संजौली मस्जिद विवाद: हाई कोर्ट में वक्फ बोर्ड की रिट, सोमवार को याचिका की वैधता पर होगा फैसला
Shimla News: संजौली मस्जिद विवाद हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है, जहां वक्फ बोर्ड की रिट याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी. क्या अवैध निर्माण पर निचली अदालत का आदेश बरकरार रहेगा या मिलेगी राहत?

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का बहुचर्चित संजौली मस्जिद विवाद अब हाईकोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में वक्फ बोर्ड द्वारा दायर की गई रिट याचिका पर शुक्रवार को जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस रोमेश वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से रिट की मेंटेनेबिलिटी यानी याचिका की वैधता पर दलीलें प्रस्तुत करने को कहा, जिसके बाद अतिरिक्त समय की मांग को स्वीकारते हुए अगली सुनवाई सोमवार, 1 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया.
जिला अदालत के आदेश और बढ़ता विवाद
पूरा विवाद तब और गहरा हो गया जब 30 अक्टूबर को जिला अदालत ने शिमला नगर निगम आयुक्त के 3 मई 2025 के आदेश को सही ठहराते हुए पूरी मस्जिद को अवैध निर्माण घोषित कर उसके ढांचे को 30 दिसंबर 2025 तक हटाने का निर्देश दिया. वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी ने इन आदेशों को जिला अदालत में चुनौती दी थी, लेकिन अदालत ने दलीलों को खारिज करते हुए निगम आयुक्त के निर्णय को बरकरार रखा.
इस निर्णय के बाद संजौली क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है. अवैध करार मस्जिद के बिजली और पानी का कनेक्शन काटने की मांग को लेकर हिंदू संगठनों का अनशन 11वें दिन में प्रवेश कर चुका है. वहीं प्रशासन और पुलिस हालात पर कड़ी निगरानी बनाए हुए हैं.
विवाद की पृष्ठभूमि और आगे का फैसला
संजौली मस्जिद विवाद की शुरुआत पिछले वर्ष 31 अगस्त को हुई थी, जब मैहली में दो गुटों के बीच हिंसक झड़प के बाद एक समुदाय के कुछ लोग इस मस्जिद में शरण लेने पहुंच गए. इससे गुस्साए लोगों ने 1 सितंबर को मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. धीरे-धीरे यह मामला प्रदेशव्यापी आंदोलन का कारण बना और विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन शुरू हो गए. मामला तब और उग्र हो गया जब 11 सितंबर 2024 को संजौली में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुआ. पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पानी की बौछार और बल प्रयोग करना पड़ा. ऐसे में तनाव कम करने के लिए 12 सितंबर को मस्जिद कमेटी ने स्वयं नगर निगम कमिश्नर कोर्ट में पेश होकर मस्जिद के अवैध हिस्से को स्वयं हटाने की पेशकश की.
इसके बाद 5 अक्टूबर 2024 को निगम आयुक्त ने मस्जिद की सबसे ऊपर की तीन मंजिलें हटाने के आदेश दिए. दो मंजिलें तोड़ भी दी गईं, लेकिन 2025 में निगम ने पूरी मस्जिद को अवैध घोषित कर दिया और 3 मई 2025 को संपूर्ण ढांचा गिराने के आदेश जारी कर दिए. विवाद अब हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है और आगे का फैसला सोमवार को याचिका की मेंटेनेबिलिटी तय होने के बाद ही सामने आएगा. संवेदनशील माहौल के बीच सभी की निगाहें अदालत के आगामी फैसले पर टिकी हुई हैं.
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Source: IOCL






















