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सच में होती थीं विष कन्याएं? दुश्मन को बनाती थीं 'हनी ट्रैपिंग' का शिकार, छूकर ही आ जाती थी मौत
विष कन्याएं हनी ट्रैपिंग में माहिर होती थीं. यह दुश्मन को अपने हुस्न के जाल में फंसाती थीं और जैसे-जैसे नजदीकी बढ़ती थी, वह दुश्मन के कई भेद पता कर लेती थीं और बाद में उन्हें मौत के घाट उतार देती थीं.
आपने बचपन में विष कन्याओं की कहानियां तो जरूर सुनी होंगी. कहा जाता है कि पुराने समय में राजा-महाराजाओं के पास कई विष कन्याओं की फौज होती थी, जिनका काम अपने राजा के लिए जासूसी से लेकर हनी ट्रैपिंग तक करना होता था.
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विष कन्याओं को बचपन से ही ट्रेनिंग दी जाती थी. उन्हें खाने या दूसरे तरीकों से थोड़ा-थोड़ा जहर दिया जाता था. इस प्रक्रिया में कई लड़कियों की मौत हो जाती थी, लेकिन जो बच जाती थीं वह काफी घातक हो जाती थीं. कुछ तो ऐसी होती थीं, जिनके छूने तक से इंसान की मौत हो जाया करती थी.
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जब किसी दुश्मन को मौत की नींद सुलाना होता या उससे कोई भेद निकलवाना होता था तो राजा इन विष कन्याओं को भेजते थे. विष कन्याएं दुश्मन को अपने हुस्न के जाल में फंसाकर अपना शिकार बनाती थीं और मौत के घाट उतार देती थीं.
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विष कन्याओं का जिक्र कई पुराणों में मिलता है. कथासरित्सागर से लेकर मुद्राराक्षस और यहां तक कि कल्कि पुराण में भी विष कन्याओं का जिक्र है. भारत में मगध साम्राज्य में भी विष कन्याओं का जिक्र मिलता है. कहा जाता है कि चाणक्य कई विष कन्याओं के संपर्क में थे और इनका इस्तेमाल शत्रुओं से भेद निकलवाने या फिर उनको मारने के लिए किया जाता था.
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यहां तक कि यूरोपीय साहित्य में भी विष कन्याओं का जिक्र मिलता है. ईसा से करीब एक शताब्दी पहले पोंटस साम्राज्य में इनके इस्तेमाल के किस्से मिलते हैं. इस प्रक्रिया को मिथ्रिडायटिज्म कहा जाता था, जिसमें शरीर को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में जहर देकर उनके शरीर में जहर के लिए इम्यून बना दिया जाता था.
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कहा जाता है कि कुछ विष कन्याएं तो इतनी घातक होती थीं कि उनका थूक, पसीना और खून तक इतना जहरीला होता था कि इसके संपर्क में ही आने से बहुत से लोगों की मौत हो जाती थी.
Published at : 03 May 2025 09:00 AM (IST)
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