बेटे दीपक प्रकाश बने मंत्री तो निशाने पर आए उपेंद्र कुशवाहा, प्रशांत किशोर की पार्टी ने कह दी बड़ी बात
Deepak Prakash Minister: दीपक प्रकाश को मंत्री बनाए जाने पर जन सुराज के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने इसे चमत्कार बताया है. पढ़िए तंज भरे लहजे में और क्या कुछ कहा है.

एनडीए सरकार में उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश मंत्री बनाए गए हैं. वे अभी न तो एमएलए हैं न ही एमएलसी हैं जिसके चलते उपेंद्र कुशवाहा पर भी परिवारवाद का आरोप लग रहा है. इस बीच प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के भी निशाने पर वो आ गए हैं. बीते शनिवार (22 नवंबर, 2025) की शाम जन सुराज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया है.
मनोज भारती ने उपेंद्र कुशवाहा के उस पोस्ट पर रिएक्शन दिया है जिसमें उन्होंने (कुशवाहा) अपने बेटे को मंत्री जाने पर सफाई दी है. मनोज भारती ने कहा, "जिस प्रदेश में नौजवान पेट भरने के लिए रोज ट्रेन की छत, दरवाजे और फुटबोर्ड पर लटककर दिल्ली-मुंबई की तरफ भागते हों… वहां आपके बेटे को बिहार में ही रोजगार मिला है, तो इसे चमत्कार ही समझिए. लोग का क्या है वो कुछ दिन चीखेंगे, चिल्लाएंगे, ज्ञान बघारेंगे, उन्हें करने दीजिए, यही उनका मुख्य रोजगार है. दो दिन में उनकी आवाज बैठ जाएगी और तीसरे दिन फिर वही लोग सूरत, बेंगलुरु और मुंबई की ट्रेन का जनरल डिब्बा खोजते हुए मिलेंगे."
आगे मनोज भारती ने लिखा है, "...लेकिन आप चिंता मत कीजिए लेकिन चिंता मत करिए… जब वोट का मौसम आएगा, तो वही लोग बड़े सभ्य नागरिक बनकर आपकी झोली फिर से भर देंगे. इसलिए शोर-शराबा भूल जाइए… आप तो बस तैयारी शुरू कीजिए… अगले 5 साल… आने वाली पीढ़ी के लिए दो-चार और विधायकी की 'नर्सरी' लगा दीजिए."
जिस प्रदेश में नौजवान पेट भरने के लिए रोज़ ट्रेन की छत, दरवाज़े और फुटबोर्ड पर लटककर दिल्ली–मुंबई की तरफ भागते हों…वहां आपके बेटे को बिहार में ही रोजगार मिला है, तो इसे चमत्कार ही समझिए।
— Manoj Bharti (@ManojBhartiJSP) November 22, 2025
लोग का क्या है वो कुछ दिन चीखेंगे, चिल्लाएंगे, ज्ञान बघारेंगे, उन्हें करने दीजिए, यही उनका… https://t.co/ldBVx32cG5
उपेंद्र कुशवाहा ने सफाई में क्या कहा है?
बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाए जाने पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है. निशाने पर आने के बाद कुशवाहा ने इसके पीछे का कारण बताया. उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर इस बारे में कहा था, "मेरा पक्ष है कि अगर आपने हमारे निर्णय को परिवारवाद की श्रेणी में रखा है, तो जरा समझिए मेरी विवशता को. पार्टी के अस्तित्व व भविष्य को बचाने व बनाए रखने के लिए मेरा यह कदम जरूरी ही नहीं अपरिहार्य था."
उन्होंने कहा, "मैं तमाम कारणों का सार्वजनिक विश्लेषण नहीं कर सकता, लेकिन आप सभी जानते हैं कि पूर्व में पार्टी के विलय जैसा भी अलोकप्रिय और एक तरह से लगभग आत्मघाती निर्णय लेना पड़ा था. जिसकी तीखी आलोचना बिहार भर में हुई. उस वक्त भी बड़े संघर्ष के बाद आप सभी के आशीर्वाद से पार्टी ने सांसद, विधायक सब बनाए. लोग जीते और निकल लिए. झोली खाली की खाली रही. शून्य पर पहुंच गए. पुनः ऐसी स्थिति न आए, सोचना जरूरी था."
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