राजस्थान: सरकारी खांसी की सिरप से बच्चे की मौत मामले में सरकार का एक्शन, लिया ये फैसला
Rajasthan News: भरतपुर और सीकर में खांसी की दवा से उल्टी, घबराहट जैसे लक्षणों की शिकायत के बाद चिकित्सा विभाग ने दवा के वितरण पर रोक लगा दी है. RMSCL ने जांच के लिए कमेटी गठित की है.

भरतपुर और सीकर में नि:शुल्क दवा योजना के तहत वितरित की गई खांसी की दवा की गुणवत्ता की शिकायत के मामले में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावी कदम उठाते हुए दवा के वितरण एवं उपयोग पर रोक लगा दी है. आरएमएससीएल ने दवा आपूर्ति एवं गुणवत्ता के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के साथ ही, दवा के वितरण एवं उपयोग सहित अन्य पक्षों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया है.
दवा का वैधानिक नमूना लेकर जांच के लिए राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भी भेजा गया है. दवा की लैब रिपोर्ट एवं कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी. उल्लेखनीय है कि इस दवा का उपयोग काफी समय से किया जा रहा है, लेकिन पूर्व में इस तरह की कोई शिकायत सामने नहीं आई है.
सामने आ रहे ये लक्षण
आरएमएससीएल प्रबंधन ने बताया कि 28 सितम्बर, 2025 को औषधि डेक्सट्रोमेथोर्फेन HBr Syrup IP 13.5mg/5ml [440] के बैच नम्बर KL-25/147 की मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भरतपुर व 29 सितम्बर, 2025 को जिला सीकर से उक्त औषधि के बैच संख्या KL-25/148 के संबंध में आरएमएससीएल को शिकायत प्राप्त हुई थी. शिकायत में बताया गया था कि सिरप का मरीजों द्वारा उपयोग करने पर उल्टी, नींद, घबराहट, चक्कर, बेचैनी, बेहोशी जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं.
निगम द्वारा की जाएगी अग्रिम कार्रवाई
राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम को शिकायत प्राप्त होने के बाद दवा के इन बैचों के वितरण व मरीजों के उपयोग हेतु उसी दिन तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई थी और औषधि नियंत्रक, राजस्थान को इन बैचों के वैधानिक नमूने लेकर गुणवत्ता जांच राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला से करवाये जाने के निर्देश दे दिए गए थे. संबंधित औषधि नियंत्रण अधिकारी द्वारा वैधानिक नमूना लेकर गुणवत्ता जांच हेतु भिजवा दिया गया है. बैचों की गुणवत्ता जांच रिपोर्ट प्राप्त होने पर निगम द्वारा अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.
अन्य कम्पनी द्वारा आपूर्ति की जा रही दवा के वितरण पर भी रोक
आरएमएससीएल ने शिकायती बैच के साथ ही प्रभावी कदम उठाते हुए उक्त औषधि के संबंधित सप्लायर द्वारा क्रयादेश के तहत सप्लाई किये गए सभी बैचों पर तत्काल प्रभाव से उपयोग पर रोक लगा दी है. साथ ही, एहतियात के तौर पर अन्य कम्पनी द्वारा आपूर्ति की जा रही खांसी की इस दवा का वितरण भी आगामी आदेशों तक रोक दिया गया है तथा इसकी भी पुनः गुणवत्ता जाँच करवाई जा रही है. पुन: गुणवत्ता जांच रिपोर्ट आने पर आगामी कार्रवाई की जाएगी.
जून माह से उपयोग ली जा रही थी दवाई
उल्लेखनीय है कि खांसी की यह दवा कम्पनी द्वारा इस वर्ष के क्रयादेश के तहत जून, 2025 से आपूर्ति की जा रही है तथा अब तक 1 लाख 33 हजार से अधिक मरीजों को वितरित की जा चुकी है, लेकिन 28 सितम्बर से पूर्व एक भी शिकायत प्राप्त नहीं हुई थी. इसके पश्चात कम्पनी को माह जुलाई, 2025 में दिये गये क्रय आदेश के तहत प्राप्त आपूर्ति में से अब तक 31 हजार से अधिक मरीजों को यह दवा वितरित की जा चुकी है, परन्तु इससे पूर्व भी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है.
28 सितम्बर को दवा के संबंध में शिकायत होने के बाद सम्पूर्ण प्रकरण की जांच के लिए विभाग ने तीन सदस्यीय कमेटी भी गठित कर दी है. इस कमेटी में आरएमएससीएल के कार्यकारी निदेशक (गुणवत्ता नियंत्रण), कार्यकारी निदेशक (लॉजिस्टिक) एवं मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के नोडल अधिकारी को शामिल किया गया है. यह कमेटी जल्द अपनी रिपोर्ट देगी. रिपोर्ट आने पर प्रकरण में नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.
जांच में मानक के अनुरूप होने पर ही दी जाती है दवा
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के तहत सप्लाई की जाने वाली प्रत्येक औषधि के प्रत्येक बैच की गुणवत्ता नीति अनुसार राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम द्वारा गुणवत्ता जांच निगम की अनुमोदित प्रयोगशाला द्वारा करवायी जाती है. औषधि के गुणवत्ता मानकों में खरा उतरने पर ही औषधि को अस्पतालों में वितरण हेतु उपलब्ध करवाया जाता है. किसी औषधि के गुणवत्ता जांच में अमानक कोटि का पाये जाने पर औषधि को निगम द्वारा वितरित नहीं किया जाता है. सामान्य प्रक्रिया के तहत भी किसी भी औषधि की गुणवत्ता जांच मानकानुसार न पाये जाने पर राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला से पुनः गुणवत्ता जांच करवायी जाती है.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL






















