ी और कहा कि आपके चयन से हम स्तब्ध हैं, हमारे पास उन्हें समर्थन देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, लेकिन हम आपके प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे और निर्णय लेंगे.'
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Source: IOCL





















