बैंक खाते में क्या है मिनिमम बैलेंस रूल, क्या बैंक अपनी मर्जी से कितनी भी घटा-बढ़ा सकते हैं लिमिट?
आईसीआईसीआई बैंक ने अपने सेविंग अकाउंट्स के लिए मिनिमम बैलेंस की सीमा में बढ़ोतरी की है. बैंक ने सेविंग अकाउंट में मिनिमम अमाउंट को 5 गुना बढ़ा दिया है. जिसके बाद ये चर्चा में आ गया है.

ICICI बैंक ग्राहकों के लिए बड़ी खबर है. बैंक ने अपने सेविंग अकाउंट्स के लिए मिनिमम एवरेज बैलेंस को लेकर नया नियम लागू किया है. बैंक ने सेविंग अकाउंट में मिनिमम अमाउंट को 5 गुना बढ़ा दिया है. नए नियम के तहत अब आपको बैंक के बचत खाते में मिनिमम बैलेंस 50 हजार रुपये बनाए रखना होगा जो पहले 10 हजार रुपये था. तो चलिए जानते हैं कि बैंक खाते में मिनिमम बैलेंस नियम क्या होता है और क्या बैंक अपनी मर्जी से इसकी लिमिट को घटा-बढ़ा सकते हैं.
मिनिमम बैलेंस नियम क्या है?
मिनिमम बैलेंस या न्यूनतम शेष राशि वह राशि है जो एक बैंक अपने खाताधारकों को अपने बचत खाते में हर महीने औसतन बनाए रखने के लिए कहता है. इसे मंथली एवरेज बैलेंस (MAB)भी कहा जाता है. अगर खाताधारक इस तय सीमा से कम राशि रखता है, तो बैंक पेनल्टी या जुर्माना वसूल सकता है. यह राशि अलग-अलग बैंकों, खाते के प्रकार, और शाखा के स्थान (शहरी, अर्ध-शहरी, या ग्रामीण) के आधार पर अलग-अलग हो सकती है. मेट्रो शहरों में यह राशि ज्यादा हो सकती है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कम.
कितना होना चाहिए मिनिमम बैलेंस
आईसीआईसीआई बैंक की बात करें तो मिनिमम बैलेंस की सीमा का नया नियम यहां 1 अगस्त 2025 से लागू कर दिया गया है. मेट्रो और शहरी शाखाओं में नए खातों के लिए मिनिमम बैलेंस 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया है. अर्ध-शहरी क्षेत्रों में यह सीमा 5,000 से बढ़कर 25,000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 2,500 से बढ़कर 10,000 रुपये हो गई है.
अन्य बैंकों में मिनिमम बैलेंस कितना
वहीं, एचडीएफसी बैंक में शहरी क्षेत्रों के लिए यह सीमा 10,000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 2,500 रुपये है. एक्सिस बैंक में सेमी-अर्बन और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 10,000 रुपये का औसत मासिक बैलेंस जरूरी है. लेकिन कुछ सरकारी बैंक इस नियम से छूट दे चुके हैं. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 2020 में ही अपने सभी बचत खातों से मिनिमम बैलेंस की शर्त हटा दी थी. इसके अलावा, केनरा बैंक, इंडियन बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी 2025 में अपने सामान्य बचत खातों से इस शर्त को हटा दिया है, जिससे ग्राहकों को बड़ी राहत मिली है.
क्या बैंक अपनी मर्जी से लिमिट बदल सकते हैं?
अब सवाल यह है कि क्या बैंक अपनी मर्जी से मिनिमम बैलेंस की सीमा को घटा-बढ़ा सकते हैं? इस सवाल का जवाब हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने दिया. उन्होंने स्पष्ट किया कि बैंकों को मिनिमम बैलेंस तय करने की पूरी स्वतंत्रता है और यह आरबीआई के नियामक दायरे में नहीं आता. इसका मतलब है कि बैंक अपनी नीतियों, परिचालन लागत और बाजार रणनीति के आधार पर मिनिमम बैलेंस की सीमा तय कर सकते हैं.
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Source: IOCL
























