लद्दाख की आर्यन घाटी में अनोखा प्रेग्नेंसी टूरिज्म, जानें इसके पीछे क्या है पूरी सच्चाई
प्रेग्नेंसी टूरिज्म की कहानी यह है कि जर्मनी और यूरोप से कुछ महिलाएं लद्दाख में आकर ब्रोकपा पुरुषों से बच्चे पैदा करने चाहती है. उनका मानना है कि इससे उनके बच्चों में वह शुद्ध आर्यन अनुवांशिकी आएगी.

जब हम प्रेग्नेंसी टूरिज्म के बारे में सोचते हैं तो आमतौर पर ध्यान उन देशों की ओर जाता है, जहां महिलाएं अपने बच्चों के लिए जन्म से नागरिकता या बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं हासिल करने जाती है. लेकिन लद्दाख की आर्यन घाटी में यह कहानी बिल्कुल अलग है. यहां प्रेग्नेंसी टूरिज्म का संबंध आधुनिक हॉस्पिटल या पासपोर्ट से नहीं है, बल्कि स्थानीय मिथकों, लोक कथाओं और नस्लीय शुद्धता की धारणा से जुड़ा हुआ है. फिलहाल यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं की लद्दाख की आर्यन घाटी में अनोखा प्रेग्नेंसी टूरिज्म क्या है और इसके पीछे की पूरी कहानी क्या है.
प्रेग्नेंसी टूरिज्म और ब्रोकपा समुदाय
आर्यन घाटी के दाह, हनु और दारचिक गांवों में रहने वाले ब्रोकपा समुदाय अन्य लद्दाखी समुदाय से काफी अलग है. इनकी विशेष पहचान इनका लंबा कद, गोरी त्वचा और हल्के रंग की आंखें हैं. स्थानीय और पर्यटक कथाओं में ब्रोकपा को अंतिम शुद्ध आर्य कहा जाता है. माना जाता है कि यह सैनिकों के वंशज है जो ईसा से पहले सिकंदर महान के साथ भारत आए थे और यही बस गए. वहीं इन्हीं विचारों ने सदियों से यहां पर लोगों काे आकर्षित किया और इन्हीं कहानियों ने लद्दाख में एक अनोखे प्रेग्नेंसी टूरिज्म की कहानी को जन्म दिया है.
क्या है प्रेग्नेंसी टूरिज्म की कहानी
लद्दाख से चर्चा में चल रही प्रेग्नेंसी टूरिज्म की कहानी यह है कि जर्मनी और यूरोप के अन्य हिस्से से कुछ महिलाएं लद्दाख में आकर ब्रोकपा पुरुषों से बच्चे पैदा करने चाहती है. उनका मानना है कि इससे उनके बच्चों में वह शुद्ध आर्यन अनुवांशिकी आएगी जो मान्यताओं के अनुसार ब्रोकपा पुरुषों में पाई जाती है. यहां की कुछ कहानियों में तो यह भी बताया गया है कि इस व्यवस्था में स्थानीय पुरुषों को आर्थिक मुआवजा भी दिया जाता है. जिसका मतलब है कि यहां पर प्रेग्नेंसी एक तरह का व्यापार बन जाता है.
प्रेग्नेंसी टूरिज्म की सच्चाई
भारत के लद्दाख में फैल रहे प्रेग्नेंसी टूरिज्म को लेकर विशेषज्ञ कहते हैं कि यह कुल मिलाकर सिर्फ एक अफवाह है. ब्रोकपा समुदाय के आर्य वंशज होने के दावे को इतिहासकार और आनुवंशिकीविदों ने भी खारिज किया है. इसे लेकर ज्यादातर जानकारी सिर्फ कहानियां से आती है. यहां तक की गांव के प्रधान भी इसे अफवाह बताते है. वही एक्सपर्ट्स मानते हैं कि कुछ ऐसा असामान्य मामले हो सकते हैं, लेकिन यह कोई व्यापक या नियमित प्रथा नहीं है. इस मिथक को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस तरह के मिथकों को कभी-कभी जानबूझकर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है ताकि पर्यटकों की जिज्ञासा बनी रहे और ज्यादा से ज्यादा लोग घाटी की यात्रा करें.
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Source: IOCL























