विदेशों में साइबर गुलाम कैसे बन रहे भारतीय युवा, क्या है इससे बचने का तरीका?
Cyber Crime: आज हजारों भारतीय युवा विदेशों में साइबर गुलामी यानी Cyber Slavery का शिकार हो रहे हैं. उन्हें धोखे से थाईलैंड, कंबोडिया, म्यांमार और वियतनाम जैसे देशों में ले जाया जाता है.

आज के युवा बेहतर करियर और अच्छी सैलरी की चाह में विदेश जाने का सपना देखते हैं. इंटरनेट पर तरह-तरह के जॉब ऑफर आते हैं जैसे विदेश में शानदार पैकेज के साथ नौकरी, फ्री वीजा और रहने का इंतजाम, डेटा एंट्री या कंप्यूटर ऑपरेटर की जरूरत जैसी पोस्ट देखकर लोग तुरंत भरोसा कर लेते हैं. लेकिन बहुत से मामलों में यही सपना भयानक हकीकत में बदल जाता है. आज हजारों भारतीय युवा विदेशों में साइबर गुलामी यानी Cyber Slavery का शिकार हो रहे हैं. उन्हें धोखे से थाईलैंड, कंबोडिया, म्यांमार और वियतनाम जैसे देशों में ले जाया जाता है, फिर उनके पासपोर्ट छीन लिए जाते हैं और उन्हें साइबर क्राइम करने पर मजबूर किया जाता है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि विदेशों में भारतीय युवा साइबर गुलाम कैसे बन रहे और इससे बचने का तरीका क्या है.
क्या है साइबर गुलामी?
साइबर गुलामी का मतलब है कि किसी इंसान को जबरदस्ती या धोखे से ऐसी जगह फंसा देना, जहां उससे इंटरनेट पर अपराध करवाए जाएं, जैसे ऑनलाइन ठगी, डेटा चोरी, फर्जी लॉटरी और निवेश स्कैम, फेक प्रोफाइल बनाकर लोगों को फंसाना या जबरन अश्लील कंटेंट बनवाना. ये सारे का युवाओं से धमकी देकर, मारपीट करके या झूठे वादे देकर कराए जाते हैं. इस तरह के काम को करने से मना करने पर उन्हें पीटा जाता है, खाना नहीं दिया जाता, या उनके परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी जाती है.
विदेशों में भारतीय युवा साइबर गुलाम कैसे बन रहे?
सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर फर्जी जॉब ऑफर के जरिए, विदेश में डेटा एंट्री की नौकरी या महीनों में लाखों की कमाई ऐसे फर्जी ऑफर भेजे जाते हैं. जिससे विदेशों में जॉब करने की लालच में भारतीय युवा बातों में आ जाते हैं. इसके अलावा फर्जी एजेंट्स और ट्रैवल कंपनियां, ये एजेंट पहले भारत में ही संपर्क करते हैं, फर्जी वीजा और फ्लाइट टिकट्स बनाते हैं और युवाओं को दुबई, थाईलैंड या सिंगापुर के रास्ते कंबोडिया या म्यांमार भेज देते हैं. वहां पहुंचते ही पासपोर्ट छीन लिया जाता है और फिर साइबर अपराध करवाने का खेल शुरू होता है. जिसमें फर्जी कॉल करके लोगों से OTP या बैंक डिटेल्स लेने का काम कराया जाता है, लोगों को लोन ऐप्स के जरिए ब्लैकमेल करने का काम भी होता है, साथ गही नकली वेबसाइट बनाकर धोखा देना और विदेशी नागरिकों को क्रिप्टो या निवेश में फंसाना भी साइबर गुलामी का हिस्सा है. ये काम किसी मॉल या ऑफिस जैसे दिखने वाले बंद कमरों में होते हैं. कई लोगों को दिन में 12–14 घंटे जबरन कंप्यूटर के सामने बैठाया जाता है.
साइबर गुलामी के शिकार कितने भारतीय?
साइबर गुलामी के शिकार भारतीय को लेकर गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले आप्रवासन ब्यूरो (BoI) के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. इसमें जनवरी 2022 से मई 2024 के बीच भारत से 73,000 से ज्यादा लोग टूरिस्ट वीजा पर थाईलैंड, म्यांमार, कंबोडिया और वियतनाम गए और लगभग 29,466 भारतीय अब तक वापस नहीं लौटे हैं. इनमें से 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग पुरुष हैं और उनकी उम्र 20 से 40 साल के बीच है.केरल, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा युवा इस जाल में फंसे हैं. अकेले उत्तर प्रदेश के करीब 2,000 युवक अभी भी विदेशों में साइबर गुलाम हैं.
साइबर गुलामी से बचने का तरीका क्या है?
1. कभी भी सोशल मीडिया पर मिली अनजान नौकरी की ऑफर पर भरोसा न करें.
2. विदेश जाने से पहले उस कंपनी और वीजा की पूरी जांच करें.
3. सिर्फ सरकार से मान्यता प्राप्त एजेंट या ट्रैवल एजेंसी के जरिए ही विदेश जाएं.
4. अपने परिवार और दोस्तों को विदेश यात्रा की पूरी जानकारी दें.
5. अगर कोई गलत या आपराधिक बात लगे, तुरंत साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत करें
6. साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930, विक्टिम हेल्प नंबर 9256001930 और साइबर क्राइम पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर शिकायत कर सकते हैं.
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Source: IOCL






















