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नई कार लेने का प्लान है? ये स्मार्ट टिप्स आपकी जेब हल्की होने से बचा लेंगे
Car Buying Tips: नई कार लेते वक्त बजट सेट करें फीचर्स को लेकर एकदम क्लियर रहें और डिलीवरी से पहले टेस्ट ड्राइव जरूर लें. नई कार लेने से पहले सही रिसर्च आपकी जेब को हल्का होने से बचा लेती है.
नई कार खरीदने का प्लान हमेशा सोचसमझकर बनाना चाहिए. अगर सही फैसले न लिए गए हों तो खर्च जरूरत से ज्यादा बढ़ सकता है. इसलिए अपनी ड्राइविंग की जरूरतें आप कितना गाड़ी चलाते हैं. इन चीजों के देखकर आगे बढ़ें इससे आप उस कार को ले पाएंगे जो सच में आपकी लाइफस्टाइल और जेब के लिए फिट बैठती है.
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आज बाजार में इतनी कारें हैं कि कन्फ्यूजन होना लाजमी है. कंपनियां फीचर्स, डिजाइन और ऑफर्स पर ज़ोर देती हैं, लेकिन हर ऑफर आपके लिए फायदेमंद हों यह जरूरी नहीं. इसलिए सिर्फ डिस्काउंट देखकर कार चुनने की गलती न करें.
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फीचर, सेफ्टी रेटिंग, माइलेज और सर्विस नेटवर्क को बराबर महत्व दें. सही चॉइस आगे काफ़ी खर्च बचाती है. मॉडल फाइनल करने के बाद टेस्ट ड्राइव जरूरी है. कागज पर कार कितनी भी शानदार लगे. उसका असली अंदाज़ सड़क पर ही समझ आता है.
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स्टीयरिंग का फील, ब्रेकिंग, सस्पेंशन और ड्राइविंग कम्फर्ट वही बताते हैं कि यह कार आपके लिए सही है या नहीं. इस स्टेप को स्किप करना आगे पछतावा बन सकता है. बड़ी कारें देखकर तुरंत मन ललचा जाता है. लेकिन यहां एक मिनट रुककर सोचें.
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ज्यादा साइज का मतलब ज्यादा फ्यूल, महंगी सर्विस और भारी पार्ट्स. यानी हर महीने आपकी जेब पर एक्सट्रा बोझ. इसलिए कार का साइज जरूरत के हिसाब से चुनें. इससे न सिर्फ शुरुआती कीमत कम होगी बल्कि मेंटेनेंस भी काबू में रहेगा.
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कीमतों की तुलना करना आपकी सबसे बड़ी बचत साबित हो सकती है. एक ही मॉडल के लिए अलग-अलग डीलरशिप पर कीमतें, एक्सेसरी चार्ज, वेटिंग और डिस्काउंट अलग मिलते हैं. थोड़ा घूमकर पूछताछ करने से कई बार हजारों रुपये बच जाते हैं. शोरूम बदलने में कुछ समय लगता है. लेकिन रिटर्न बहुत अच्छा मिलता है.
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ऑफर्स भी एक बड़ा फायदा दिला सकते हैं. कैश डिस्काउंट, एक्सचेंज बोनस, कॉर्पोरेट बेनिफिट या फेस्टिव ऑफर आपकी कुल लागत को काफी कम कर देते हैं. कई लोग सिर्फ इसलिए ज्यादा चुका देते हैं क्योंकि उन्होंने उपलब्ध ऑफर्स के बारे में पूछा ही नहीं. इसलिए खरीदने से पहले हर चल रहे ऑफर की जानकारी जरूर लें.
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फाइनेंसिंग को हल्के में न लें. लोन की ब्याज दरें काफी बदलती रहती हैं और छोटी सी दर का फर्क लंबे समय में बड़ी बचत बन जाता है. अलग-अलग बैंक, NBFC और डीलर फाइनेंस को चेक करें. डाउन पेमेंट जितना बढ़ाएंगे, ईएमआई उतनी हल्की होगी और ब्याज कम लगेगा.
Published at : 10 Dec 2025 04:12 PM (IST)
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