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इस देश में आसमान छूती है अमीरी, फिर पीएम से मंत्री तक साइकिल चलाने पर क्यों हैं मजबूर?
जहां करोड़ों की समृद्धि जेब में हो, वहां सड़कों पर साइकिल की घंटी क्यों गूंजती है, कार के हॉर्न क्यों नहीं? क्योंकि इस देश ने साबित कर दिया है विकास इंजनों से नहीं, पैडल से भी मुमकिन है. आइए जानें.
एक ऐसा देश जहां अमीरी आसमान छूती है, बैंक बैलेंस करोड़ों में है और टेक्नोलॉजी दुनिया को दिशा देती है, फिर भी प्रधानमंत्री से लेकर आम ऑफिस कर्मचारी तक साइकिल की सीट पकड़कर ही पैडल मारते हुए निकलते हैं. आखिर ऐसा क्या राज है कि दुनिया के सबसे समृद्ध देशों में से एक अपने नेताओं को भी दो पहियों पर चलने के लिए मजबूर कर देता है? जवाब उतना सीधा नहीं जितना दिखता है. आइए जानें.
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नीदरलैंड… दुनिया का वो अनोखा देश जहां अमीरी शो-ऑफ बनकर सड़कों पर दहाड़ती नहीं, बल्कि सादगी बनकर पैडल में सिमट जाती है. यहां की सड़कों पर लग्जरी कारें जरूर हैं, लेकिन भीड़ नहीं है. ऑफिस की ओर बढ़ते लोग मिलते हैं, लेकिन मोटर की गूंज में नहीं, साइकिल की हल्की सर्राहट में. और यही दृश्य इस देश की सबसे बड़ी पहचान है.
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यहां के लोग पैसा खर्च करना नहीं भूल गए, बस उन्होंने जिंदगी जीने का तरीका बदल दिया है. जहां दुनिया ट्रैफिक में फंसकर वक्त गंवाती है, नीदरलैंड के लोग हर सुबह ताजी हवा में पैडल मारते हुए मंजिल तक पहुंचते हैं. और यह सब किसी सरकारी आदेश की मजबूरी नहीं, बल्कि एक सामाजिक चुनाव है, एक जिम्मेदार संस्कृति है.
Published at : 30 Nov 2025 05:13 PM (IST)
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