दिल्ली में श्रमिकों का न्यूनतम वेतन बढ़ा, अब किसे कितना मिलेगा, जानें- कब से होगा लागू?
Delhi News: सीएम आतिशी ने बीजेपी को गरीब विरोधी बताते हुए कहा कि वह अपने राज्यों में श्रमिकों को न्यूनतम वेतन बहुत कम देती है. दिल्ली सरकार द्वारा न्यूनतम वेतनमान बढ़ाने का विरोध करती है.
Delhi Workers Minimum Wage: दिल्ली की नई सीएम आतिशी ने न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों को बड़ी सौगात दी है. आप सरकार की ओर से घोषित नई दरें एक अक्टूबर से दिल्ली लागू होंगी. सीएम आतिशी ने 25 सितंबर को न्यूनतम वेतन बढ़ाने की घोषणा करते हुए कहा कि दिल्ली में अकुशल श्रमिकों के न्यूनतम वेतन प्रति माह 18,066 रुपये, अर्ध कुशल श्रमिकों का 19,929 रुपये और कुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 21,917 रुपये होगा.
उन्होंने कहा कि इस बढ़ोतरी के साथ ही दिल्ली में श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी बीजेपी शासित राज्यों की तुलना में दोगुना हो गया है. दिल्ली में श्रमिकों को मिलने वाला न्यूनतम वेतन देश के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में सबसे अधिक है.
'सबको सम्मानजनक जीवन देना पहली प्राथमिकता'
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने 10 सालों में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली के आम लोगों को सम्मानजनक जीवन दिया. यह हमारी पहली प्राथमिकता है. आने वाले चार महीनों में भी हम इसी तरह काम करते रहेंगे. पिछले 10 सालों से दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली के आम लोगों को एक बेहतर जिंदगी देने के लिए सरकार चलाई. चाहे वो 24 घंटे बिजली हो, देश में सबसे सस्ती बिजली हो, शानदार सरकारी स्कूल हो, मोहल्ला क्लिनिक में फ्री टेस्ट और दवाइयां हो, वर्ल्ड क्लास अस्पताल बनाकर फ्री इलाज देना हो, बुजुर्गों को फ्री तीर्थ-यात्रा करवानी हो या महिलाओं को फ्री बस यात्रा करवानी हो.
इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने एक ऐसा ऐतिहासिक काम किया है, जो देशभर में अभी तक कहीं नहीं हो सका. वो काम है दिल्ली में सबसे ज्यादा न्यूनतम वेतन. सीएम आतिशी ने कहा कि न्यूनतम वेतन पाने वाले लोग गरीब तबके से आते हैं और श्रमिक होते हैं. उनका शोषण रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने न्यूनतम वेतन को ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचाने का काम किया है.
'बीजेपी गरीब विरोधी पार्टी'
बीजेपी ने हमेशा गरीब विरोधी काम किया है. जब 2016-17 में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने न्यूनतम वेतन बढ़ाने की बात की तो बीजेपी ने अपने एलजी के माध्यम से उसे रोका. उस समय अरविंद केजरीवाल की सरकार कोर्ट से ऑर्डर लेकर आई और न्यूनतम वेतन बढ़ाना शुरू किया और उसमें प्रावधान डाला कि जिस तरह सरकारी अफसरों का साल में दो बार डीए लगने से वेतन बढ़ता है, उसी तरह साल में दो बार न्यूनतम वेतन बढ़ना जरूरी है.
'दिल्ली में न्यूनतम वेतनमान सबसे ज्यादा'
उन्होंने बीजेपी को गरीब विरोधी बताते हुए कहा कि वह अपने राज्यों में श्रमिकों को न्यूनतम वेतन बहुत कम देती ही है. दिल्ली में भी श्रमिकों के न्यूनतम वेतनमान बढ़ाने के फैसले को रोकने का भी प्रयास किया. दिल्ली सरकार ने एक बार फिर न्यूनतम वेतन बढ़ाने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि 2013 में अरविंद केजरीवाल सरकार आने से पहले दिल्ली में अकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन मात्र 7,722 रुपये, अर्धकुशल श्रमिकों का 8,528 रुपये और कुशल श्रमिकों का मात्र 9,388 रुपये था.
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने बीजेपी शासित राज्यों में न्यूनतम वेतन के आंकड़े साझा करते हुए कहा कि दिल्ली में अकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से अधिक है, तो वहीं राजस्थान में अकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन मात्र 8,063 रुपये, मध्य प्रदेश में 10 हजार रुपये, उत्तर-प्रदेश में 8,300 रुपये, हरियाणा में 10 हजार रुपये, छत्तीसगढ़ में 10,900 रुपये है.
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