इस साल से ‘नीट’ में क्वेश्चन पेपर का सिर्फ एक सेटः सभी के लिए एक जैसे प्रश्न
सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न भाषाओं में प्रश्न-पत्रों के अलग-अलग सेट तैयार करने के चलन को ‘अतार्किक’ करार दिया था और कहा था कि छात्रों के प्रश्न जब अलग होंगे तो उनकी दक्षता का मूल्यांकन काफी मुश्किल होगा.

नई दिल्ली: 12वीं कक्षा के बाद देश की सबसे चर्चित परीक्षा-नैशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) को लेकर बड़ी खबर आई है. राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में शामिल होने वाले छात्रों के लिए इस साल से प्रश्न-पत्र का सिर्फ एक सेट तैयार किया जाएगा. इसे ही क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कर दूसरी भाषाओं के परीक्षार्थियों के लिए भेजा जाएगा.
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए आयोजित की जाने वाली नीट परीक्षा से जुड़ी ये सूचना सुप्रीम कोर्ट को बताई है.
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग भाषाओं में प्रश्न-पत्रों के अलग-अलग सेट तैयार करने के चलन को ‘‘अतार्किक’’ करार दिया था और कहा था कि छात्रों के प्रश्न जब अलग-अलग होंगे तो उनकी दक्षता का मूल्यांकन काफी मुश्किल होगा.
सीबीएसई ने जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एफ ए नजीर की बेंच को बताया कि पहले छात्रों को हिंदी एवं अंग्रेजी सहित 10 भाषाओं में ‘नीट’ में शामिल होने की अनुमति होती थी. हालांकि छात्रों के ऐसे आरोप थे कि क्षेत्रीय भाषाओं के प्रश्न पत्र अंग्रेजी और हिंदी प्रश्न पत्रों के मुकाबले ज्यादा मुश्किल हैं.
सिर्फ एक प्रश्न पत्र न्यायालय ने बोर्ड की इस दलील को नहीं माना था कि यदि सभी प्रश्न-पत्रों की कठिनता का स्तर समान हो तो परीक्षा में एकरूपता का उद्देश्य पूरा होगा और प्रश्न-पत्रों के कई सेट होने में कुछ भी गलत नहीं है. सीबीएसई ने शीर्ष अदालत के सुझावों पर सहमति जताई और कहा कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र से सिर्फ एक प्रश्न-पत्र होगा जिसका अनुवाद अलग-अलग भाषाओं में किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीबीएसई को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि मेडिकल अभ्यर्थियों के लिए प्रश्न-पत्र का सिर्फ एक सेट हो.
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