एक अच्छा कलाकार दो-चार लाइनों के बोलने से नहीं बल्कि उस किरदार को जीने से बनता है: पंकज त्रिपाठी
ऐक्टर पंकज त्रिपाठी आज बॉलिवुड में एक जाना पहचाना नाम बन चुके हैं, लेकिन इसके पीछे 18 साल का एक लंबा संघर्ष भी है.

वेब सीरिज मिर्जापूक के 'कालीन भैया' यानी पंकज त्रिपाठी आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है. अपनी बेहतरीन एक्टिंग से सबको दिवाना बनाने वाले पंकज त्रिपाठी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते है. पकंज त्रिपाठी ने अपने करियर की शुरुआत साल 2004 में अभिषेक बच्चन और भूमिका चावला स्टारर फिल्म रन से की थी.
उन्होंने इस फिल्म में चोर की भूमिका निभाई थी. इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में खलनायक की भूमिका भी अदा की. पंकज का मानना है कि एक्टर्स को बेहतर इंसान बनने के लिए अपनी भावना से परे जाना चाहिए.
View this post on Instagram
एक्टर पंकज त्रिपाठी अपने किरदारों में वास्तविकता का छाप छोड़ने के लिए मशहूर हैं. उनका कहना है कि कलाकार किरदार के दृष्टिकोण, सामाजिक स्थिति और उसकी भावनात्मक स्थिति को समझने के लिए ही बने होते हैं. एक कलाकार के तौर पर खुद को किरदार में समाने का मतलब कैमरे के सामने दो-चार लाइनों को बोलने से नहीं है.
एक कलाकार होने का अर्थ किरदार के दृष्टिकोण, उसकी सामाजिक स्थिति, उसकी भावनात्मक स्थिति पर चीजों के प्रभाव, उसके अंदर की जटिलताओं, उसकी कमजोरियां और ऐसी ही कितनी ही सारी चीजों को समझने से है.
View this post on Instagram
पंकज आगे कहते हैं, एक कलाकार का पेशा उसके काम के आधार पर कुछ ऐसा होता है जिसमें उसकी सोच सिर्फ अपने तक ही सीमित नहीं रह जाती है. अकसर एक कलाकार खुद को अपने किरदार में इतना डुबो देता है कि वह इसे इस कदर प्रभावित करता है जहां वह अपने किरदार की खुशी में खुश और उसके गम में दुखी हो जाता है.
View this post on Instagram
पंकज के मुताबिक, इस तरह के अनुभवों से कलाकार को एक बेहतर इंसान बनने में मदद मिलती है क्योंकि आप खुद को तभी संवार पाते हैं जब आप अपनी रुचियों से परे जाकर सोचते हैं. यह कलाकारों में दया और सहानुभूति की भावना पैदा करती है.
Source: IOCL



























