2014 से अब तक कितने देशों का दौरा कर चुके पीएम मोदी, कहां की करेंसी की सबसे ज्यादा वैल्यू?
2014 के बाद भारत की विदेश नीति ने रफ्तार नहीं, दिशा बदली. हर साल पीएम मोदी के दौरे बढ़ते गए और भारत की मौजूदगी नक्शे से निकलकर फैसलों की मेज तक पहुंची. आइए विस्तार से समझ लेते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यकाल सिर्फ देश के भीतर बदलावों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर नए आत्मविश्वास के साथ पेश करने की कहानी भी बना. 2014 से अब तक उनके विदेश दौरों की संख्या और असर दोनों लगातार बढ़े हैं. ये यात्राएं महज औपचारिकता नहीं रहीं, बल्कि रणनीति, व्यापार, सुरक्षा और भारत की सॉफ्ट पावर को मजबूत करने का जरिया बनीं. इन्हीं दौरों की टाइमलाइन भारत की बदलती वैश्विक भूमिका बताती है.
2014: शुरुआत ने ही साफ कर दिया इरादा
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही विदेश नीति में सक्रियता दिखने लगी. पहले ही साल भूटान, नेपाल, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के दौरे हुए. यह साफ संकेत था कि भारत अब सीमाओं में सिमटकर नहीं रहेगा. संयुक्त राष्ट्र महासभा में पहली बार हिंदी में दिया गया भाषण भी इसी आत्मविश्वास का हिस्सा था.
2015: पड़ोस से लेकर पश्चिम तक संतुलन
इस साल फोकस पड़ोसी देशों और खाड़ी राष्ट्रों पर रहा. श्रीलंका, सेशेल्स, मॉरीशस से लेकर यूएई, सऊदी अरब और ईरान तक पीएम मोदी पहुँचे. खाड़ी देशों से रिश्तों में ऊर्जा, निवेश और भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा जैसे मुद्दे केंद्र में रहे. यह वही दौर था जब भारत-खाड़ी संबंध नई ऊंचाई पर पहुंचे.
2016: बड़ी शक्तियों से सीधी बातचीत
2016 में अमेरिका, रूस, चीन और यूरोप के प्रमुख देशों के दौरे हुए. वाशिंगटन से लेकर मॉस्को तक भारत ने साफ किया कि वह किसी एक धड़े में नहीं, बल्कि अपने हितों के साथ खड़ा है. ब्रिक्स और जी-20 मंचों पर भारत की आवाज पहले से ज्यादा स्पष्ट सुनाई देने लगी.
2017: डिप्लोमेसी में आक्रामक आत्मविश्वास
इजरायल की ऐतिहासिक यात्रा, जर्मनी और फ्रांस के साथ रणनीतिक साझेदारी और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सक्रियता इस साल की पहचान बनी. पहली बार भारत-इजरायल संबंधों को खुले तौर पर नई दिशा मिली. यह दौर बताता है कि भारत अब रिश्ते छिपाकर नहीं, खुलकर निभा रहा है.
2018: एक्ट ईस्ट से ग्लोबल साउथ तक
सिंगापुर, इंडोनेशिया, मलेशिया जैसे देशों के साथ रिश्ते मजबूत हुए. अफ्रीकी देशों के दौरे भी इसी साल तेज हुए. भारत ने साफ किया कि वह सिर्फ बड़ी ताकतों से नहीं, बल्कि विकासशील देशों के साथ भी बराबरी की साझेदारी चाहता है.
2019: दोबारा सत्ता, दोगुनी सक्रियता
दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही अमेरिका, रूस, फ्रांस और जापान के दौरे हुए. ‘हाउडी मोदी’ जैसे कार्यक्रमों ने भारतीय प्रवासियों को सीधे जोड़ा. विदेश नीति में निरंतरता और स्पष्टता दोनों दिखीं.
2020-2021: महामारी के बीच डिजिटल डिप्लोमेसी
कोविड के कारण यात्राएं कम हुईं, लेकिन भारत की मौजूदगी कम नहीं हुई. वैक्सीन डिप्लोमेसी के जरिए भारत ने दर्जनों देशों को मदद भेजी. वर्चुअल समिट्स के जरिए विदेश नीति को रुकने नहीं दिया गया.
2022–2024: युद्ध, ऊर्जा और संतुलन
यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच भारत ने संतुलित रुख अपनाया. यूरोप, खाड़ी और एशिया के दौरे जारी रहे. भारत ने साफ किया कि वह शांति के पक्ष में है, लेकिन अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा.
अब तक का कुल आंकड़ा
2014 से 2024 तक पीएम मोदी 70 से ज्यादा देशों का दौरा कर चुके हैं. यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा किया गया सबसे व्यापक वैश्विक संपर्क माना जाता है.
2025 में पीएम मोदी के दौरे
जनवरी-फरवरी 2025
साल की शुरुआत में ही मोदी सरकार की विदेश नीति सक्रिय रही. फरवरी 10 से 13 तक उन्होंने फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा किया, जहां उन्होंने दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकातें कीं और AI/डिजिटल, वाणिज्यिक सहयोग, और रणनीतिक साझेदारी जैसे मुद्दों पर गहन बातचीत की.
मार्च 2025
मार्च के महीने में प्रधानमंत्री ने मॉरीशस का दौरा किया, जहां उन्होंने द्विपक्षीय रिश्तों को और गहरा किया और भारत-मॉरीशस सहयोग के नये मोर्चे खोले. उसी दौरान साइप्रस और कनाडा समेत यूरोप के कुछ देशों के साथ भी उच्च-स्तरीय बातचीत में उन्होंने व्यापार और निवेश को केंद्र में रखा.
अप्रैल 2025
अप्रैल की शुरुआत में मोदी ने थाईलैंड में आयोजित बड़े क्षेत्रीय समिट में हिस्सा लिया और वहां से सीधे श्रीलंका की यात्रा की. श्रीलंका ने उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान मित्र विभूषना से सम्मानित किया, जो दोनों देशों की साझेदारी की भावना को दर्शाता है.
जुलाई 2025 – 5 देशों की सबसे लंबी यात्रा
साल का सबसे बड़ा और लंबा विदेशी दौर 02 जुलाई से 09 जुलाई 2025 तक रहा, जब प्रधानमंत्री मोदी ने एक साथ पांच देशों का दौरा किया, जो इस दशक की सबसे व्यापक विदेश यात्रा के तौर पर रिकॉर्ड में दर्ज हुई.
इस दौरान सबसे पहले उन्होंने घाना का दौरा किया, जहां भारत-आर्थिक साझेदारी और अफ्रीका के साथ भारत की भागीदारी को लेकर बातचीत हुई. इसके बाद उन्होंने त्रिनिदाद और टोबैगो में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई, जहां सांस्कृतिक एवं आर्थिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया. अगले पड़ाव पर वे अर्जेंटीना पहुंचे, जहां दोनों देश कृषि, ऊर्जा और निवेश जैसे क्षेत्रों में साझेदारी पर विचार कर रहे हैं. इसी यात्रा के तहत मोदी ब्राजील के 17वें BRICS सम्मिट में शामिल हुए और अंत में नामीबिया भी गए, जहां डिजिटल और रक्षा सहयोग जैसे विषयों पर चर्चा हुई.
सितंबर-नवंबर 2025
इन महीनों में मोदी ने अफ्रीकी और यूरोपीय भागीदारों के साथ तकनीकी, रक्षा और ऊर्जा संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया और कई ऑनलाइन/ऑफलाइन शिखर वार्ताओं में भाग लिया. इस दौरान भारत-नेपाल समेत अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी संवाद जारी रहा.
दिसंबर 2025- तीन राष्ट्रों का संयुक्त दौरा
2025 का अंतिम दौर बेहद खास रहा: दिसंबर माह में मोदी विश्व स्तर पर रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के उद्देश्य से जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान की यात्रा पर निकले. जॉर्डन में स्थानीय नेतृत्व ने उनकी गरिमामयी मेजबानी की, इथियोपिया ने उन्हें अपना सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘द ग्रेट ऑनर निशां’ से सम्मानित किया और ओमान में दोनों देशों ने ऊर्जा, रक्षा और व्यापार को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई.
सबसे ज्यादा वैल्यू किस करेंसी की?
दुनिया में सबसे ज्यादा मूल्य वाली मुद्रा कुवैती दीनार है. एक कुवैती दीनार भारतीय रुपये और अमेरिकी डॉलर दोनों से कहीं ज्यादा मजबूत है. इसकी वजह कुवैत की स्थिर अर्थव्यवस्था, तेल भंडार और सीमित मुद्रा आपूर्ति है. इसके बाद बहरीन दीनार और ओमान रियाल का स्थान आता है.
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