'डांस बार का परमिट मां के नाम पर', उद्धव गुट के आरोप से भड़के मंत्री योगेश कदम, बोले- 'मेरे परिवार का...'
Dance Bar Controversy: मंत्री योगेश कदम ने डांस बार विवाद में अनिल परब के आरोपों को निराधार बताया. उन्होंने विधान परिषद में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने और परब का बयान रिकॉर्ड से हटाने की मांग की.

महाराष्ट्र के गृह (शहर) राज्य मंत्री और शिवसेना नेता योगेश कदम ने शिवसेना (यूबीटी) के एमएलसी अनिल परब के आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया दी. योगेश कदम ने कहा कि उनके परिवार का किसी डांस बार से कोई लेना-देना नहीं है और परब द्वारा लगाए गए आरोप 'निराधार और राजनीति से प्रेरित' हैं. मंत्री ने इस पूरे मामले को लेकर विधान परिषद में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की चेतावनी भी दी है.
आरोपों को बताया बेबुनियाद
योगेश कदम ने अनिल परब के उस आरोप का खंडन किया जिसमें कहा गया था कि मुंबई के एक डांस बार का परमिट मंत्री की मां के नाम पर है. कदम ने स्पष्ट किया, “मेरे परिवार के किसी भी सदस्य का किसी भी डांस बार के स्वामित्व से कोई संबंध नहीं है. यह एक पूरी तरह झूठा और दुर्भावनापूर्ण आरोप है.” उन्होंने यह भी कहा कि डांस बार में जो भी अवैध गतिविधियां होती हैं, उनकी जिम्मेदारी केवल बार मालिक की होती है, न कि किसी अन्य की.
डांस बारों पर कार्रवाई को लेकर उठाए सवाल
मंत्री कदम ने जोर देकर कहा कि उन्होंने नवी मुंबई सहित अन्य शहरी क्षेत्रों के पुलिस आयुक्तों को डांस बारों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि “अगर मेरा कोई निहित स्वार्थ होता, तो मैं ऐसी कार्रवाइयों की इजाजत नहीं देता. मेरे निर्देशों पर हुई कार्रवाई ही यह दिखाती है कि मैं किसी अवैध गतिविधि का समर्थन नहीं करता.”
कदम ने यह भी आरोप लगाया कि अनिल परब इन कार्रवाइयों को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि “क्या परब चाहते हैं कि हम अवैध डांस बारों पर कार्रवाई न करें?”
विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव की तैयारी
योगेश कदम ने कहा कि वे इस मामले में विधान परिषद के सभापति को विशेषाधिकार हनन नोटिस देंगे और परब के बयान को सदन की कार्यवाही से हटाने की मांग करेंगे.
उन्होंने कहा कि “नियम 35 के अनुसार, किसी भी सदस्य को किसी मंत्री के खिलाफ आरोप लगाने से पहले पूर्व सूचना देना आवश्यक है. परब ने न तो ऐसा किया और न ही सदन में मेरी उपस्थिति के दौरान आरोप लगाए. यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि संसद की गरिमा के खिलाफ भी है.”
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