संसद में माइक बंद या चालू करने का अधिकार किसके पास? खास हैं नियम
लोकसभा में नीट के मुद्दे के बीच में राहुल गांधी का माइक बंद हो गया. ऐसे में सवाल य उठता है कि आखिर संसद में माइक बंद या चालू करने का अधिकार किसके पास होता है?

लोकसभा की कार्रवाई के दौरान विपक्ष नेता राहुल गांधी जब NEET के मुद्दे पर बहस की मांग कर रहे थे उस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि उनका माइक अचानक बंद कर दिया गया है. राहुल के आरोप पर अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यहां कोई ऐसा बटन नहीं होता है जिससे माइक बंद कर दिया जाए. इसी बीच एक और माइक बंद होने का आरोप सामने आया, दरअसल जब राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बोल रहे थे कि पिछले 7 सालों में 70 बार पेपर लीक हुए हैं. इसी दौरान उनका माइक बंद हो गया. इसी बीच राज्यसभा अध्यक्ष जगदीश धनखड़ ने कहा कि कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा. इसके बाद अब कांग्रेस ने माइक बंद होने की इन घटनाओं को मुद्दा बना लिया है. इस बीच चलिए ये जानते हैं कि आखिर सदन में माइक ऑन और ऑफ करने का अधिकार किसके पास होता है?
किसके पास होता है सदन में माइक बंद या चालू करने का अधिकार?
बता दें कि नई संसद के दोनों सदनों में माइक को कंट्रोल करने के लिए अलग पैनल बने होते हैं. जहां साउंड इंजीनियर सभापति के आसन के ऊपर यानी प्रथम तल पर बैठे होते हैं. जो रियल टाइम सीसीटीवी और पैनल में लगे स्क्रीन में सदस्यों को देख रहे होते हैं और उसी के जरिए किसी सांसद का माइक ऑन या फिर ऑफ करते हैं.
वहीं 18वीं लोकसभा में फिलहाल सांसदों को डिविजन नंबर नहीं मिला है, लिहाजा सांसदों को स्क्रीन/सीसीटीवी में देखकर उनका माइक ऑन या ऑफ करना होता है. जब हर सांसद को डिवीजन नंबर मिल जाएगा तो साउंड इंजीनियर का काम बेहद आसान हो जाएगा. अब आपके मन में सवाल आया होगा कि आखिर ये डिवीजन नंबर होता क्या है? तो चलिए जान लेते हैं.
क्या होता है डिवीजन नंबर?
डिविजन नंबर सांसद का सीट नंबर होता है. लिहाजा जब किसी सांसद को जब सीट नंबर मिल जाता है तो वो अपनी सीट से बोल सकता है, क्योंकि जब उस सांसद का नाम पुकारा जाता है तो सिर्फ उसकी सीट का माइक ही ऑन होता है.
सदन में हर सांसद के आगे एक माइक होता है और साउंड इंजीनियर इसे बंद या चालू कर सकते हैं. लेकिन ऐसा करने के भी कुछ नियम होते हैं. इन नियमों के मुताबिक, शून्य काल में हर सांसद को बोलने के लिए तीन मिनट का समय मिलता है. जैसे ही उस सांसद का समय पूरा होता है उनका माइक बंद हो जाता है. वहीं आसन से जिसका नाम पुकारा जाता है, उसका माइक ऑन करना होता है. फिर जब आसन कहता है कि ये रिकॉर्ड में नहीं जाएगा तो माइक बंद कर दिया जाता है. इस तरह संसद में माइक को बंद या फिर चालू किया जाता है.
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Source: IOCL