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बहू या बेटी... सास की मौत के बाद किसे मिलेगी ज्वैलरी? जान लें नियम

Rights On Jewellery After Mother-in-Law's Death: सास की मौत के बाद ज्वैलरी का अधिकार बहू और बेटी में किसे मिलेगा? जान लीजिए इसके लिए क्या तय किए गए हैं नियम.

Rights On Jewellery After Mother-in-Law's Death: अक्सर देश में प्राॅपर्टी को लेकर विवाद की खबरें देखने-सुनने को मिल जाती हैं. इसमें कई बार विवाद प्राॅपर्टी को लेकर होता है. तो कई बार किसी और चीज को लेकर. बहू हो या बेटी जब सास की मौत के बाद घर की ज्वैलरी की बात आती है. तो ऐसे में भी अक्सर परिवार में उलझन पैदा हो जाती हैं. लोग मान लेते हैं कि जिस पर मरते दम तक सास का ज्यादा भरोसा था.

शायद वही सारी ज्वैलरी की मालिक बन जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं है यह कानूनी नियम तय करते हैं कि ज्वैलरी किसकी होगी. अगर सास ने अपनी जिंदगी में वसीयत बनाई है. तो मामला बिल्कुल आसान हो जाता है. क्योंकि उसी के आधार पर ज्वैलरी सीधे उसी को मिलती है जिसका नाम लिखा है. लेकिन अगर वसीयत नहीं है. तो किसे मिलेगी ज्वैलरी चलिए आपको बताते हैं. 

किसे मिलेगी सास की ज्वैलरी ?

अगर सास ने अपनी मौत से पहले वसीयत तैयार की है. तो ज्वैलरी उसी व्यक्ति को दी जाती है जिसका नाम दस्तावेज में दर्ज है. यहां बहू या बेटी होना मायने नहीं रखता. कई बार सास अपनी भरोसे या जरूरत के हिसाब से ज्वैलरी अलग-अलग लोगों को बांटकर लिख देती हैं. वसीयत कानूनी रूप से सबसे मजबूत दस्तावेज है. इसलिए परिवार का कोई भी सदस्य इसे चुनौती नहीं दे सकता.

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जब तक कि उसमें धोखाधड़ी का कोई सबूत न हो. इसी वजह से वसीयत होने पर विवाद लगभग खत्म हो जाता है. अगर वसीयत में ज्वैलरी बेटी को दी गई है. तो वही उसकी मालिक होगी और अगर बहू का नाम दर्ज है तो उसके पास पूरी कानूनी ताकत होगी. वहीं अगर बेटी का नाम दर्ज है तो फिर उसे ही ज्वैलरी मिलेगी.

वसीयत न होने पर कैसे बंटती है ज्वैलरी?

अगर सास बिना वसीयत के गुजरती हैं. तो ज्वैलरी उनके कानूनी वारिसों में बराबर बांटी जाती है. इसमें पति, बेटे, बेटियां और मां शामिल होते हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि बहू इस सूची में नहीं आती. बहू को ज्वैलरी तभी मिल सकती है जब उसका पति यानी सास का बेटा अपने हिस्से में मिली ज्वैलरी उसे दे या आपसी सहमति से परिवार तय करे. 

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अगर सास के पति नहीं हैं, मां नहीं हैं और सिर्फ बच्चे ही वारिस हैं. तो ज्वैलरी बेटे और बेटियों में बराबर हिस्सों में बंटेगी. यहां बेटी का हक बेटे जितना ही मजबूत होता है. कई लोग मान लेते हैं कि शादीशुदा बेटी को कम हिस्सा मिलेगा,. लेकिन कानून ऐसा नहीं कहता. इसलिए बिना वसीयत के ज्वैलरी का अधिकार बच्चों के पास ही जाता है. न कि बहू के पास.

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