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Delhi Election 2025: दिल्ली की जीत का फैक्टर 18! जिससे तय होती है राजधानी की सत्ता, जानें क्या है

Election 2025: दिल्ली में 18% स्विंग वोटर्स चुनावी नतीजों पर असर डालते हैं. ये वोटर्स लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग पार्टियों को वोट देते हैं और इनका फैसला दिल्ली की सत्ता का निर्धारण करता है.

Election 2025: दिल्ली में 18% स्विंग वोटर्स चुनावी नतीजों पर असर डालते हैं. ये वोटर्स लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग पार्टियों को वोट देते हैं और इनका फैसला दिल्ली की सत्ता का निर्धारण करता है.

दिल्ली में 18% स्विंग वोटर्स का जिक्र अक्सर होता है. ये वो वोटर्स हैं जो लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अलग-अलग पार्टियों को वोट देते हैं. लोकसभा चुनाव में ये वोटर्स बीजेपी का समर्थन करते हैं जबकि विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के पक्ष में खड़े हो जाते हैं.

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2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 56.8%, आम आदमी पार्टी को 18.1% और कांग्रेस को 22.5% वोट मिले. इसके ठीक 9 महीने बाद 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़कर 53.8% हो गया जबकि बीजेपी को 38.7% और कांग्रेस को केवल 4.3% वोट मिले. ये स्पष्ट करता है कि करीब 18% वोटर्स ने अपना समर्थन लोकसभा से विधानसभा में बदल दिया.
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 56.8%, आम आदमी पार्टी को 18.1% और कांग्रेस को 22.5% वोट मिले. इसके ठीक 9 महीने बाद 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़कर 53.8% हो गया जबकि बीजेपी को 38.7% और कांग्रेस को केवल 4.3% वोट मिले. ये स्पष्ट करता है कि करीब 18% वोटर्स ने अपना समर्थन लोकसभा से विधानसभा में बदल दिया.
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2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 46.4%, आम आदमी पार्टी को 32.9% और कांग्रेस को 15.1% वोट मिले, लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर बढ़कर 54.5% हो गया, जबकि बीजेपी को 32.2% और कांग्रेस को 9.7% वोट मिले. दोनों चुनावों में ये ट्रेंड दिखता है कि लोकसभा के मुकाबले आम आदमी पार्टी को विधानसभा में वोटर्स का बड़ा फायदा हुआ.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 46.4%, आम आदमी पार्टी को 32.9% और कांग्रेस को 15.1% वोट मिले, लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर बढ़कर 54.5% हो गया, जबकि बीजेपी को 32.2% और कांग्रेस को 9.7% वोट मिले. दोनों चुनावों में ये ट्रेंड दिखता है कि लोकसभा के मुकाबले आम आदमी पार्टी को विधानसभा में वोटर्स का बड़ा फायदा हुआ.
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लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी का करिश्माई चेहरा और उनकी विकास योजनाएं इन्हें आकर्षित करती हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल का मुफ्त बिजली, पानी और शिक्षा का मॉडल इन्हें ज्यादा प्रभावित करता है. ये दर्शाता है कि वोटर्स की प्राथमिकताएं चुनाव के स्तर और मुद्दों के आधार पर बदलती हैं.
लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी का करिश्माई चेहरा और उनकी विकास योजनाएं इन्हें आकर्षित करती हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल का मुफ्त बिजली, पानी और शिक्षा का मॉडल इन्हें ज्यादा प्रभावित करता है. ये दर्शाता है कि वोटर्स की प्राथमिकताएं चुनाव के स्तर और मुद्दों के आधार पर बदलती हैं.
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रिपोर्ट्स के मुताबिक इन 18% वोटर्स में गरीब तबके, निचले सामाजिक-आर्थिक वर्ग, अनुसूचित जाति (SC) और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग शामिल हैं. लोकसभा चुनाव में ये पीएम मोदी के विकास एजेंडे पर भरोसा जताते हैं, लेकिन जब विधानसभा चुनाव की बारी आती है तो केजरीवाल के फ्री योजनाओं के मॉडल को प्राथमिकता देते हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक इन 18% वोटर्स में गरीब तबके, निचले सामाजिक-आर्थिक वर्ग, अनुसूचित जाति (SC) और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग शामिल हैं. लोकसभा चुनाव में ये पीएम मोदी के विकास एजेंडे पर भरोसा जताते हैं, लेकिन जब विधानसभा चुनाव की बारी आती है तो केजरीवाल के फ्री योजनाओं के मॉडल को प्राथमिकता देते हैं.
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विशेषज्ञ मानते हैं कि दिल्ली के 18% स्विंग वोटर्स सत्ता की चाबी रखते हैं. ये वोटर्स राष्ट्रीय और स्थानीय मुद्दों को अलग-अलग तराजू पर तौलते हैं. लोकसभा में जहां राष्ट्रीय विकास और नेतृत्व मायने रखता है वहीं विधानसभा में स्थानीय जरूरतों और सेवाओं को महत्व दिया जाता है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि दिल्ली के 18% स्विंग वोटर्स सत्ता की चाबी रखते हैं. ये वोटर्स राष्ट्रीय और स्थानीय मुद्दों को अलग-अलग तराजू पर तौलते हैं. लोकसभा में जहां राष्ट्रीय विकास और नेतृत्व मायने रखता है वहीं विधानसभा में स्थानीय जरूरतों और सेवाओं को महत्व दिया जाता है.
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अगर ये ट्रेंड आगे भी जारी रहता है तो आगामी विधानसभा चुनावों में भी यही पैटर्न देखने को मिल सकता है. इसका मतलब है कि बीजेपी लोकसभा में मजबूत प्रदर्शन कर सकती है जबकि आम आदमी पार्टी विधानसभा में फिर से बाजी मार सकती है. सत्ता का ये समीकरण 18% स्विंग वोटर्स के हाथ में रहेगा जो दोनों चुनावों की दिशा और दशा तय करेंगे.
अगर ये ट्रेंड आगे भी जारी रहता है तो आगामी विधानसभा चुनावों में भी यही पैटर्न देखने को मिल सकता है. इसका मतलब है कि बीजेपी लोकसभा में मजबूत प्रदर्शन कर सकती है जबकि आम आदमी पार्टी विधानसभा में फिर से बाजी मार सकती है. सत्ता का ये समीकरण 18% स्विंग वोटर्स के हाथ में रहेगा जो दोनों चुनावों की दिशा और दशा तय करेंगे.

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